ग्वालियर – नहीं मान रहे सीबीएसई के निर्देश, कई स्कूलों ने शुरू कर दिया नया सेशन
एक अप्रेल से पहले स्कूल नहीं खोलने के दिए थे निर्देश, लगातार स्कूल लगने से बच्चों में चिंता व थकान पैदा होने का खतरा …
नहीं मान रहे सीबीएसई के निर्देश, कई स्कूलों ने शुरू कर दिया नया सेशन …
ग्वालियर. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूलों को नया सेशन 1 अप्रेल से पहले शुरू नहीं करने के निर्देश दिए हैं। कहा गया है कि सेशन समय से पहले शुरू करने से छात्रों में ङ्क्षचता और थकान बढ़ती है। यह चेतावनी भी दी गई कि नियमों का उल्लंघन करने पर स्कूल संचालकों पर कार्रवाई भी की जाएगी। लेकिन ग्वालियर के कई स्कूल सीबीएसई की इस चेतावनी को दरकिनार कर रहे हैं। शहर के कुछ निजी स्कूलों ने 15 मार्च से, तो कुछ ने 20 मार्च से ही नया सेशन शुरू कर दिया। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। उन्हें गाइडलाइन या जानकारी हमें भी भेजनी चाहिए, जिससे हम नियमों का पालन करा सकें।
कोर्स पूरा करने की जल्दबाजी
सीबीएसई का नया सेशन 1 अप्रेल से ही प्रारंभ होता है। लेकिन कोर्स पूरा कराने की जल्दबाजी में निजी स्कूल पहले खोल दिए जाते हैं। रिजल्ट आने से पहले ही अगली कक्षाएं शुरू हो जाती हैं। इसके कारण विद्यार्थियों को छुट्टियां नहीं मिल पाती हैं।
सीबीएसई का नया सेशन 1 अप्रेल से ही प्रारंभ होता है। लेकिन कोर्स पूरा कराने की जल्दबाजी में निजी स्कूल पहले खोल दिए जाते हैं। रिजल्ट आने से पहले ही अगली कक्षाएं शुरू हो जाती हैं। इसके कारण विद्यार्थियों को छुट्टियां नहीं मिल पाती हैं।
हीलिंग रिलेक्सेशन देना जरूरी है
बच्चों की परीक्षाएं सालभर में एक बार होती हैं। वे पूरे वर्ष पढ़ते हैं और थक जाते हैं। ऐसे में उन्हें लंबे ब्रेक की जरूरत होती है। बच्चों की बॉडी और दिमाग को हीङ्क्षलग रिलेक्सेशन देना भी जरूरी है। इस हिसाब से बच्चों को थोड़ा समय दिया जाना चाहिए। जल्दी स्कूल बिल्कुल भी नहीं खोले जाना चाहिए। इससे बच्चे चिड़चिड़ेपन, एंग्जाइटी, डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। बच्चे बर्न आउट हो जाते हैं। इससे उनका अगला परफॉरमेंस बिगड़ सकता है।
डॉ.कमलेश कुमार उदेनिया, वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक, जयारोग्य अस्पताल ग्वालियर
बच्चों की परीक्षाएं सालभर में एक बार होती हैं। वे पूरे वर्ष पढ़ते हैं और थक जाते हैं। ऐसे में उन्हें लंबे ब्रेक की जरूरत होती है। बच्चों की बॉडी और दिमाग को हीङ्क्षलग रिलेक्सेशन देना भी जरूरी है। इस हिसाब से बच्चों को थोड़ा समय दिया जाना चाहिए। जल्दी स्कूल बिल्कुल भी नहीं खोले जाना चाहिए। इससे बच्चे चिड़चिड़ेपन, एंग्जाइटी, डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। बच्चे बर्न आउट हो जाते हैं। इससे उनका अगला परफॉरमेंस बिगड़ सकता है।
डॉ.कमलेश कुमार उदेनिया, वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक, जयारोग्य अस्पताल ग्वालियर
स्कूलों पर कार्रवाई नहीं कर पाते हैं
हमारा सीबीएसई के स्कूलों पर कोई नियंत्रण नहीं है। जो नियम लागू होता है, हमारे पास इसकी कोई जानकारी भी नहीं भेजी जाती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। जबकि सीबीएसई को गाइडलाइन आदि हमें भी उपलब्ध कराना चाहिए। यही वजह है कि हम सीबीएसई स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाते हैं।
अजय कटियार, डीईओ