तस्कर और गैंगस्टर पर बनी वो फिल्में जो हुईं सुपरहिट !

तस्कर और गैंगस्टर पर बनी वो फिल्में जो हुईं सुपरहिट, कौन हैं उनके पीछे के असली खलनायक
बॉलीवुड में तस्करों और गैंगस्टरों पर कई फिल्में बनती हैं, लेकिन क्या आपको पर्दे के पीछे का असली विलेन पता है? आज हम लेकर आए हैं उन्हीं फिल्मों और उसके असली विलेन की कहानी.
इन दिनों अल्लू अर्जुन स्टारर पुष्पा 2 का उनके फैंस को बेसब्री से इंतजार है. इसके पहले पार्ट को लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया था. जिसमें अल्लू अर्जुन चंदन तस्कर का रोल प्ले किया था. कहा जाता है अल्लू अर्जुन का ये रोल नामी तस्कर वीरप्पन पर आधारित था.

इसी तरह कंपनी, शूटआउट एट वडाला जैसी फिल्में भी मुंबई के नामी गैंगस्टर्स की कहानी दिखाती हैं. आज हम इन फिल्मों की कहानी के पीछे उन असली खलनायकों की कहानी बताने जा रहे हैं.

पुष्पा के पीछे के गैंगस्टर की कहानी
अल्लू अर्जुन की सुपरहिट फिल्म पुष्पा को वीरप्पन की असल कहानी पर आधारित बताया जाता है. वीरप्पन के बारे में यदि आप नहीं जानते हैं तो बता दें, वो खूंखार डकैत कहा जाता था. जिसका नाम अखबारों में तो खूब छपता ही था, साथ ही जब तक वो जिंदा रहा तब तक लोग उससे खूब खौफ खाते थे. 

कूज मुनिस्वामी वीरप्पन को लोग आमतौर पर वीरप्पन के नाम से ही जानते थे. वीरप्पन कुख्यात डाकू था जो 30 सालों तक कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के जंगलों में रहा था. 

वीरप्पन चंदन, हाथी के दांतों की तस्करी और अपहरण चोरी, डकैती के लिए भी जाना जाता था. उसने 17 साल की उम्र में पहला मर्डर किया था. वहीं कहा जाता है उसका शिकार बने ज्यादातर लोग आईपीएस अधिकारी और फॉरेस्ट ऑफिसर होते थे.

1987 में वीरप्पन केंद्र सरकार की नजर में तब आया जब उसे फॉरेस्ट ऑफिसर चिदंबरम को किडनैप कर उनका मर्डर कर दिया था.

वीरप्पन को पकड़ने के लिए तमिलनाडु स्पेशल टास्क फोर्स ने एक ऑपरेशन चलाया था जिसे ‘ऑपरेशन कोकून’ नाम दिया गया था.  जिसमें वीरप्पन मारा गया. वीरप्पन इतना कुख्यात था कि उसकी मौत के बाद उसे देखने हजारों लोग उसे देखने आए थे, जबकि कई लोगों को तो पुलिस सुरक्षा के चलते उसे देखने अंदर ही नहीं जाने दिया गया था.

कौन है शूटआउट एट वडाला का असली गैंगस्टर
कहा जाता है संजय गुप्त के डायरेक्शन में बनी और जॉन अब्राहिम की एक्टिंग से सजी फिल्म ‘शूटआउट एट वडाला’ मुंबई के कुख्यात गैंगस्टर मान्या सुर्वे के जीवन पर आधारित है. जो सुपरहिट साबित हुई.

मान्या का असली नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था. जिसे अंडरवर्ल्ड का पहला पढ़ा लिखा डॉन कहा जाता था. मानया केमिस्ट्री में 78% मार्क्स के साथ ग्रेजुएट हुआ था. कहा जाता है कि उसे उस हत्या के इल्जाम में आजीवन कारावास की सजा मिली थी जो उसने की ही नहीं थी.

ऐसे में मान्या 9 साल की सजा पूरी करने के बाद 20 किलो वजन कम होने के बाद बीमार होने के चलते अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां से वो भाग गया. बस यहीं से मान्या ने गैंगस्टर बनने का ठान लिया था.

जेल से भागकर उसने अपनी गैंग बनाई. वो एक्सपर्ट्स की तरह चोरियों को अंजाम देने के लिए जाना जाता था. उसने कई चोरियां की थीं. उसने अपनी पहली चोरी में ही एक हत्या को अंजाम दे दिया था. 

