कोल्ड ड्रिंक की मिठास से कैंसर का रिस्क ..?

कोल्ड ड्रिंक की मिठास से कैंसर का रिस्क:क्या है वजह; किस मात्रा में पीने से परेशानी नहीं होगी

चेतावनी जारी करते हुए संस्था का कहना है कि कोका-कोला समेत बाकी सॉफ्ट ड्रिंक, जूस और फूड आइटम्स में मिठास लाने के लिए एस्पार्टेम यूज होता है। इससे ही कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।

सोशल मीडिया पर इन दिनों इस तरह की कई रिसर्च वायरल हो रही हैं। अब इसमें कितनी सच्चाई है, साथ ही एस्पार्टेम से हेल्थ को क्या नुकसान होता है, ये जानने के लिए हमने बात की एक्सपर्ट से

  • इंटरनल मेडिसीन, आर्टेमिस, गुरुग्राम
  •  इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर, मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली

सवाल: कोका-कोला और फूड आइटम्स को मीठा करने वाला एस्पार्टेम क्या होता है?
जवाब: 
एस्पार्टेम एक आर्टिफिशियल स्वीटनर है। ये एक तरह का चीनी का विकल्प है। इसे केमिकल को मिलाकर तैयार किया जाता है।

सवाल: आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम से कैंसर का रिस्क कैसे है?
जवाब:
 दरअसल इसमें कार्सिनोजेनिक तत्व होता है, जो बॉडी में कैंसर सेल्स को ट्रिगर करने का काम करता है।

अगर आप किसी भी ऐसी चीज को रेगुलर खाते हैं, जिसमें एस्पार्टेम मौजूद है तो इसका साफ-सीधा मतलब यह है कि आप खुद कैंसर जैसी डेंजरस बीमारी को इन्विटेशन दे रहे हैं।

आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम में कैलोरी की मात्रा नहीं होती है। हेल्थ के लिए इसका इस्तेमाल इसलिए भी खतरनाक हैं, क्योंकि इसमें नॉर्मल चीनी की तुलना में 200 गुना ज्यादा मिठास होती है।

वहीं सिर्फ सॉफ्ट ड्रिंक में करीब 95% एस्पार्टेम का यूज होता है।

सवाल: किस मात्रा में आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम यूज करने से परेशानी नहीं होगी?
जवाब: WHO ने अभी ये नहीं बताया है कि एस्पार्टेम मिले हुए प्रोडक्ट का कितनी मात्रा में खाना-पीना सुरक्षित है। नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ का कोई कितना इस्तेमाल कर सकता है, यह सुझाव WHO की एक अलग एक्सपर्ट कमेटी देती है। आमतौर पर यह सुझाव जॉइंट WHO एंड फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन एक्सपर्ट कमेटी ऑन फूड एडिटिव्स (JECFA) देता है।

आर्टिफिशियल स्वीटनर को बनाने में किसी भी तरह के नेचुरल रिसोर्सेज यानी प्राकृतिक संसाधनों का यूज नहीं किया जाता है। अगर रेगुलर बेसिस पर इसका यूज किया जाए तो यह शरीर में कई बीमारियों का कारण बन सकती है। कैसे इसे हम नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं।

हार्ट डिजीज और हाई ब्लड प्रेशर जो लोग दिन में दो बार से ज्यादा आर्टिफिशियल स्वीटनर का यूज करते हैं उन्हें हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट रिलेटेड प्रॉब्लम के होने का खतरा सामान्य के मुकाबले ज्यादा रहता है।

डायबिटीज आर्टिफिशियल स्वीटनर के लगातार यूज से मेटाबॉलिज्म डिस्टर्ब हो जाता है। अगर कोई हर दिन मेटाबॉलिज्म डिस्टर्ब करता है तो उसे डायबिटीज होने का रिस्क रहता है।

वजन बढ़ना आर्टिफिशियल स्वीटनर का यूज करने से भूख बढ़ती है। जिससे मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। मेटाबॉलिज्म के कम होने से वजन तेजी से बढ़ता है। खासकर बाजार में मिलने वाले पैकेटबंद मीठी चीजों में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है, जिसकी वजह से भी वजन बढ़ सकता है।

सवाल: आर्टिफिशियल स्वीनटर का रेगुलर यूज किन लोगों को नहीं करना चाहिए?
जवाब: 
पैकेड फूड और ड्रिंक्स को पीने से बचने वाले कैटेगरी में शामिल हैं…

  • डायबिटीज पेशेंट
  • एसिडिटी या अल्सर की प्रॉब्लम होने पर
  • हाई बीपी के पेशेंट
  • दिल के मरीज
  • बच्चे

सवाल: बहुत से लोग नॉर्मल एसिडिटी अटैक होने पर कोल्ड डिंक्स पीते हैं, इसे पीना हेल्थ के लिए कितना सही है?
जवाब: 
जब आप इसे लेते हैं तो बॉडी से गैस थोड़ा सा रिलीज होता है। इसके बाद आपको फॉल्स सेंस ऑफ रिलैक्सेशन यानी कुछ देर के लिए ऐसा एहसास होता है कि आराम मिल गया है। पर हकीकत में इससे एसिडिटी बढ़ती है। लंबे समय के लिए ये नुकसान कर सकता है।

ज्यादा एसिडिटी होने पर अपनाएं 4 नुस्खे

  • दही खाएं
  • खूब पानी पिएं
  • एंटासिड दवाइयां डॉक्टर की सलाह से लें

सवाल: लोग कैलोरीज के चक्कर में जीरो कैलोरीज और नो शुगर वाली ड्रिंक पीते हैं, क्या यह वाकई में हेल्थ के लिए हेल्दी होती हैं?
जवाब: 
ये ड्रिंक बिल्कुल भी हेल्दी नहीं है। मेडिकली 16 साल से कम उम्र के बच्चों को नो शुगर और जीरो कैलोरी वाली डिंक्स पीने के लिए नहीं देना चाहिए। इन्हें पीने की लत होने पर मेमोरी लॉस की प्रॉब्लम होती है।

नेचुरल स्वीटनर का करें यूज

  • नेचर यानी प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाली शुगर की चीजें खाएं।
  • फ्रूट्स और नेचुरल ड्रिंक खाएं-पिएं।

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