देश के 28% स्कूलों में मैदान तो 1.13 लाख में बिजली तक नहीं

10.22लाख सरकारी स्कूल देश में ऑनलाइन क्लास के दौर में बिजली नहीं ….

नई दिल्ली. देश के 2.80 लाख सरकारी स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए खेल के मैदान नहीं हैं, जबकि 1.13 लाख से अधिक स्कूलों तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। आरटीई अधिनियम-2009 के तहत स्कूल के पास बुनियादी सुविधाओं वाले बारहमासी भवन के साथ खेल का मैदान होना अनिवार्य है। लोकसभा में सांसदों ने इस मुद्दे पर सवाल किए तो केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि देशभर में 10.22 लाख से अधिक सरकारी स्कूल है। इसमें से करीब 2.80 लाख यानी 28 फीसदी में खेल के मैदान नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची से जुड़ा विषय है। अधिकांश स्कूल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

आरटीई अधिनियम 2009 के तहत स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। शिक्षा मंत्रालय की तरफ से पिछले साल जारी रिपोर्ट में बताया गया था कि देश के 90 फीसदी सरकारी स्कूलों में बच्चों को ट्रेनिंग देने के लिए कम्प्यूटर नहीं हैं। इसके अलावा 66 फीसदी स्कूल इंटरनेट की पहुंच से दूर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्कूलों में काफी बदलाव हुए हैं, लेकिन कई जरूरी कदम उठाए जाने बाकी हैं।

ऑनलाइन क्लास के दौर में देश के 1.13 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। वहां इंटरनेट तो दूर, कम्प्यूटर तक चलाने की सुविधाएं नहीं हैं।

राजस्थान. बांसवाड़ा के आनंदपुरी क्षेत्र के पाट नवाघरा ग्राम पंचायत केमहुडी खुटा में प्राथमिक स्कूल का भवन अधूरा होने से यो पढ़ाई करने को मजबूर हैं बच्चे।

यहां शत-प्रतिशत स्कूलों में बिजली

दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, गोवा, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन-दीव, पुड्डुचेरी के सभी सरकारी स्कूलों में बिजली कनेक्शन है।

समग्र शिक्षा योजना से दी गई सहायता

समग्र शिक्षा योजना के तहत 4590 करोड़ रुपए और 1.20 लाख स्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए 60 करोड़ मंजूर किए गए। केंद्र सरकार ने एक साल पहले राज्यों को पत्र लिखकर स्कूलों में बिजली कनेक्शन पहुंचाने के निर्देश दिए थे। पहाड़ी व दूरस्थ स्कूलों में सौर तथा अक्षय ऊर्जा से बिजली पहुंचाने का सुझाव दिया था।

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