इंदौर  भारी-भरकम फीस और ऊपर से बस या वैन का महंगा किराया…। बच्चों की शिक्षा और बेहतर भविष्य के लिए माता-पिता सब कुछ कर रहे हैं। इतना करने के बाद भी उनके लाड़लों के साथ स्कूल बस या वैन में चढ़ते-उतरते हुए कोई अनहोनी हो जाए तो जिम्मेदारी किसकी? स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन को लेकर सर्वोच्च न्यायालय, प्रशासन और सीबीएसई ने गाइडलाइन भी जारी की है, लेकिन व्यावसायिकता की दौड़ में यह गाइडलाइन बस और वैन के पहियों के नीचे कुचली जा रही है।

….. ने स्कूली बच्चों की परिवहन सेवा की पड़ताल की तो लापरवाही के कई रूप सामने आए। बस, आटो रिक्शा और वैन में क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए जा रहे हैं। हालत यह है कि तीन सवारी आटो रिक्शा में 11 से 12 बच्चे और वैन में 15 से 16 बच्चे बैठाए जा रहे हैं। आटो में 12 साल से छोटे बच्चे अधिकतम पांच और इससे अधिक उम्र के तीन बच्चें ही बैठाए जा सकते हैं।
हो चुके हैं कई हादसे

गत दिनों स्कूल बस का इमरजेंसी गेट खुलने से चलती बस से एक छात्रा सड़क पर गिर गई थी। बस ओवरलोड थी, इसलिए बच्ची को इमरजेंसी गेट के पास खड़ा कर दिया। स्कूली वैन में आग की घटना भी हाल में हो चुकी है। फिर भी स्कूल वाहनों में ओवलोडिंग और नियमों की अनदेखी जारी है। वैन में तो चालक की सीट पर ही चार-पांच बच्चे बैठाए जाते हैं।

वैन में एलपीजी किट

लकों ने भी एलपीजी की किट लगवा रखी है। इससे गंभीर हादसा हो सकता है। अधिकांश वाहनों में न फर्स्ट एड किट मिलेगी और न ही अग्निशमन उपकरण।

यह है जिला प्रशासन की गाइडलाइन

    • स्कूल बस पीले रंग की होनी चाहिए।
    • स्कूल बस में फर्स्ट एड बाक्स होना चाहिए।
    • स्पीड गवर्नर लगा होना चाहिए।
    • बसों की खिड़कियों पर सरियों की ग्रिल लगी हो।
    • बसों में अग्निशमन यंत्र की सुविधा होना चाहिए।
    • बस में स्कूल बस का नाम और नंबर लिखा हो।
    • बसों में दरवाजे लगे होने चाहिए।
    • बच्चों के बैग के लिए सीट के नीचे स्थान रहे।
    • पालक को बस में सुरक्षा मुआयना करने की सुविधा मिले।
    • ड्राइवर प्रशिक्षित और भारी यात्री वाहन चलाने का लाइसेंस हो।
    • बसों के परमिट, फिटनेस संबंधी दस्तावेज रखना अनिवार्य।
    • विद्यालयीन वाहनों में ओवरलोडिंग न की जाए।
    • स्कूल वाहनों में जीपीएस, पैनिक बटन और सीसीटीवी अनिवार्य।
    • चालक और परिचालक वर्दी में रहें।

स्कूलों की यह है स्थिति

    • तीन हजार से अधिक स्कूल हैं इंदौर जिले में
    • ढाई लाख विद्यार्थी अध्ययनरत
    • 5318 बसें आरटीओ में पंजीकृत
    • 10 हजार आटो रिक्शा और वैन कर रहे स्कूली बच्चों का परिवहन
  • 300 स्कूलों के पास हैं उनकी बसें