घोषणा से जुदा सच .! बैंक में नहीं चल रही ‘सरकार की गारंटी .

घोषणा से जुदा सच:बैंक में नहीं चल रही ‘सरकार की गारंटी’, जमीन-जेवर गिरवी रखने पर ही मिल रहा लोन
बड़ी बात ये है कि खुद उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव केसी गुप्ता भी इस योजना से अनजान

बड़ी बात ये है कि खुद उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव केसी गुप्ता भी इस योजना से अनजान हैं। केनरा, एचडीएफसी, एसबीआई के अधिकारी भी कह रहे हैं कि सरकारी गारंटी पर एजुकेशन लोन से जुड़ी कोई योजना नहीं है। उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि लोन यदि 7.5 लाख रु. तक का है तो इसमें प्रॉपर्टी गिरवी रखने की जरूरत नहीं है। लोन इससे बड़ा है तो प्रॉपर्टी मॉर्गेज रखनी पड़ती है। भास्कर ने भोपाल की 38 बैंकों की पड़ताल की तो पता चला कि एक साल में 1784 स्टूडेंट्स को 106 करोड़ का एजुकेशन लोन मिला है। एक से डेढ़ करोड़ के लोन लेकर 4 विद्यार्थी, अमेरिका, इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया में पढ़ रहे, लेकिन इसके लिए उन्हें प्रॉपर्टी गिरवी रखनी पड़ी है।

भोपाल के 38 बैंकों की पड़ताल- 2009 में शुरू हुई थी लोन गारंटी योजना, लेकिन उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव को आज तक नहीं पता

उच्च शिक्षा ऋण गारंटी योजना 2009 में शुरू हुई। इसमें इंजीनियरिंग, मेडिकल, आयुष में पढ़ाई के लिए लोन देने का प्रावधान है। इसकी गारंटी सरकार देती है। परिवार की सालाना आय 5 लाख तक है तो आप भी पात्र हैं। पढ़ाई के दौरान स्टूडेंट्स की मौत हो जाए तो 50%-50% लोन बैंक और सरकार भरती है। अब तक कितनों को लोन मिला, ये आंकड़ा नहीं है।

  • उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव केसी गुप्ता से भास्कर ने दो दिन पहले इस योजना के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- मैं पता करता हूं। दो दिन बाद फिर पूछा तो बोले- ऐसी कोई योजना नहीं है। जब उन्हें उच्च शिक्षा ऋण गारंटी योजना के बारे में बताया तो बोले- ऐसी कोई योजना नहीं चल रही है।

बैंक अधिकारी बोले- हमारे पास ऐसी कोई योजना नहीं

1 केनरा बैंक की डीसी पूजा, एचडीएफसी बैंक के डीसी सनत, एसबीआई बैंक की डीसी कृति दीक्षित कहती हैं कि सरकारी गारंटी पर एजुकेशन लोन को लेकर किसी योजना का आदेश बैंक के पास नहीं है। एक निश्चित राशि पर प्रॉपर्टी मोर्गेज रखने की जरूरत नहीं है, लेकिन बड़े अमाउंट पर रखनी पड़ेगी।

2 लीड बैंक मैनेजर राजगोपाल अय्यंगर कहते हैं कि 7.5 लाख तक एजुकेशन लोन पर थर्ड पार्टी गारंटर भी जरूरी है। जबकि इससे बड़े लोन के लिए प्रॉपर्टी या गोल्ड मोर्गेज पर रखने होंगे। सीएम या राज्य सरकार की गारंटी पर एजुकेशन लोन की कोई योजना को लेकर बैंक के पास कोई जानकारी नहीं है।

कोरोनाकाल में जिन्होंने किस्त नहीं भरी, वे आज डिफॉल्टर

मप्र के 88,637 विद्यार्थियों पर 3,045 करोड़ शिक्षा ऋण है। कोरोना में कई स्टूडेंट्स किस्त नहीं भर पाए थे, ऐसे में वे डिफॉल्टर बन गए हैं। कई बार इन स्टूडेंट्स के शिक्षा ऋण को माफ करने की मांग कई बार उठ चुकी है। भोपाल में अब तक 532 बैंकों में 9547 एजुकेशन लोन के खाते हैं यानी इतने स्ट्रडेंट्स को 463 करोड़ का लोन दिया जा चुका है और उनके अभिभावक कर्जदार हैं तो थर्ड पार्टी गारंटर भी।

1 करोड़ का लोन इन्होंने दिया

  • एसबीआई ने 1.46 करोड़ का एजुकेशन लोन दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ साऊथर्न कैलिफॉर्निया से भोपाल का स्टूडेंट्स बीए विथ मेजर इन इकोनाॅमिक्स कर रहा है।
  • बैंक ऑफ इंडिया ने 1.45 का एजुकेशन लोन इसलिए दिया क्योंकि स्टूडेंट्स ऑस्ट्रेलिया में बीएससी कर रहा है।
  • केनरा बैंक से डेढ़ करोड़ का एजुकेशन लोन लेकर स्थानीय विद्यार्थी इंग्लैंड यूनिवर्सिटी से एमएससी एस्ट्रो फजिक्स कर रहा है।
  • एचडीएफसी बैंक ने एक स्टूडेंट्स को एक करोड़ का एजुकशन लोन दिया। ताकि वो यूएस में एमएस और बैचलर कोर्स कर सके।

वो किस्सा जो पैरों तले जमीन खिसका दे

भोपाल के कोलार में रहने वाले रामलाल शर्मा (परिवर्तित नाम) का सपना है कि बेटा डॉक्टर बने। उन्होंने बीते दिसंबर में एक निजी बैंक में 60 लाख रु. के लोन के लिए एप्लाई किया। औपचारिकताएं पूरी कर बैंक ने लोन का वादा किया। प्रॉपर्टी के दस्तावेज भी लिए। इसी आधार पर रामलाल ने 3 साल के मेडिकल कोर्स के लिए बेटे को एडमिशन दिला दिया। कुछ दिन बाद बैंक ने लोन देने से मना कर दिया। इससे रामलाल के पैरों तले जमीन खिसक गई, क्योंकि कॉलेज ने उनके साथ बॉण्ड भराया था कि 31 मार्च तक उन्हें 21 लाख रु. पहले साल की किस्त के तौर पर मिल जाने चाहिए। अब रामलाल दूसरे बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं।

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