ग्वालियर। ग्वालियर में जिला और पुलिस के दोनों अफसर बदल दिए गये हैं। शिवपुरी के कलेक्टर रहे अक्षय कुमार अब ग्वालियर के कामों को समझ रहे हैं वही उनके पीछे से शिवपुरी के एसपी राजेश चंदेल एसएसपी बनकर पहुंच गये हैं। वैसे तो दोनों अफसरों की पोस्टिंग सरकार ने चुनावी रणनीति के तहत की है लेकिन यह दोनों चाहे तो ग्वालियर का भला कर सकते हैं। ग्वालियर का पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ट्रैफिक दोनों ही पटरी से उतरे हुए हैं। पिछले कलेक्टर -एसएसपी पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रत्तीभर न कर पाए। लेफ्ट टर्न खाली होना चाहिए यह बेसिक बात भी यहां की पुलिस को समझ नहीं आती। अब देखते हैं अक्षय कुमार और राजेश चंदेल इस दिशा में क्या प्रयास करते हैं। दोनों को अपने विजन से भी छोटे-मोटे लेकिन जनहितैषी काम करना होंगे क्योंकि हर बात केंद्रीय मंत्री थोड़ी बताएंगे।

कहीं उल्टा न पड़े राहुल पर दांव

कांग्रेस के कर्ताधर्ता राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होना पूरी कांग्रेस को न सिर्फ एकजुट कर सकती है बल्कि इसका सीधा फायदा भी राहुल को मिल सकता है। भले ही यह अदालत के फैसले के बाद हुआ हो लेकिन कांग्रेस ने यदि मुद्दे को अच्छे से भुनाया तो इसे सरकार की अनैतिक कार्रवाई की तरह देश की जनता के सामने प्रमाणित कर सकती है। यह सभी जानते हैं कि आदर्श स्थिति में अदालत से लेकर संसद की कार्रवाई में सरकार का कोई दखल नहीं होता लेकिन हर मामले में नहीं ही होता होगा, यह मानना भी थोड़ा अविश्वसनीय सा लगता है। यह विश्वास तब और बढ़ जाता है जब एक कमजोर केस में फैसला आने के बाद चीते की फुर्ती से उनकी संसद सदस्यता समाप्त की जाती है । भारत पदयात्रा के बाद राहुल ने अपनी पप्पू की छवि तोड़ी है अब उन्हें ठोंक-ठोंककर खरा सोना बनाने का काम भाजपा खुद कर रही है। भाजपा के लिए राहुल की मेलोडी ब्वाय की छवि अधिक सुरक्षित अभी तक बनी हुई थी।

ईट राइट में रैंकिंग का प्रचार हो

पिछले हफ्ते शहर में यूं तो कई आयोजन हुए लेकिन सबसे उम्दा खबर ईट राइट रैंकिंग में देशभर में ग्वालियर के पांचवें पायदान वाली मिली। स्वच्छता, सीएम हेल्पलाइन सहित विभिन्न प्रकार की जो रैंकिंग जारी होती है उसमें अधिकांशतः ग्वालियर का प्रदर्शन निराशाजनक ही होता है लेकिन इस बार हमने कमाल किया है। वैसे भी ईट राइट की रैंकिंग सीधे तौर से उन पर्यटकों को लुभाती है जो हाइजीन और स्वच्छ खानपान की कमी के कारण आने से बचते हैं। अब नगर निगम और जिला प्रशासन को चाहिए कि इस उपलब्धि का फूलबाग चौपाटी, गुरुद्वारा के पीछे खानपान के ठीए पर स्थाई तौर से प्रचार प्रसार करे जिससे वहां जाने वाले लोगों को यह सुकून रहे कि वह अच्छा खा रहे हैं। दोनों जगह बड़े साइन बोर्ड लगवाए जा सकते हैं कि- निश्चिंत रहें, आप देश के पांचवें सबसे सुरक्षित जगह पर जायके का आनंद ले रहे हैं।

एसएसपी को किस बात की सजा

ग्वालियर में रहते हुए एसएसपी अमित सांघी की मेहनत और किस्मत का गठजोड़ इतना उम्दा रहा कि ग्वालियर में लगभग सारे बड़े अपराधों का खुलासा होता गया। कोई कानून व्यवस्था की स्थिति भी नहीं बिगड़ी। इसके इनाम की उम्मीद जरूर एसएसपी कर रहे थे लेकिन शनिवार रात की तबादला लिस्ट देखकर उन्हें झटका लगा होगा। ग्वालियर से उन्हें बुंदेलखंड के उस छतरपुर जिले में भेजा गया जहां अपेक्षाकृत जूनियर अफसरों को भेजा जाता है। अब ऐसा क्या हुआ जो उन्हें छोटा जिला दिया गया, इस पर पुलिस महकमे में चर्चा हो रही है। अच्छे काम के बतौर भोपाल या इंदौर की कमिश्नर प्रणाली में जगह दी जा सकती थी। हालांकि आजकल सिर्फ रिकार्ड अच्छा होना ही उम्दा पोस्टिंग की गारंटी थोड़ी है, नेताओं की गुडबुक्स में भी तो अच्छे अंक होना चाहिए। और नंबर कैसे बढ़ाए जाते हैं इस पर अमित जी को और मेहनत करने की जरूरत है।