इंदौर  पुलिस आयुक्त के स्टिंग आपरेशन ने थानों की गड़बड़ी पकड़ ली। इंदौर के 10 थाने आयुक्त की कसौटी पर खरे नहीं उतरे। आयुक्त ने न सिर्फ थाना प्रभारियों को नोटिस भेजा, बल्कि उनके डीसीपी को भी पत्र लिखकर थाने भेज दिया। जिन थानों में गड़बड़ी मिली, उनमें बड़े थाने भी शामिल हैं।

स्टिंग आपरेशन के पहले आयुक्त मकरंद देऊस्कर ने सभी थाना प्रभारियों से कहा था कि थाने में विजिटर रजिस्टर रखें। इसमें आवेदक, शिकायतकर्ता सहित थाने में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का नंबर नोट करवाएं। आयुक्त कार्यालय में एक कॉल सेंटर बनाया और थाना प्रभारी को बताए बगैर उनके थाने में आए आवेदकों से चर्चा की। पुलिसकर्मियों के आचरण और थाने में हुए व्यवहार की जानकारी ली तो पता चला कि 10 थानों में हालत खराब है। आयुक्त ने सभी थाना प्रभारियों को नोटिस जारी कर दिया। चारों जोन के थाने इसमें शामिल हैं। कुछ थाने ऐसे हैं, जहां दो बार चेतावनी दी गई है। सुधार नहीं होने पर आयुक्त ने संबंधित डीसीपी और एडीसीपी को थाने भेजकर आवेदकों को सुनने के निर्देश दिए।

इन बिंदुओं पर बनाई थानों की रिपोर्ट
    • थाना प्रभारी ने आपकी समस्या सुनी या नहीं?
    • थाने में पुलिसकर्मियों का व्यवहार कैसा था?
    • शिकायत करने पर पुलिसकर्मी ने रुपयों की मांग तो नहीं की?
    • थाने में बैठने, पानी पीने के लिए पूछा गया या नहीं?
    • शिकायती आवेदन पर पावती, एफआइआर या अदमचेक की कापी दी या नहीं?
इन थानों में मिली गड़बड़ी

द्वारकापुरी, पलासिया, तिलक नगर, सदर बाजार, तुकोगंज, खजराना, मल्हारगंज, बाणगंगा, परदेशीपुरा, आजाद नगर, तेजाजी नगर में गड़बड़ी मिली है। तुकोगंज, खजराना, बाणगंगा को दो बार चेतावनी दी गई है। डीसीपी और एडीसीपी स्वयं सुनवाई करने जा रहे हैं।

छह सप्ताह में रिपोर्ट लेंगे सीपी

महीनों तक लंबित आवेदनों की जांच के लिए सीपी ने समय सीमा तय कर दी है। थाना प्रभारी को शिकायत के छह सप्ताह में जांच पूर्ण करनी होगी। बताना होगा कि शिकायत पारिवारिक विवाद, सिविल मसला है या आपराधिक प्रकरण बनता है। आयुक्त के अनुसार, यह भी देखा जा रहा है कि किस थाने में थाना प्रभारी आवेदकों से नहीं मिलते हैं? किस थाने से बार-बार वरिष्ठ कार्यालयों में शिकायतें आती हैं? ऐसे थानों और थाना प्रभारियों को चिह्नित कर उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी।