अपनी रक्षा के लिए कानूनों का लाभ नहीं उठा पाती महिलाएं,’ कलकत्ता HC
कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने दावा किया कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए देश में कई कानूनों को लागू किए जाने के बावजूद वो अक्सर उन कानूनों का लाभ उठाने में असमर्थ होती हैं. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय समाज सुधारक राजा राम मोहन राय पर एक संगोष्ठी में बोल रहे थे जिनकी 251वीं जयंती सोमवार को मनाई जाएगी.
मैटरनिटी लीव पर चर्चा शुरू होने के बाद…
इस मामले पर उन्होंने ये भी याद दिलाया कि 1950 में मैटरनिटी लीव पर चर्चा शुरू होने के बाद से इसे लागू करने में 11 साल तक का समय लग गया. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, को देर से पेश करने का भी उल्लेख किया.
महिलाओं के खिलाफ मानसिक उत्पीड़न के संबंध में…
व्यक्तिगत मामलों पर किसी महिला पर मौखिक दुर्व्यवहार या हमला करना भी उत्पीड़न के बराबर है. ऐसी चीजों का सामना करने वाली एक महिला को संबंधित कानून प्रवर्तन अधिकारियों से संपर्क करने का अधिकार है. लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में कई लोग महिलाओं की गरिमा की अवधारणा से अवगत नहीं हैं. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ मानसिक उत्पीड़न के संबंध में कानून यूरोप और अमेरिका में कहीं अधिक है.
पीओएसएच अधिनियम के संबंध में, उनका विचार यह था कि कार्यालयों में महिला अधीनस्थ अक्सर यौन उत्पीड़न के मामलों की रिपोर्ट करने में संकोच करती हैं, ऐसी घटनाएं भी होती हैं कि कुछ महिलाएं उस अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग करती हैं.