जिला अस्पताल: ७ माह से रेडियोलॉजिस्ट नहीं, मरीज बाहर से करा रहे सोनोग्राफी
समस्या : अस्पताल प्रशासन ने अभी तक नहीं की वैकल्पिक व्यवस्था, यहां सिर्फ गर्भवती महिलाओं कीे हो रही है सोनोग्राफी …
धार. शहर के बड़े शासकीय जिला अस्पताल में विगत सात महीने से सोनोग्राफी के लिए रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं हो पाई है। नियुक्ति नहीं होने से इसका खामियाजा शहर व बाहर से आए मरीजों को भुगतना पड़ता है।
अस्पताल में डॉक्टर मरीज को सोनोग्राफी करवाने के लिए कह देते हैं तो मजबूरन मरीज के परिजनों को निजी क्लिनिक में जाकर सोनोग्राफी करवाना पड़ रही है। वहां पर भी इसका अच्छा खासा भुगतान करना पड़ता है। वर्तमान में यहां पर सिर्फ गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी हो रही है। महिला डॉक्टरों को सोनोग्राफी मशीन चलाने का प्रशिक्षण है। इसके चलते सिर्फ गर्भवती महिलाएं ही सोनोग्राफी करवा रही है। इधर जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के नहीं होने से न तो सीएचएमओ ध्यान दे रहे हैं और न ही सिविल सर्जन कुछ वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं। ऐसे में गरीब मरीजों भी कर्ज लेकर प्रायवेट क्लिनिक में जाकर सोनोग्राफी करवा रहा हैं। मरीजों के परिजनों का कहना है कि पूर्व में भी कई बार अस्पताल के बड़े डॉक्टर को सोनोग्राफी के लिए व्यवस्था करवाने के लिए कहा था। इसके बाद भी अभी तक हमारी सुनवाई नहीं हुई।
कलेक्टर को नहीं दी जानकारी : डॉक्टरों की हड़ताल होने पर कलेक्टर प्रियंक मिश्रा जिला अस्पताल का निरीक्षण करने के लिए गए थे। इस दौरान कलेक्टरा को रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने कुछ नहीं बताया। हड़ताल के दौरान अस्पताल में जो वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। इसके बारे में निरीक्षण के दौरान जानकारी दी। बताया जा रहा है कि जिला मुख्यालय पर रेडियालॉजिस्ट नहीं है तो जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर भी व्यवस्था राम भरोसे ही चल रही होंगी।
तीन प्रकार की होती है सोनोग्राफी : जिला अस्पताल में तीन प्रकार की सोनोग्राफी होती है। सबसे प्रमुख है पेट की सोनोग्राफी, स्क्रोटन सोनोग्राफी और ब्रेस्ट सोनोग्राफी। रेडियोलॉजिस्ट के नहीं होने से इनकी सोनोग्राफी अस्पताल में नहीं हो रही है। अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल के डॉक्टर भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के चलते परेशान है। वह भी चाहते है कि जल्द से जल्द सोनोग्राफी के लिए एक रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति हो।