इंदौर । इंदौर हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र की बात करें तो इंदौर में अनेक बड़े अस्पताल हैं, जहां आधुनिक उपकरणों से मरीजों का इलाज किया जा रहा है। परंतु जनसंख्या की दृष्टि से चिकित्सकों की कमी है। यहां एक हजार से अधिक लोगों पर एक एमबीबीएस चिकित्सक ही उपलब्ध है। वहीं, अन्य पैथी के चिकित्सकों को मिलाकर 660 लोगों पर एक चिकित्सक है। चिकित्सकों की यह संख्या काफी कम है। इंदौर की 33 लाख जनसंख्या की सेहत का ध्यान रखने के लिए मात्र 5000 चिकित्सक ही हैं। ऐसे में यदि कोई गंभीर बीमारी शहर में फैल जाती है तो उससे निपटना मुश्किल हो सकता है।

नगर में चिकित्सकों की इतनी कम संख्या चिंता का विषय है। इनकी संख्या बढ़ाने पर भी जिम्मेदारों को ध्यान देने की आवश्यकता है। शहर में जनसंख्या का ग्राफ हर साल तेजी से बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सेहत का ध्यान रखने के लिए चिकित्सकों की भी संख्या में बढ़ोतरी होना चाहिए। शहर में खानपान के कारण कई लोगों का कोलेस्ट्राल बढ़ा हुआ है। ऐसे में यहां जिस हिसाब से चिकित्सकों की आवश्यकता है, उतने चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में इंदौर के 2400 चिकित्सक सदस्य हैं। इसमें शासकीय और प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक शामिल हैं। वहीं, 600 एमबीबीएस चिकित्सक ऐसे हैं जो आइएमए के सदस्य नहीं हैं। इसके अलावा बीएएमएस, होम्योपैथी, यूनानी के 2000 चिकित्सक हैं। यानि शहर में सभी पैथी के चिकित्सक मिलाकर 5000 चिकित्सक हैं।

इंदौर में मरीजों की संख्या भी अधिक

इंदौर शहर में मरीजों की संख्या भी अधिक है। शासकीय ओपीडी में ही रोजाना 1200 से 1500 मरीज आते हैं। वहीं, प्राइवेट ओपीडी में भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए जाते हैं। अगर, बात करें ग्रामीण क्षेत्रों की तो वहां चिकित्सक इलाज के लिए जाना पसंद ही नहीं करते हैं। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को आज भी बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है। वहीं, अस्पतालों की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक शहर में 275 अस्पताल हैं।

कोरोनाकाल में महसूस हुई चिकित्सकों की कमी

कोरोना के दौरान इंदौर में चिकित्सकों की कम संख्या के कारण कई लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। कई लोगों को अस्पताल में बेड, आक्सीजन और इलाज करने के लिए चिकित्सक भी समय पर नहीं मिल पाए थे। इसके बाद भी इस तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए विशेष प्रबंध नहीं किए गए हैं। आइएमए के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष डा. संजय लोंढे ने बताया कि आइएमए में इंदौर के 2400 एमबीबीएस चिकित्सक रजिस्टर्ड हैं, वहीं प्रदेश में 12000 चिकित्सक रजिस्टर्ड हैं। यह संख्या काफी कम है।

आंकड़ों पर एक नजर
    • 660 जनसंख्या प्रति चिकित्सक का अनुपात है इंदौर में।
    • 1000 जनसंख्या प्रति चिकित्सक के अनुपात को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माना है आदर्श स्थिति।
    • 834 लोगों पर एक चिकित्सक का अनुपात है भारत में फिलहाल।
  • यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने दिसंबर में राज्यसभा में दी थी।