नेशनल हाइवे NH 719 पर एक साल में 250 हादसे, 100 लोग गंवाते हैं जान ..?
नेशनल हाइवे पर एक साल में 250 हादसे, 100 लोग गंवाते हैं जान फिर भी फोरलेन बनाने में देरी
नेशनल हाइवे- 719 (ग्वालियर- भिंड- इटावा रोड) को फोर लेन बनाने के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने भले ही अनुमति दे दी है। लेकिन इसकी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने के लिए सरकार अब तक एजेंसी नियुक्त नहीं कर पाई है। पिछले करीब एक साल से डीपीआर बनाने के लिए एजेंसी नियुक्त करने संबंधी फाइल केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय दिल्ली में अटकी हुई है। परिणामस्वरुप इस हाइवे को फोरलेन करने की बात सिर्फ कागजी साबित हो रही है। जबकि धरातल कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।
बता दें कि ग्वालियर-भिंड-इटावा रोड का निर्माण करीब 13 साल पहले हुआ था। वर्तमान में यह हाईवे टू-लेन हैं। 10 मीटर चौड़े इस हाईवे पर ट्रैफिक का काफी दबाव बढ़ गया है, जिससे आए दिन इस पर हादसे हो रहे हैं। यातायात पुलिस के रिकार्ड के अनुसार एक वर्ष में इस हाईवे पर करीब 250 हादसे होते हैं। इसमें लगभग 90 से 100 लोग अपनी जान गंवाते हैं। ऐसे में इसे फोरलेन किए जाने की मांग लंबे समय से उठ रही थी।
वहीं जनवरी 2022 में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने उक्त हाईवे पर भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए इसे फोनलेन अथवा सिक्सलेन बनाने के लिए डीपीआर बनवाने की अनुमति प्रदान की थी। लेकिन करीब डेढ़ साल गुजरने के बाद भी अब तक इसकी डीपीआर बनाए जाने के लिए सरकार अब तक एजेंसी नियुक्त नहीं कर पाई है।
10 कंपनियों ने डाले थे टेंडर:
बताया जा रहा है कि एनएच- 719 की डीपीआर बनाने के लिए मंत्रालय से टेंडर बुलाए गए थे, जिसमें 10 कंपनियों ने फार्म डाले थे। इन कंपनियों के वेल्युएशन होना है। लेकिन करीब एक साल मंत्रालय में यह कार्य पूरा नहीं हो पाया है। बताया जा रहा हे कि मंत्रालय में टेंडर डालने वाली कंपनियों का टेक्नीकल (तकनीकी) वेल्युएशन तो हो गया है। लेकिन फाइनेंसियल वेल्युएशन रह गया है, जिससे डीपीआर बनाए जाने संबंधी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है।परिणामस्वरुप एक साल गुजरने के बाद भी इस हाईवे को फोरलेन अथवा सिक्सलेन किए जाने संबंधी कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है। वहीं एमपीआरडीसी भी एजेंसी नियुक्त होने का इंतजार कर रही है।
हर रोज 20 हजार पीसीयू ट्रैफिक है हाइवे पर
ग्वालियर से इटावा बाया भिंड होते हुए 108 किलोमीटर लंबे इस टू-लेन हाईवे पर हर रोज 20 हजार पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) ट्रैफिक गुजरता है। जबकि भारत सरकार के नए नियमों के अनुसार यदि किसी रोड पर 15 हजार पीसीयू प्रतिदिन ट्रैफिक हैं तो उसे फोरलेन बनाया जाता है। ऐसे में ट्रैफिक के हिसाब से हाईवे की चौड़ाई कम होने के कारण इस पर हर रोज हादसे हो रहे हैं।
पुलिस रिकार्ड के अनुसार एक साल में इस रोड पर 250 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। ऐसे में यदि यह हाईवे फोरलेन अथवा सिक्सलेन होता है तो इस पर होने वाले हादसों में काफी कमी आएगी। बावजूद अफसर और जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
12 से 46.5 मी. चौड़ा हो जाएगा हाइवे
एमपीआरडीसी के अफसरों के अनुसार ग्वालियर-भिंड-इटावा रोड की औसत चौड़ाई 12 मीटर है, इसमें 10 मीटर में रोड बनी है। वहीं सड़क के दोनों ओर एक-एक मीटर चौड़ाई के सोल्डर हैं। वहीं यदि इस हाईवे को फोरलेन किया जाता है तो 10-10 मीटर की प्रत्येक लेन के अनुसार हाईवे की चौड़ाई 40 मीटर हो जाएगी। वहीं हाईवे के बीच ढाई मीटर का डिवाइडर रहेगा। साथ ही दोनों किनारों पर दो-दो मीटर के सोल्डर बनाए जाएंगे। यानि सड़क की कुल चौड़ाई 12 मीटर से बढ़कर 46.5 मीटर हो जाएगी। वहीं यदि इसे सिक्सलेन बनाया जाता है तो हाईवे की चौड़ाई 20 मीटर ओर बढ़ जाएगी।
2025 तक है हाइवे निर्माता कंपनी से है अनुबंध
यहां बता दें कि ग्वालियर- भिंड- इटावा हाईवे पहले एनएचएआई के अंतर्गत आता था। लेकिन करीब 14 साल पहले प्रदेश सरकार ने इसे अपने अंतर्गत ले लिया था। साथ ही एमपीआरडीसी ने बीओटी (बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर) प्रोजेक्ट के तहत इसका निर्माण कराया था। इसके चलते हाईवे बनाने वाली कंपनी को सरकार ने 2025 तक टोल वसूलकर अपनी लागत निकालने का अनुबंध किया था। लेकिन जनवरी 2022 में एनएचएआई ने फिर से इसे अपने अंतर्गत लेते हुए फोरलेन अथवा सिक्सलेन करने की अनुमति दी।
लेकिन पिछले करीब डेढ़ साल में सरकार इसकी डीपीआर के लिए एजेंसी नियुक्त नहीं कर पाई है। इधर धीरे- धीरे टोल वसूलने वाली कंपनी के अनुबंध की समय सीमा पूरी हो रही है। जानकारों की मानें तो सरकार इस अनुबंध की समय सीमा के चलते ओर एजेंसी नियुक्त करने में तत्परता नहीं दिखा रही है।