एसिड बहाने से बढ़ता जलस्रोतों के नष्ट होने का खतरा ..!

जलस्रोतों को खराब करने वालों को न सिर्फ आजीवन कारावास बल्कि सजा-ए-मौत जैसे प्रावधान कर सबक सिखाना होगा।

उ ज्जैन शहर से महज 12 किमी दूर स्थित कागदी कराड़िया इन दिनों चर्चा में है। मवेशियों को चमड़ी संबंधी बीमरियों के बाद यहां स्थित शिप्रा नदी में अचानक मछलियों के मरने की खबरों ने सभी कान खड़े कर दिए हैं। तहसीलदार, पटवारी, पंचायत और प्रदूषण विभाग की जांच के बीच चर्चा एसिड माफिया की साजिश पर आ थमी है। चंद लालची एसिड माफिया आर्थिक हित के लिए पौराणिक महत्त्व की गंगा के समान पवित्र पुण्य सलिला का दामन दागदार कर रहे हैं। मालवा में बहने वाली शिप्रा और चंबल दोनों ही नदियां एस़िड माफिया के निशाने पर हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी इन्हें प्रश्रय देने वाली होती है। और ध्यान रखने वाली बात तो यह कि बारिश के दिनों में माफिया जमकर एसिड में बहाएंगे। ये रोज ही रात के अंधेरे में पाप धोने वाली नदियों को हमेशा के लिए शापित कर रहे हैं। सरकारें माफियाराज को खत्म करने का कई मंचों से ऐलान करती हैं, लेकिन हमारे जलस्रोतों के इन माफिया रूपी दुश्मनों पर कार्रवाई करने में संकोच की स्थिति में दिखती हैं। एसिड माफिया गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों से एसिड वेस्ट (अपशिष्ट) बहाने का ठेका लेकर रात के अंधेरे में इसे हमारी नदियों में बहा देते हैं। शिप्रा से इसकी शुरुआत होती है, जो चंबल और इसके बाद आगे-आगे सभी नदियों में प्रवाहित हो जाता है। उनका पाप (एसिड वेस्ट) यहां नष्ट हो जाता है असंख्य जलजीवियों और आम आदमी की जिंदगी को तबाह करने के लिए। समय के साथ इनका कार्य करने का तरीका और क्षेत्र भी बदला है। नागदा में विरोध का सामना करना पड़ा तो इन्होंने नदी के समीप गांवों में गोदाम बना लिए, जहां से पाइप लाइन के माध्यम से नदियों में एसिड, केमिकल वेस्ट धीरे-धीरे बहाते रहते हैं। नदी में जगह नहीं मिलती तो सूख चुके बोरवेल से जमीन में एसिड उतार देते हैं। इससे क्षेत्र में धमाकों की आवाज के साथ भूकंप सा कंपन महसूस होता है। भूगर्भीक हलचलों पर नजर रखने वाले वैज्ञानिक भी इन्हें पकड़ नहीं पाते या पकड़ना नहीं चाहते हैं। हमारी नदियों, जल स्रोतों, जल पर्यावास, जलचरों, मवेशियों के साथ जमीन को दूषित करने वाले इन लालचियों पर नकेल नहीं कसी जा सकी है, तो इसलिए कि सरकार के स्तर पर दृढ़ता और इच्छा शक्ति प्रदर्शित नहीं की गई है। सरकार को जीवन के लिए कमर कसनी होगी।

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