मदद के लिए हर समय तैयार …?
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ गिनी-चुनी संस्थाएं ऐसी हैं, जिनका कार्य सराहनीय है। रेड क्रॉस संस्था भी उन्हीं में से एक है। कोविड-19 जैसी भयंकर महामारी हो, युद्ध की विकरालता हो या दूसरी कोई कुदरती आपदा आई हो, रेड क्रॉस सोसाइटी के वॉलंटियर्स अपनी की जान की परवाह किए बिना, दूसरों की मदद करते हैं। रेड क्रॉस संस्था का काम न सिर्फ हिंदुस्तान में, बल्कि समूची दुनिया में सराहनीय रहा है। विभिन्न तरह की आपदाओं में मददगार के रूप में संस्था का योगदान शुरू से ही अपूर्व रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध को एक साल से ज्यादा हो गया। दोनों तरफ से अनगिनत सैनिक गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं। वहां उन्हें सबसे पहले चिकित्सीय सुविधा रेड क्रॉस के वॉलंटियर्स ही मुहैया करा रहे हैं। हालांकि, दोनों देशों के स्वास्थ्यकर्मी भी जुटे हैं, उनके साथ भी ये लोग हाथ बंटा रहे हैं। हिंदुस्तान में भी रेड क्रॉस का बड़ा विस्तार है। महानगर से लेकर छोटे-बड़े गांव-कस्बों में भी इसके सक्रिय कार्यकर्ता हमेशा मौजूद रहते हैं। केंद्र व राज्य सरकारें भी इनको सहयोग करती हैं और कुछ सुविधाएं भी मुहैया कराती हैं।
विश्व रेड क्रॉस दिवस हर वर्ष आठ मई को पूरी दुनिया मनाती है, जिसका खास मकसद अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट आंदोलन के सिद्धांतों को याद करना होता है। रेड क्रॉस सोसाइटी की अहमियत उसके इतिहास में छिपी है। स्विटजरलैंड के व्यापारी जीन हेनरी ड्यूनांट ने 1859 में इटली में सोल्फेरिनो का युद्ध देखा, तो वे द्रवित हो गए। बड़ी संख्या में सैनिक मारे गए थे और घायल भी हुए थे। किसी के पास भी घायल सैनिकों की देखभाल की व्यवस्था नहीं थी। ड्यूनांट ने वॉलंटियर्स का एक ग्रुप बनाया, जिसने युद्ध में घायल जवानों तक खाना और पानी पहुंचाया। अब यह संस्था युद्ध में सैनिकों को राहत देने तक सीमित नहीं है और विभिन्न क्षेत्रों में सक्रियता से योगदान दे रही है। एक वक्त था, जब इसका अव्वल उद्देश्य जरूरतमंदों, असहायों, दीन-दुखियों व आपसी लड़ाइयों में घायल हुए सैनिकों तथा सिविलियन की रक्षा करना मात्र होता था। लेकिन, अब किसी भी संकट की स्थिति में इसके वॉलंटियर मदद के लिए पहुंच जाते हैं।
रेड क्रॉस को एक मिशन के रूप में दुनिया जानती है। इसका कार्य अब जन आंदोलन में तब्दील हो चुका है। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है। एक जमाना था, जब सिर्फ पांच या सात देश मिलकर इस मुहिम को आगे बढ़ाते थे। पर, अब इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस और कई नेशनल सोसाइटी मिलकर इस संस्था को संयुक्त रूप से संचालन करती हैं। कोविड महामारी में रेड क्रॉस आंदोलन की अहमियत और भी प्रासंगिक हुई। दुख की घड़ी में लोग सहायता भरी नजरों से इसकी ओर निहारते हैं। सरकार व दूसरी संस्थाएं जब घुटने टेक देती हैं, तब भी इसके वॉलंटियर्स संकटग्रस्त लोगों की मदद करते हैं।
रेड क्रॉस संस्था को सरकारें पूरा सहयोग करती हैं। जरूरत होने पर सरकारें फंडिंग भी करती हैं। हेलिकॉप्टर के अलावा सरकारी वाहन भी जरूरत होने पर मुहैया कराए जाते हैं। वर्ल्ड रेड क्रॉस सोसाइटी का काम चौबीस घंटे निरंतर जारी रहता है। वर्ल्ड रेड क्रॉस डे की प्रत्येक वर्ष थीम रखी जाती है। 2023 की थीम है ‘हम जो कुछ भी करते हैं, उसे दिल से करना चाहिए’। इस वर्ष की थीम वाकई महत्त्वपूर्ण है। जब दिल से कोई काम किया जाता है, तो वह बेहतर होता है और व्यक्ति को संतोष भी होता है। यह बात हर जगह लागू होती है।