ग्वालियर । नगर निगम ने शहर की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में लगी लिफ्टों का सेफ्टी आडिट शुरू किया है। इसके लिए बिल्डिंग में लगी लिफ्ट का मेंटेनेंस कराकर निगम से एनओसी लेना अनिवार्य किया गया है। वर्तमान में नगर निगम से 500 इमारतों के लिए एनओसी जारी हो चुकी है, जबकि 100 ऐसी इमारतें सामने आई हैं, जिनमें लिफ्ट की स्थिति खराब है। फिर भी रहवासी संघ या फिर अन्य प्रबंधन समितियां उसकी मरम्मत कराकर एनओसी लेने में रुचि नहीं दिखा रही हैं।

इसके चलते नगर निगम ने ऐसी 100 इमारतों को नोटिस जारी किए हैं। हाल ही में ऐसे ही एक मामले में सचिन तेंदुलकर मार्ग स्थित आदित्य रेजीडेंसी की दो लिफ्ट को सील की गई हैं। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के नियम के अनुसार बहुमंजिला इमारतों में हर छह माह में लिफ्ट का आडिट होना जरूरी है। दरअसल, यह निर्णय वर्ष 2020 में तब लिया गया था, जब इंदौर के पातालपानी में एक निर्माणाधीन फार्म हाउस में लगी टेंपरेंरी लिफ्ट गिरने से पाथ इंडिया के मालिक पुनीत अग्रवाल सहित उनके परिवार के छह लोगों की मौत हो गई थी। गत अप्रैल माह में नगर निगम ने सभी बहुमंजिला इमारतों में लगी लिफ्ट के लिए एनओसी लेने के निर्देश जारी किए थे।

इसलिए लिया गया निर्णय

कालोनाइजर और बिल्डर प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इमारत को हैंडओवर करते ही जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं। लिफ्ट खराब होने और गिरने जैसी घटनाओं में कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। किसी भी प्रोजेक्ट में आर्किटेक्ट बिल्डिंग परमिशन के लिए डिजाइन तय करता है, लेकिन लिफ्ट के लिए किसी लिफ्ट इंजीनियर से जांच नहीं कराई जाती है। अब लिफ्ट इंजीनियर के पास लिफ्ट, एस्केलेटर्स या मूविंग वाल्कस लगने के पहले मंजूरी का आवेदन लगाना होना। इसके अलावा लिफ्ट के नए नियम पुराने भवनों में भी लागू हैं। जिन बिल्डिंगों में पहले से लिफ्ट लगी है, भी निगम में रजिस्ट्रेशन कराकर एनओसी लेनी है।