भोपाल। देश की पहली और सिर्फ मध्य प्रदेश में बनने वाली हेरिटेज शराब की बिक्री कीमत तय नहीं होने से उलझ गई है, जबकि इसका उत्पादन शुरू है, पर्यटन विकास निगम के होटलों के बार में परीक्षण भी पूरा कर लिया गया है, आबकारी विभाग स्वाद और पैकिंग को लेकर मिले लोगों के अनुभव से संतुष्ट है, पीने वालों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर कमियों को भी दूर कर लिया गया है।

सरकार की मंशा है कि जिस तरह फेनी गोवा की पहचान बन गई है, उसी तरह हेरिटेज शराब मध्य प्रदेश की पहचान बन जाए। आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हेरिटेज शराब की कीमतें निर्धारित करते समय इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि इसका निर्माण करने वाले आदिवासी स्वसहायता समूह को अच्छी आय प्राप्त हो।
कीमत इतनी ज्यादा भी न हो कि लोग इसे खरीद ही न पाएं। इतनी कम भी न हो कि लोग इसे निम्न स्तर का ब्रांड समझने लगें। बता दें कि सरकार ने पिछले साल आबकारी नीति में हेरिटेज शराब के निर्माण के लिए आलीराजपुर और डिंडौरी को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना था।
अगले महीने बाजार में उपलब्ध कराने की तैयारी
सूत्र बताते हैं कि हेरिटेज शराब की कीमतों को लेकर तेजी से चर्चा चल रही है। कीमत इसी महीने तय कर ली जाएगी। मई से इसे बाजार में उपलब्ध कराने की तैयारी है। अभी इस बात को लेकर भी निर्णय किया जाना बाकी है कि शराब की बिक्री दुकानों पर होगी या फिर अलग से काउंटर खोले जाएंगे।
ब्रांड को दिया है मोंड नाम
हेरिटेज शराब के ब्रांड को मोंड नाम दिया गया है। आलीराजपुर में हनुमान आजीविका स्वसहायता समूह ने हेरिटेज शराब का उत्पादन शुरू किया है। इसे 750 मिलीमीटर की पैकिंग में उपलब्ध कराया गया है। हालांकि, डिंडौरी यूनिट से शराब का उत्पादन अभी शुरू नहीं हो पाया है।
महुआ की शराब बेचने वाला पहला राज्य
बता दें कि मध्य प्रदेश देश का प्रथम राज्य है जो महुआ से शराब का निर्माण कर उसे वैध तरीके से बेचने जा रहा है। सरकार का ध्यान हेरिटेज शराब की शुद्धता पर है, क्योंकि सरकार राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी ब्रांडिंग करने की तैयारी कर रही है।
मिथाइल अल्कोहल रहित है हेरिटेज शराब
हेरिटेज शराब का निर्माण महुआ के फूलों से किया जाता है। यह दुनिया की एकमात्र शराब है, जो फूलों से बनाई जाती है। इस शराब में शरीर को नुकसान पहुंचाने वाला मिथाइल एल्कोहल नही होता है।
इनका कहना है
कीमत को लेकर विचार चल रहा है, यह जल्द ही तय हो जाएगा।
– दीपाली रस्तोगी, प्रमुख सचिव, वाणिज्यिक कर विभाग