बीजेपी ने इन राज्यों में बनाई गईं जोड़-तोड़ की सरकारें …!

 महाराष्ट्र में बीजेपी की गुगली से फिर चर्चा में ऑपरेशन लोटस, इन राज्यों में बनाई गईं जोड़-तोड़ की सरकारें ….
शिंदे समर्थक कुछ विधायकों की सदस्यता भी खतरे में हैं. किसी भी समय उन पर फैसला आ सकता है. हालांकि, राजनीतिक जानकार कहते हैं कि महाराष्ट्र की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है.
महाराष्ट्र में छुट्टी के दिन एनसीपी के टूटने और एनडीए में शामिल होने के बाद ऑपरेशन लोटस फिर चर्चा में है. केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस ऑपरेशन को महाराष्ट्र समेत देश के अनेक राज्यों चलाया. मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा समेत कई राज्यों में उसे कामयाबी भी मिली. कुछ राज्यों में वार उल्टा भी पड़ा. फिलहाल महाराष्ट्र इसकी बड़ी प्रयोगशाला के रूप में उभरता हुआ दिखा.

शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने मिलकर सरकार बना ली. दो साल बाद ही उद्धव के 40 विधायकों ने बगावत कर दी. बीजेपी ने उनका साथ दिया और कुछ दिन चले ड्रामे के बाद एकनाथ शिंदे सीएम बन गए और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम. उस समय राजनीतिक जानकार चौंके थे, लेकिन यह मानकर चल रहे थे कि पिक्चर अभी बाकी है. ढेरों कानूनी उतार-चढ़ाव देखते हुए शिंदे सरकार का प्रभाव जम नहीं पा रहा. कई उपचुनाव बीजेपी हार गई.

शिंदे समर्थक कुछ विधायकों की सदस्यता भी खतरे में हैं. किसी भी समय उन पर फैसला आ सकता है. ऐसे में अचानक कोई संकट आए और सरकार गिर जाए, बीजेपी ने अजित पवार को फिर से तोड़ लिया और उन्हें डिप्टी सीएम तथा आठ अन्य समर्थक विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलवा दी. अब शिंदे समर्थकों की सदस्यता खतरे में भी पड़ती है तो सरकार बनी रहेगी. हालांकि, राजनीतिक जानकार कहते हैं कि महाराष्ट्र की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है. अगर शिंदे समर्थक विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ी तो अब सीएम की शपथ फडणवीस लेंगे.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बागी होने पर गिरी थी कमलनाथ सरकार

साल 2018 में मध्य प्रदेश में चुनाव हुए. कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार बना ली. अंतर बहुत कम था तो बीजेपी शांत नहीं बैठी. बमुश्किल डेढ़ साल में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी. उनके समर्थक विधायकों ने भी साथ दिया. कमलनाथ सरकार देखते ही देखते ढह गई. शिवराज सिंह चौहान ने फिर शपथ ली और अब भी सरकार चल रही है.

कर्नाटक में चल गया था बीजेपी का जादू

कर्नाटक में साल 2018 विधानसभा चुनाव के बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. सरकार बनाने को 113 विधायकों की जरूरत थी, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से गवर्नर ने येदियुरप्पा को आमंत्रित कर लिया. उन्होंने सीएम की शपथ ले ली, लेकिन फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर सके. सरकार गिर गई. कर्नाटक में कांग्रेस के 80 और जेडीएस के 37 विधायकों ने मिलकर सरकार बनाई.

जुलाई 2019 में कांग्रेस के 12 और जेडीएस के 3 विधायकों ने बगावत कर दी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और वहां से फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया गया. सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई और जेडीएस सीएम कुमारस्वामी को इस्तीफा देना पड़ा. फिर बीजेपी के येदियुरप्पा सीएम बने. कुछ ही दिन बाद बासवराज बोम्मई सीएम बने और उनके नेतृत्व में विधान सभा चुनाव हुए.

गोवा में बीजेपी सरकार बनाने में हुई थी कामयाब

ऑपरेशन लोटस का सबसे प्रभावी उदाहरण गोवा को माना जाता है. 17 विधायकों के साथ कांग्रेस यहां सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन सरकार बनाने का दावा बीजेपी ने किया. यह वाकया साल 2017 का है. मनोहर पर्रिकर सीएम बने. तमाम कानूनी दांव-पेंच के बीच पर्रिकर ने बहुमत साबित कर दिया. निधन के समय तक वे सीएम रहे. बाद में प्रमोद सावंत सीएम बने. साल 2022 के चुनाव के बाद भी वे दोबारा सीएम बने. इस बीच कुछ ऐसा हुआ कि पूर्व सीएम दिगम्बर कामत समेत अनेक कांग्रेसी विधायक दो बार में बीजेपी के हो गए.

अरुणाचल में भी चला ऑपरेशन लोटस

ऑपरेशन लोटस ने अरुणाचल प्रदेश में भी जबरदस्त तरीके से काम किया. कांग्रेसी सीएम पेमा खांडू 2014 में सरकार बनाई. 16 सितंबर 2016 को वे 43 विधायकों के साथ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए. पीपीए ने बीजेपी की मदद से सरकार बनाई. 31 दिसंबर 2016 को वे फिर से पीपीए के 33 एमएलए के साथ बीजेपी में शामिल हो गए और फिर सीएम बने. तब से लगातार वे सीएम के पद पर बने हुए हैं.

साल 2017 के विधान सभा चुनावों में दो राज्यों मणिपुर और गोवा में कांग्रेस पार्टी ज्यादा विधायक होने के बावजूद सरकार बनाने में नाकाम रही और नंबर दो पार्टी बीजेपी ने दोनों ही राज्यों में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की.

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