नोएडा :  जीएसटी विभाग को 1000 फर्जी कंपनियों की तलाश …?

बोगस बिलों के जरिये करोड़ों के हेरफेर के संकेत मिलने पर जीएसटी विभाग अलर्ट

केंद्रीय और राज्य जीएसटी विभाग का सर्वे शुरू होते ही कारोबार जगत में अफरातफरी

कारोबारियों को भेजे जा रहे नोटिस, वर्ष 2017-18 से लेकर अब तक का हिसाब मांगा जा रहा
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542 कारोबारी हाई रिस्क श्रेणी में डाले

नोएडा। फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों रुपये की हेरफेर करने वाले देशभर में फैले सिंडिकेट के खिलाफ अभियान शुरू हो गया है। इसी कड़ी में जिले में भी ऐसी 1000 फर्जी कंपनियों की तलाश शुरू कर दी गई है, जिन्होंने बोगस बिलों के जरिये कागजों में ही करोड़ों रुपये का कारोबार कर डाला। केंद्र और राज्य वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग की टीमों ने सर्वे शुरू कर दिया है।

केंद्रीय और राज्य जीएसटी विभाग की तरफ से कारोबारियों को ताबड़तोड़ नोटिस भी भेजे जा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर अब तक के कारोबार का हिसाब मांगा जा रहा है। अचानक आ रहे नोटिस ने कारोबारियों में अफरातफरी का माहौल बना दिया है। पंजीयन के हिसाब से केंद्रीय और राज्य जीएसटी विभाग की तरफ से नोटिस भेजे जा रहे हैं। विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बीते तीन से चार साल में गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में बड़े पैमाने पर ऐसे मामले पकड़े गए हैं जिनमें बोगस बिलों के जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लेकर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया। ऐसे में इन दोनों ही जनपदों को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखकर जांच पड़ताल की जा रही है।

11000 फर्मों की जानकारी इंटेलिजेंस से मिली

बिजनेस इंटेलिजेंस एंड फ्रॉड एनालिटिक्स (बीफा) सॉफ्टवेयर से 11 हजार से ज्यादा ऐसी फर्मों की जानकारी विभाग को मिली है, जिन्होंने बोगस बिलों के जरिये कागजों में करोड़ों रुपये की ट्रांजेक्शन कर डाली। इनमें 542 कारोबारी हाई रिस्क श्रेणी में डाले गए हैं, लेकिन केंद्रीय जीएसटी विभाग से मिलने इनपुट पर अब पहले चरण में एक हजार कंपनियों को निशाने पर लिया गया है।

फर्जी दस्तावेज से कंपनियां पंजीकृत
एक साल पहले राज्य जीएसटी विभाग की टीमों ने गौतमबुद्धनगर की 18 और गाजियाबाद की 13 लोकेशन पर एक साथ छापे मारे थे। फर्जी दस्तावेज के आधार पर जीएसटी पंजीयन कराया गया और बोगस बिलों के जरिये कागजों में 650 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार कर 128 करोड़ रुपये से ज्यादा की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम किया गया। 11 लोकेशन ऐसी थीं जहां खाली प्लॉट और झुग्गियां मिलीं। अब जिन फर्मों की जांच की जा रही हैं, उनमें भी ऐसे ही मामले उजागर होने की आशंका है।

हाई रिस्क श्रेणी की कंपनियां
रेडिमेड गारमेंट
126

मशीनरी, इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद
126

रियल एस्टेट और निर्माण उद्योग

110

आईटी और टेलीकॉम सेक्टर

134

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जीएसटी विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर मांग उठाई है कि डोर टू डोर सर्वे के नाम पर उद्यमी-व्यापारियों की परेशानी न बढ़ाई जाए। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि केवल फर्जी कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी। -नरेश कुच्छल, जिलाध्यक्ष-उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल

साल 2022 की बड़ी कार्रवाई

-01 अप्रैल : सेक्टर-62 में एक ही इमारत में चल रही तीन अलग फर्म फर्जी तरीके से आपस में ट्रेडिंग कर करोड़ों रुपये की कर चोरी में संलिप्त पाई गईं। 3.72 करोड़ रुपये की कर चोरी का खुलासा हुआ।

-22 अप्रैल : गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में 43 जगह छापे मारकर 128 करोड़ रुपये की कर चोरी का खुलासा। लोहा कारोबार के नाम पर बोगस बिल और फर्जी कंपनियों के जरिये कर चोरी।

– 01 अगस्त : सेक्टर-80 स्थित एक बीपीओ कंपनी में छापा मारकर 89 लाख रुपये की कर चोरी पकड़ी। बोगस बिलों के जरिये 73 करोड़ की कर चोरी का खुलासा
– 30 सितंबर : नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद की 11 लोकेशन पर छापे मारे। 20 ऐसी फर्जी फर्मों की जानकारी सामने आई है जिनके माध्यम से बोगस बिलों के आधार पर 73.46 करोड़ रुपये कर चोरी हुई।

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