मान्या का खौफ पूरी मुंबई में फैल चुका था. जिसके बाद मान्या पुलिस एनकाउंटर में मारा जाने वाला भारत का पहला गैंगस्टर बन गया.

कंपनी है इन दो गैंगस्टर की कहानी
राम गोपाल वर्मा की फिल्म कंपनी में अजय देवगन ने लीड रोल निभाया था. 2002 में रिलीज हुई ये फिल्म दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के बीच के संबंधों पर आधारित थी. 

जो काफी अच्छे दोस्त थे लेकिन 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों के बाद एक-दूसरे के पक्के दुश्मन बन गए थे, जिनकी साजिश पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के समर्थन से इब्राहिम ने रची थी. 

फिल्म में मैक्सिको सिटी के शीर्ष गैंगस्टरों के काम करने के तरीके को बताया गया था. बता दें छोटा राजन की शादी भी दाऊद ने ही करवाई थी जिसमें उसकी पत्नी भी शामिल हुई थी.

लेकिन छोटा राजन को मुंबई में दाऊद को 26/11 हमला करवाना पसंद नहीं आया. इसलिए उसने दाऊद से दूरी बना ली. इसके बाद दाऊद ने छोटा राजन पर कई बार जानलेवा हमले भी करवाए, लेकिन छोटा राजन उनसे बच निकला. 

इसके बाद छोटा राजन मुंबई से मलेशिया शिफ्ट हो गया और वहां अपने धंधे चलाने लगा. हालांकि 2015 में उसे इंडोनेशिया के बाली से गिरफ्तार कर भारत ले आया गया. जिसके बाद से ही वो तिहाड़ जेल में बंद है. संजय दत्त स्टारर फिल्म वास्तव: द रियलिटी भी छोटा राजन के जीवन पर ही आधारित है.

वहीं दाऊद की बात करें तो मुंबई बम ब्लास्ट के बाद उसने पाकिस्तान में पनाह ली. जिसके बाद से ही भारत की सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर है.

हाजी मस्तान की कहानी बताती है वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई
वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई में अजय देवगन और इमरान हाशमी ने गैंगस्टर हाजी मस्तान और दाऊद इब्राहिम का रोल प्ले किया था.

हाजी मस्तान 1960 से 1970 के दशक में मुंबई में काफी लोकप्रिय गैंगस्टर था. माना जाता है हाजी मस्तान उन लोगों में से एक था जिन्होंने मुंबई में अंडरवर्ल्ड की नींव रखी थी.

8 साल की उम्र में मुंबई आया हाजी मस्तान अपने पिता के साथ पंचर की दुकान चलाता था. जो ज्यादा चली नहीं तो वो हज यात्रियों के लिए कुली का काम करने लगा.

जब उसने देखा कि हज यात्रियों की ज्यादा तलाशी नहीं ली जाती तो बस यहीं से उसने सोने की तस्करी करना शुरू कर दिया.

तस्करी करते-करते वो मुंबई का पहला डॉन बन गया. एक समय ऐसा था जब पूरे मुंबई में हाजी मस्तान का नाम जाना जाने लगा था. हालांकि कुख्यात डॉन होने के बाद भी हाजी ने कभी किसी पर गोली नहीं चलाई.

मस्तान ने 1980-81 में एक पार्टी बनाई, दलित मुस्लिम सुरक्षा महासंघ. यह भारत की राजनीति में पहला प्रयोग था जब दलितों और मुस्लिमों के राजनीतिक गठजोड़ के बारे में सोचा गया था.

हाजी मस्तान का नाम मुंबई में खत्म करने वाला और कोई नहीं बल्कि उसका ही चेला दाऊद इब्राहिम था. हालांकि हाजी मस्तान पर कभी कोई आरोप साबित नहीं हो सका.

डी डे में ऋषि कपूर ने निभाया था इकबाल सेठ का किरदार
2013 में निखिल आडवाणी की फिल्म डी डे रिलीज हुई थी. इस फिल्म में ऋषि कपूर ने पाकिस्तान स्थित गैंगस्टर इकबाल सेठ उर्फ गोल्डमैन का किरदार निभाया था. 

इस फिल्म में ऋषि कपूर का पूरा गेटअप इकबाल सेठ से मिलता जुलता रखा गया था. इकबाल सेठ पाकिस्तान का नामी गैंगस्टर माना जाता है, जिसका दबदबा कई देशों में है.

इकबाल ने भारत में भी कई कारनामों को अंजाम दिया था जिसके चलते भारत को भी उसकी तलाश थी.

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