सिकुड़ती झीलें नए संकट का खतरा ..?
दरअसल ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण जलाशयों के सूखने से कृषि और पीने योग्य पानी की आपूर्ति पर दबाव बढ़ रहा है, पौधों और मछलियों के आवास खतरे में पड़ रहे हैं, जलविद्युत उत्पादन क्षमता कम हो रही है और समुद्री मनोरंजन और पर्यटन पर खतरा मंडराने लगा है। झीलों के सूखने के महत्त्वपूर्ण आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। कम पानी की उपलब्धता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती है, जिससे फसल खराब होती है और सिंचाई लागत में वृद्धि होती है। जब झीलें सूखती हैं तो उपलब्ध जल संसाधन कम हो जाते हैं, जिससे वैकल्पिक जल स्रोतों पर दबाव बढ़ जाता है और संभावित रूप से जल आवंटन को लेकर विवाद भी पैदा होते हैं। दुनिया भर में सिकुड़ती झीलों से न केवल जैव विविधता को खतरा है बल्कि मीठे पानी के इन स्रोतों पर निर्भर समुदाय भी जोखिम में हैं। जलवायु परिवर्तन झीलों के सूखने में अहम कारक है। झीलों का सूखना एक गंभीर वैश्विक चिंता है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी झीलों की रक्षा करें, न केवल अपने लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी।