दिल्ली में बाढ़ : ड्रेनेज प्रणाली में सुधार ज़रूरी ..!
दिल्ली में बाढ़ : ड्रेनेज प्रणाली में सुधार ज़रूरी …
दिल्ली में जो ड्रेनेज सिस्टम है, वो अंग्रेजों के ज़माने का है, खासतौर पर पुरानी दिल्ली का तो ड्रैनेज सिस्टम इस तरह के हालात का सामना करने के लिए बिल्कुल नहीं हैं. जो नाले हैं, उनकी कभी ठीक से सफाई नहीं होती.
दिल्ली और आसपास के राज्यों में मौसम विभाग ने अगले दो दिन हल्की से तेज़ बारिश होने का संकेत दिया है, लेकिन अभी राजधानी में बाढ़ की स्थिति चिंताजनक है. दिल्ली में बाढ़ के पुराने सारे रिकॉर्ड टूट गए. बसें, ट्रक, गाड़ियां पानी में डूबी हैं, सड़कों पर नाव चल रही है. दिल्ली का करीब बीस प्रतिशत इलाका पानी में डूबा हुआ है. NDRF की 12 टीमें तैनात हैं. यमुना खतरे के निशान से साढ़े तीन मीटर ऊपर बह रही है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि इन्द्रप्रस्थ ड्रेन रेगुलेटर बाढ़ में टूट गया जिसकी वजह से यमुना का पानी शहर के कई इलाकों में घुसा. उनकी सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने शिकायत की कि NDRF टीम को बुलाने की मांग करने के बावजूद डिप्टी कमिशनर ने उनकी बात नहीं सुनी. उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने कहा कि ये समय एक दूसरे पर आरोप लगाने का नहीं है. सबको मिलकर काम करना चाहिए. लेकिन आखिर बाढ़ की ये हालत कैसे हुई. मैंने अपना बचपन पुरानी दिल्ली के इन्ही इलाकों में गुजारा है, मैंने पहले कभी इस तरह के हालात नहीं देखे. 1978 की बाढ़ भी मैंने देखी है. उस वक्त तो लालकिले से आगे का इलाका इतना डेवलप नहीं हुआ था, पुरानी दिल्ली में पानी भरा था. राजघाट पर भी पानी था. लेकिन आज हालात काफी खराब हैं. आमतौर पर यमुना खादर, यमुना बाजार, निगम बोध घाट, मॉनेस्ट्री मार्केट जैसे इलाकों में तो हर साल पानी आता है, लेकिन यमुना का पानी सड़क और तटबंधों को पार करके रिहाइशी इलाकों में घुस गया है, इसलिए स्थिति चिंताजनक है. सरकार की तरफ से कहा गया कि यमुना का जल स्तर एक-दो दिन में कम हो जाएगा. दिल्ली में तीन बड़े वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बाढ़ के कारण बंद कर दिये जाने से पूरी दिल्ली में पीने के पानी की समस्या पैदा हो गई है. केजरीवाल कह रहे हैं जब तक बाढ़ का पानी नहीं उतरता, प्लांट को फिर से चालू नहीं किया जा सकता.
दिल्ली में बाढ़ के जो हालात बने हैं, उसके लिए हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी को जिम्मेदार बताया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि हथिनीकुंड बैराज से पानी का बहाव कम हुआ है, इसलिए दिल्ली में यमुना का जलस्तर स्थिर हुआ है. इस बात में थोड़ी सच्चाई है. लेकिन अगर उत्तराखंड और हिमांचल में तेज बारिश होती है, तो दिल्ली वालों को मुसीबत के लिए तैयार रहना चाहिए. मैंने कई विशेषज्ञों से, टाउन प्लानर्स से बात की. मौसम वैज्ञानिकों से पूछा कि आखिर दिल्ली में इस तरह के हालात की वजह क्या है. सबने कहा कि हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी सिर्फ एक वजह है. लेकिन दूसरे कारण भी हैं. दिल्ली में जो ड्रेनेज सिस्टम है, वो अंग्रेजों के ज़माने का है, खासतौर पर पुरानी दिल्ली का तो ड्रैनेज सिस्टम इस तरह के हालात का सामना करने के लिए बिल्कुल नहीं हैं. जो नाले हैं, उनकी कभी ठीक से सफाई नहीं होती. दिल्ली की आबादी जिस हिसाब से बढ़ी है, उसके हिसाब से ड्रेनेज सिस्टम को सुधारा नहीं गया है. दूसरी बात, यमुना की डीसिल्टिंग नहीं होती, इसलिए नदी की जल वहन क्षमता कम होती जा रही है. तीसरी बात, यमुना के रिवर बैड पर कब्जा करके लोग बस गए हैं, घर बन गए हैं. जिन इलाकों में बाढ़ के हालात हैं, वो ज्यादातर रिवर बैड पर हैं. इसलिए नदी शहर में नहीं आई है, शहर नदी में पहुंच गया है. जब तक ये हालात नहीं बदलेंगे, इस तरह की समस्याओं का सामना करना ही पड़ेगा. मेंने कल ही आपको IIT गांधीनगर के प्रोफेसर की बात सुनवाई थी, जो कह रहे थे कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण इस तरह की extreme weather conditions हर साल होंगी. इसका मतलब ये है कि दिल्ली वालों को भी इस तरह की मुसीबतें झेलने की आदत डालनी पड़ेगी.