अपने करियर को बिजनेस की तरह देखना शुरू कर दें ..!

तेजी से बढ़ रही है ​​​​​​​फ्रीलांसिंग; अपने करियर को बिजनेस की तरह देखना शुरू कर दें …

भारत की गिग इकोनॉमी 17% की सालाना गति से बढ़ते हुए 2024 तक 455 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है। टैग्ड डिकोडिंग जॉब्स 2023 इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले सालों में गिग इकोनॉमी गैर-कृषि क्षेत्र में 30% नौकरियों का सृजन कर सकती है और भारत की जीडीपी में 1.25% का इजाफा कर सकती है।

गिग वर्क एक नया विचार है और अभी टेक, मीडिया, डिजाइनिंग, लॉजिस्टिक्स जैसे कुछ ही सेक्टरों तक सीमित है, इसके बावजूद आंकड़े बताते हैं कि यह विभिन्न इंडस्ट्रीज़ में सेवा सम्बंधी अनेक भूमिकाओं का निर्वाह कर सकती है।

नई ग्लोबल इकोनॉमी में गिग-वर्कर्स कार्यशक्ति के सबसे पसंदीदा स्रोत बनकर उभरे हैं। तकनीकी उन्नति से भारत में भी गिग इकोनॉमी आगे बढ़ी है, जिससे गिग वर्कर्स (फ्रीलांसरों) को अनुबंध-आधारित काम मिलने लगा है। इसके पीछे अनेक कारण हैं।

टैग्ड का बेस्ट कम्पनीज़ टु वर्क फॉर 2023 सर्वे बताता है कि आज 41% पेशेवर ऐसे हैं, जो गिग वर्क में शिफ्ट करना चाहते हैं। 2021 में यह संख्या मात्र 33% थी। आज लोग अपने वर्क-शेड्यूल पर बेहतर नियंत्रण चाहते हैं और अधिक स्वायत्तता की तलाश करते हैं। वे वर्क-लाइफ संतुलन को प्राथमिकता देना चाहते हैं। उन्हें काम में लचीलापन पसंद है।

वे चाहते हैं कि अपने असाइनमेंट्स का चयन खुद करें। इन तमाम बातों से गिग इकोनॉमी आगे बढ़ रही है। भारत में स्टार्टअप्स की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। आज भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसका मूल्य 341 अरब डॉलर आंका गया है।

इन नई कम्पनियों को प्रतिभाशाली वर्कफोर्स की जरूरत है, लेकिन उनके पास बजट की किल्लत है और वे अपने कर्मचारी को पीएफ योगदान, ओवरटाइम का भुगतान, पेड लीव आदि की सुविधा नहीं दे सकतीं। ऐसे में गिग इकोनॉमी उन्हें एक प्रभावी और त्वरित समाधान मुहैया कराती है। वे अपने कोर और ऑन-डिमांड ऑपरेशंस को आउटसोर्स कर सकते हैं, जिसके लिए उन्हें भर्ती-प्रक्रिया में लगने वाले समय, ऊर्जा और पैसों से छुटकारा मिल जाता है।

अपवर्क और ट्रूलांसर जैसे फ्रीलांसिंग प्लेटफॉर्मों के उदय से भी गिग इकोनॉमी की ग्रोथ में इजाफा हुआ है। ये दोनों स्टार्टअप्स और फॉर्च्यून 500 कम्पनियों ने इन प्लेटफॉर्मों पर अपनी निर्भरता बढ़ा ली है। 2030 तक भारत में नौकरियों का परिदृश्य आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ऑटोमेशन के प्रभाव के चलते बहुत डिमांडिंग हो जाएगा।

ऐसे में आपके पास गिग इकोनॉमी में अपनी पोजिशन सुरक्षित रखने के लिए जरूरी स्किल्स का होना जरूरी है। अगर आपको गिग इकोनॉमी में सफल होना है तो अपने कॅरियर को जॉब की तरह बिजनेस की तरह देखना शुरू कर दें।

मार्क ट्वेन ने कहा था, आगे बढ़ने के लिए जरूरी है शुरुआत करना। यह गिग इकोनॉमी के संदर्भ में विशेष तौर पर प्रासंगिक है, क्योंकि आपको छोटे कदमों से शुरुआत करना होगी और यह समझना होगा कि क्या आप इस सेक्टर के लिए उपयोगी हैं। आप छोटे गिग्स पर जितना काम करेंगे, उतनी ही आपकी समझ अपनी स्किल्स को लेकर बढ़ेगी।

बेहतर होगा कि इंडस्ट्री-स्पेसिफिक स्किल्स को विकसित करने की कोशिश करें, ताकि आप प्रतिस्पर्धा कर सकें। बाजार में जिन स्किल्स की मांग बढ़ रही है, उनको लेकर अपडेट रहें। पाठ्यक्रमों में सोच-समझकर निवेश करें। आज भारत में कंटेंट क्रिएशन, यूएक्स डिज़ाइनिंग और डाटा एनालिसिस उभरती हुई गिग-भूमिकाएं हैं, आप उन्हें अपना सकते हैं।

गिग इकोनॉमी में प्रवेश करने से पहले यह भी जरूरी है कि हम अपने सम्भावित ग्राहकों को खोजें, जो हमें नियमित काम द सकें। अवाइन जैसे गिग वर्क प्लेटफॉर्म भारत के कर्मचारियों को बहुत अवसर मुहैया कराते हैं। अवाइन के पास 15 लाख से अधिक गिग पार्टनर्स हैं और वह अभी तक 11 करोड़ परियोजनाओं को पूरा कर चुका है।

याद रखें कि गिग इकोनॉमी अब ब्लू-कॉलर जॉब्स के दायरे से बाहर जा रही है और विशेषकर टेक-भूमिकाओं में हाई-स्किल्ड गिर्ग वर्कर्स की संख्या में 240% तक का इजाफा हुआ है। अगर आप गिग इकोनॉमी जॉइन करना चाहते हैं और उसमें सफल होना चाहते हैं तो अपनी विशेषज्ञता की मार्केटिंग भी शुरू कर दीजिए। ब्लॉग, वेबसाइट, लिंक्डइन प्रोफाइल आदि के माध्यम से अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाइए। सोशल मीडिया पर अपने काम के बारे में नियमित पोस्ट कीजिए, ताकि आप एम्प्लॉयर्स की नजरों में आ सकें।

आज 41% पेशेवर ऐसे हैं, जो गिग वर्क में शिफ्ट करना चाहते हैं। 2021 में यह संख्या मात्र 33% थी। आज लोग अपने वर्क-शेड्यूल पर बेहतर नियंत्रण चाहते हैं और अधिक स्वायत्तता की तलाश करते हैं। उन्हें काम में लचीलापन पसंद है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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