शिकायतों के निस्तारण में कानपुर फिसड्‌डी -75वें नंबर के साथ सबसे निचले पायदान पर

शिकायतों के निस्तारण में कानपुर फिसड्‌डी:शासन ने जारी की रैंकिंग, 75वें नंबर के साथ सबसे निचले पायदान पर

नगर निगम के अफसरों की आरामतलबी और लापरवाही के चलते शहर कहीं पर भी टॉप पर नहीं पहुंच पा रहा है। जनता की शिकायतों के गुणवत्ता पूर्ण निस्तारण को लेकर घोर लापरवाही बरती जा रही है। यही कारण है कि यूपी में कानपुर को सबसे निचला स्थान मिला है। कई विभागों की समीक्षा में कानपुर को 75वां स्थान मिला है।

विभागों को नोटिस किए गए जारी
IGRS की ओवरऑल रैकिंग की बात करें तो कानपुर को जनवरी में 56वां स्थान मिला है। बीते फरवरी माह में ही रैंकिंग 19 पायदान नीचे खिसक गई है। जारी रैंकिंग के आधार पर डीएम विशाख जी के निर्देश पर सीडीओ सुधीर कुमार ने विभागों को नोटिस जारी किए हैं।

नगर निगम के संदर्भ सबसे ज्यादा डिफाल्टर हैं।
नगर निगम के संदर्भ सबसे ज्यादा डिफाल्टर हैं।

नगर निगम को नोटिस जारी
आईजीआरएस प्रभारी ज्वाइंट मजिस्ट्रेट राकेश कुमार ने बताया कि शिकायतों के गुणवत्त्ता पूर्ण निस्तारण किए गए। नगर निगम को लापरवाही पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। मार्च महीने में शिकायतों की संख्या सात हजार से अधिक थी।

कुछ विभागों को छोड़ दें तो 31 मार्च तक सभी के निस्तारण भी हो गए। इससे शिकायतों के निस्तारण में शहर की रैकिंग में काफी सुधार आया। दस में दस प्वाइंट भी मिले। एक महीने में इतनी अधिक शिकायत आने पर 12 नंबर कट गए, इसके चलते और रैंकिंग नहीं चढ़ पाई।

सबसे फिसड्डी विभाग
बताया गया कि सबसे फिसड्डी और लापरवाह विभाग नगर निगम है। अफसर काम नहीं करना चाहते, इसके चलते आईजीआरएस में सबसे अधिक शिकायतें करीब साठ प्रतिशत इस विभाग की है। शिकायतों के निस्तारण भी कम थे, 31 मार्च तक 41 डिफाल्टर थे, यानि इसका निस्तारण नहीं हो सका था। इस संबंध में विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। दूसरे नंबर पर पुलिस विभाग की 1200 और केडीए 500 करीब शिकायतें आई थीं।

इन योजनाओं में शिकायत का निस्तारण ठीक से नहीं हुआ

  • 27.99% आयुष्मान गोल्डन
  • 59.65% मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना
  • 54.20% राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

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