ग्वालियर. हजार बिस्तर अस्पताल में उखड़ी परतों को दबाने के लिए काम शुरू हो चुका है। शुक्रवार को करीब एक दर्जन कर्मचारी पाइप लाइन को बिछाने का काम करते नजर आए। यह पाइप लाइन बार बार पानी के प्रेशर के चलते फूट रही थी। जिससे अस्पताल में पानी भर जाता था और दीवारों पर सीलन आ रही थी। यही नहीं इस कारण से सातवें मंजिल की फालसीलिंग तक टूट गई। इससे पहले पीआईयू और कंपनी के कर्मचारियों ने उन खामियों की गिनती की जो दो दिन पहले कलेक्ट्रेट में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गिनाई थीं। केन्द्रीय मंत्री की सख्ती के बाद आखिर कार हजार बिस्तर अस्पताल में सुधार कार्य शुरू कर दिया गया है। गौरतलब है कि नईदुनिया लगातार हजार बिस्तर अस्पताल की खामियों को उजागर कर रहा था। जिसमें दीवारों में आई दरार से लेकर सीलन,सीवेज की समस्य,पाइप लाइन की समस्या, शौचालय,गंदगी,गर्म पानी सहित कई समस्याएं है जिनके बारे में प्रकाशित किया गया था। जिस पर केन्द्रीय मंत्री ने खुद संज्ञान लिया है। इसके साथ ही प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने हजार बिस्तर अस्पताल के भवन निर्माण में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच कराने के लिए कहा है।

खामियाें की हुई गिनती

केन्द्रीय मंत्री द्वारा जिन बिंदुओं को बैठक में उठाया था। उन्हीं बिन्दुओं के आधार पर शुक्रवार को पीआईयू व कंपनी के दल ने पूरे अस्पताल का भ्रमण किया और जितने स्थानों पर दीवार में दरारा आई उन्हें चिन्हित किया गया। इसके अलावा टूटी फाल सीलिंग,चौक सीवेज लाइन,बार बार गेट का टूटना, दीवारों में सीलन,सहित हर बिंदु को डायरी में नोट किया। जिन स्थानों पर इस तरह की समस्याएं हैं वह दूरी करने के निर्देश दिए गए। दरारों को पुट्टी से ढक कर ऊपर से रंग रोशन करने के लिए कहा गया है।

सफाई के दिए निर्देश

इधर गजराराजा मेडिकल कालेज के डीन डा अक्षय निगम का कहना है कि उन्होंने सीमित संसाधनों में बेहतर काम करने के निर्देश दिए हैं। अस्पताल में सफाई व्यवस्था दुरस्त रहे। इसके लिए सुबह और दोपहर में सफाई कराई जाएगी। जिससे अस्पताल में गंदगी न रहे।शौचालय की सफाई तीन समय करने के निर्देश दिए गए हैं।इसके साथ ही गार्डों को निर्देश दिए गए कि मरीज के अटेंडेंट गुटखा तंबाकू लेकर प्रवेश न कर सकें।

पार्किंग की समस्या बरकरार

हजार बिस्तर अस्पताल में प्रवेश द्वार हाकी स्टेडियम के सामने वाला खोला गया है। लेकिन एक द्वार खोलने से वहां पर पार्किंग ठेकेदार ने अपने कर्मचारी बैठा दिए। जो मरीज व उसके अटेंडेंट के वाहन काे प्रवेश करने से पहले शुल्क वसूली करते हैं। इससे मुख्य गेट पर भीड़ जमा हो जाती है और जाम लग जाता है। क्योंकि एक ही द्वार अंदर और बाहर के लिए खुला हुआ है। यदि दूसरा गेट खोल दिया जाए जिसमें एक द्वार प्रवेश और दूसरा निकासी के लिए बने तो द्वार पर जाम की स्थिति नहीं रहेगी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है।