जीवाजी विश्वविद्यालय: आडियो कांड के बाद अब प्राचार्य फर्जीवाड़ा …?

जांच कमेटी नहीं बनी …

जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त कालेजों के निरीक्षण से रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। चाहे बात करें बीएड की संबद्धता के नाम पर कथित रूप से ईसी के भ्रष्टाचार का आडियाे बहुप्रसारित होने की या फिर बिना स्पष्ट अनुसंशा के कालेजों को संबद्धता देने की या फिर हाल ही में उजागर हुअा प्राचार्य कांड, जिसमें एक प्राचार्य का नाम कई कालेजों में दर्ज है। इतने सब आरोपों में घिरे जीवाजी विश्वविद्यालय का नाम भाेपाल तक खराब हो चुका है। उच्च शिक्षा विभाग में भी मामले को लेकर सुगबुगाहट चल रही है। सुनने में आया है कि पूरे मामले से अवगत करवाने के लिए कार्य परिषद के एक सदस्य राजभवन में पत्र भी लिख रहे हैं। इतना सब होने के बावजूद जेयू सिर्फ ए के तमगे को सिर पर सजाकर बैठा है। बता दें कि कार्यपरिषद की आखरी बैठक मे हुए हंगामे के परिणाम स्वरूप एक जांच कमेटी का बनाया जाना तय हुआ था। आलम यह है कि उस जांच कमेटी का अभी तक कोई अता पता नहीं है। जब जेयू से जांच कमेटी के बारे मे पूछा तो उन्होंने भी कोई निश्चित समय नहीं बताया।

– कार्यपरिषद सदस्य : मैने तो कह दी कि साहब ये जो सवा करोड़ आये हैं। इनमें से ऊपर ऊपर के हटा दो बाकी के अपने पास रख लो। ऊपर के बांट दो। वैसे तो ये ईसी मान नहीं रहे, छह के छह ईसी ऊधम कर रहे हैं। पर मैं कोशिश करूंगा शायद मान जाएं।

– कार्यपरिषद सदस्य: साहब बोले फिर क्या होगा ? हमने कही, कि जब पहले आपसे बात रखी तब ही मान लेते, तब तो उतने में ही निपट रही थी तो साहब बोले कि हमने तो कहा था रेक्टर साहब से। मैंने भी कह दिया कि न रेक्टर देना चाह रहे थे ना तुम।

– कार्यपरिषद सदस्य: अब तुम्हारे और रेक्टर साहब के विचार हों, तो मिल लो। तुम और रेक्टर साहब आ जाओ यहां से हम छह आ जाते हैं। ये सवा करोड़ की बोरी रखी है इसे हटा रहे हो ?

– कार्यपरिषद सदस्य: अब सुनाे रेक्टर और ये दोनों तैयार हो रहे हैं बैठने के लिए, अब अा रहे हैं तो कुछ न कुछ दे कर ही जाएंगे। द्यअन्य व्यक्ति: हां, सही है ।

(नोट: अग्रित पत्रिका  आडियो सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।)

अस्पष्ट अनुशंसा के बाद उजागर हुआ प्राचार्य फर्जीवाड़ा

बीएड कालेजों का निरीक्षण करने के लिए जो निरीक्षण दल कालेजों में गए थे उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट को स्थायी समिति के समक्ष पेश किया था। उसमें लगभग 77 कालेज ऐसे थे, जिनमें कुछ कमियां पाई गई थी और निरीक्षण दल ने इन्हें संबद्धता देने की स्पष्ट अनुशंसा नहीं की थी, लेकिन इसके बाद भी जेयू ने सभी कालेजों को संबद्धता दे दी थी। ऐसे ही हाल ही में प्राचार्यों से जुडा एक फर्जीवाडे़ का मामला सामने आया है, जिसमें अंचल के बीएड कालेजों में एक ही प्राचार्य का नाम दो और दो से अधिक कालेजों में लिखा हुआ है।

मंत्री ले चुके संज्ञान

विधायक ने मांगा था इस्तीफा प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन सिंह यादव भी इस मामले का संज्ञान ले चुके है। इसमें मामले की जांच करवा कर दोषियों पर कार्यवाही करवाने की बात उच्च शिक्षा मंत्री कह चुके हैं। वहीं दक्षिण विधानसभा के विधायक प्रवीण पाठक ने भी जेयू को भ्रष्टाचार का अड्डा बताते हुए कुलपति से नैतिक तौर पर इस्तीफे की मांग की है।

कार्यपरिषद की पिछली बैठक में निर्णय लिया था कि जांच कमेटी बनानी है। कमेटी पर मोहर भी ईसी की बैठक में ही लगेगी। कुलपति को जल्द से जल्द बैठक ईसी की बुला कर जांच कमेटी का निर्णय करना चाहिए ।

डा. विवेक सिंह भदौरिया कार्यपरिषद सदस्य, जेयू

मामले को लेकर जांच कमेटी बनना है इस बात का निर्णय हो चुका है। बाकी कमेटी निर्धारित करने का मिनिट्स में ऐसा कुछ समय निर्धारित नहीं है ।

डा़ विमलेंद्र सिंह राठौर जन संपर्क अधिकारी, जेयू

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *