बाघों की मौत का बढ़ा ‘पारा’ 3 साल की गर्मी में 48 ने तोड़ा दम

जंगल में सूख रहे पानी के स्रोत प्यास बुझाने भटक रहे बाघ, फंदों में फंसने से भी हो जाती है मौत …

भोपाल. गर्मी में बाघों का दम घुट रहा है। हर साल गर्मी के सीजन में वनराज की मौत का आंकड़ा बढ़ जाता है। बीते तीन वर्षों में मार्च से जून तक प्रदेश में 48 बाघों की मौत हुई। वहीं देशभर में इन्हीं चार माह में 138 बाघों ने दम तोड़ा। हालांकि मध्यप्रदेश में बरसात में 13 और ठंड में 38 यानी दोनों सीजन में 51 बाघ मरे। इससे इतना तो स्पष्ट है कि ठंड-बरसात में जितने बाघों की जान गई, उतने अकेले गर्मी में मरे।

बाघों की मौत का मुख्य कारण वन विभाग के एक्सपर्ट-शिकार को मान रहे हैं? नाम नहीं छापने की शर्त पर एक डॉक्टर ने बताया कि गर्मी का पारा बढ़ते ही जंगलों में पानी के स्रोत सूखने लगते हैं। प्यास बुझाने के लिए बाघ इधर-उधर भटकते हैं। इसी बीच शिकारी मौके का फायदा उठाकर बाघों की जान ले लेते हैं। एनटीसीए के आंकड़े भी यही कहते हैं, क्योंकि मध्यप्रदेश में जिन 48 बाघों की मौत गर्मी में हुई, उनमें 18 तो जंगल के बाहर मृत पाए गए। यानी उनका शिकार किया गया है।

मार्च व मई में 28 बाघों की मौत

म ध्यप्रदेश में मार्च और मई में ज्यादा बाघ मर रहे हैं। तीनों वर्षों को मिलाकर मार्च और मई में 14-14 बाघ मरे। अप्रेल में 13 और जून में 6 बाघों की मौत हुई। 2023 में मार्च के महीने में 4, अप्रेल 3, मई 6 और जून में एक बाघ की मृत्यु हुई। वहीं 2022 में मार्च और अप्रेल में 6-6 और जून में 5 बाघों ने दम तोड़ा। 2021 के मार्च और अप्रेल में 4-4, मई में 8 और जून में सिर्फ एक बाघ की मौत हुई।

बांधवगढ़ में 12 और पेंच में 7 बाघों की मौत

मार्च से मई 2023 में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 5 बाघों की मौत हुई। संजय दुबरी में 1, कान्हा में 3, पेंच में 2 और जंगल से बाहर 3 बाघ मृत पाए गए। वहीं 2022 में जंगल के बाहर 6 बाघ मरे मिले। पेंच में 3, संजय दुबरी में 2, सतपुड़ा में 1, बांधवगढ़ में 3 व कान्हा व पन्ना में 1-1 बाघ की मौत हुई। 2021 में 8 बाघ जंगल के बाहर मर। पेंच में 2, बांधवगढ़ में 4, कान्हा में 4 और पन्ना में 1 बाघ की मौत हुई। यानी तीन साल में मार्च से जून तक सबसे ज्यादा 16 बाघ जंगल के बाहर मरे मिले। बांधवगढ़ में 12, कान्हा में 6, पेंच में 7, संजय में 3, पन्ना में 2 और सतपुड़ा में 1 बाघ की मौत हुई।

29 वयस्क और 19 शावकों की मौत तीनों वर्षों के गर्मी के सीजन में 29 वयस्क और 19 शावकों की मौत हुई है। 2023 में मार्च से 4 जून तक 8 वयस्क और 6 शावक ने दम तोड़ा। 2022 में 11 वयस्क और 6 शावक तो 2021 में 10 वयस्क और 7 शावकों की जान गई।

पानी के तलाश में फंस जाते हैं…

संजय टाइगर रिजर्व के वाइल्ड लाइफ डॉक्टर अभय सेंगर का कहना है कि गर्मी के दिनों में जंगलों में पानी के स्रोत सूख जाते हैं। बाघ पानी की तलाश में भटकता है, कई बार जंगल के बाहर भी चला जाता है और समस्या में फंस जाता है।

गर्मी में पानी की तलाश में बाघ भटकते हैं। एक साथ कई बाघ हो जाते हैं तो आपसी संघर्ष में भी मौत हो जाती है। दूसरा करण खेतों में फसल को बचाने लोग फंदा डालते हैं। बिजली करंट फैला देते हैं। इससे भी जान चली जाती है। – पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ

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