आम हो या खास, हर जगह घटिया निर्माण ..?
- सड़कों पर पिछले साल खर्च हुए थे 100 करोड़, पर कोई रोड चकाचक नहीं
मंत्रियों और अफसरों की कॉलोनी 74 बंगले में 1 करोड़ रुपए में सड़क बनी और बेमौसम बारिश होते ही सरफेस उखड़ना शुरू हो गई। खुद पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के बंगले के बाहर उखड़ी सड़क के मलबे का ढेर लगा हुआ है। यही नहीं डिपो चौराहा के पास करीब एक महीने पहले बनी सड़क के कुछ हिस्से का बेस उखड़ गया है। जमीनी हकीकत यह है कि पूरे शहर में एक भी सड़क ऐसी नहीं बची है जिसे आप चकाचक कह सकें।
पिछले दो साल से नगर निगम की खुदाई के कारण सड़कों का रेस्टोरेशन एक बड़ा मुद्दा बना हुआ था। रेस्टोरेशन और मेंटेनेंस दोनों राशि को जोड़ लिया जाए तो शहर में सड़कों पर पिछले साल 100 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। बेमौसम बारिश ने शहर में सड़क निर्माण और उसके मेंटेनेंस में बरती जाने वाली कोताही को उजागर कर दिया है। गर्मी का मौसम आते ही पीडब्ल्यूडी ने अपनी सड़कों के डामरीकरण और रिन्युअल आदि काम शुरू हुए। नगर निगम ने भी कुछ जगहों पर सड़कों का निर्माण शुरू किया। लेकिन बारिश होते ही इनकी हकीकत सामने आ गई।
3 से 5 साल होती है उम्र
यदि किसी सड़क को एक बार बनाने पर कम से कम 3 से 5 साल तक उसकी लाइफ होती है। 3 साल बाद डामरीकरण के एक कोट की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन चार इमली, 74 बंगला और शिवाजी नगर जैसे क्षेत्रों में हर साल डामर की परत बिछाते हुए देखा जा सकता है।
रिन्युअल होते ही बारिश से उखड़ी सरफेस
74 बंगला इलाके की लगभग 8 किमी सड़कों के रिन्युअल का काम पिछले हफ्ते ही हुआ था। यहां बिटुमिन कांक्रीट का कोट करने के साथ डामरीकरण भी किया जा रहा था। डामरीकरण होने के बाद बारिश आते ही सड़क की सरफेस उखड़ गई।
शहर के अन्य इलाकों में भी सड़कें खराब
भारत माता चौराहा के पास सड़क का बेस ही उखड़ गया है। यह सड़क एक महीने पहले ही बनी थी। शाहपुरा सी सेक्टर से कलियासोत ब्रिज होते हुए बावड़ियसा कला को जोड़ने वाली सड़क की सरफेस भी खराब हो गई है।
लिंक रोड-1 की सरफेस भी निकली
अपेक्स बैंक से बोर्ड ऑफिस चौराहा तक की लिंक रोड-1 की सरफेस भी इस बारिश में खराब हो गई है। खास तौर से दोनों ओर के किनारों पर गिट्टी भी उखड़ती दिखाई दे रही है। यह उखड़ती हुई गिट्टी खास तौर से दोपहिया वाहन चालकों के लिए खतरनाक हो गई है।
बिना सफाई किए लगाते हैं बिटुमिन कांक्रीट, सस्ते डामर का होता है उपयोग
सड़कों के रिन्युवल के समय बिटुमिन कांक्रीट (बीसी) कोट से पहले सड़क की सरफेस को साफ करना पड़ता है। जल्दी काम करने के चक्कर में ठीक से सफाई किए बिना बीसी कर दिया जाता है। डामर की क्वालिटी भी खराब होती है। भोपाल में इस्तेमाल हो रहा डामर स्टैंडर्ड से 20 से 25% सस्ता है। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी में एक मेंटेनेंस गैंग हुआ करती थी, हर एक किमी के हिस्से में 3 से 4 लेबर लगे रहते थे जो छुटपुट गड्ढों और दूसरी गड़बड़ियों को सुधारते थे। यह व्यवस्था खत्म हो गई और विभाग अब पूरी तरह कांट्रेक्टर पर निर्भर हो गया है।
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