नोएडा : पूर्व सीईओ रितु माहेश्वरी ने … साफ-सफाई में अव्वल, बिल्डर-खरीदार मामला नहीं पहुंचा अंजाम
-रितु माहेश्वरी ने करीब चार वर्ष के कार्यकाल में नोएडा को काफी कुछ दिया लेकिन कई उम्मीदें रह गईं बाकी
-कई मामलों में शहर के नागरिक देते हैं दाद, कड़ाई से काम कराने में रहीं माहिर
-बिल्डर-खरीदार मामला, किसानों का मामला, स्पोर्ट्स सिटी समेत योजनाओं का नहीं निकल पाया हल
नोएडा। प्राधिकरण की पूर्व सीईओ रितु माहेश्वरी ने बीते चार वर्ष में शहर को साफ-सफाई के मामले में पूरे देश में पहला स्थान दिलाया। लेकिन बिल्डरों के मामले में समाधान को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाईं। हालांकि बीते कुछ माह से इस मामले को भी हल करने के लिए वह प्रयासरत रहीं।लेकिन इसी बीच उनका तबादला नोएडा से बतौर आगरा कमिश्नर हो गया।
14 जुलाई 2019 को नोएडा में बतौर सीईओ ज्वाइन करने के बाद शहर को साफ-सफाई में अव्वल स्थान दिलाना उनका खास मकसद रहा। वजह यह रही कि इससे पहले वह गाजियाबाद की जिलाधिकारी थीं और स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान गाजियाबाद ने काफी बेहतर रैंकिंग हासिल की थी। इसके बाद जब वह नोएडा आईं तो उनके एक एजेंडे में साफ-सफाई हमेशा रहा। कभी देश भर में 150वीं रैंकिंग पाने वाला नोएडा एक बार 11वें स्थान तक पहुंच गया। 10 लाख तक की आबादी में इससे भी बेहतर स्थान मिला।
लेकिन उनके यहां आने के दौरान बिल्डर-खरीदार मामला चरम पर था। लोगों को नए सीईओ से काफी उम्मीदें थीं। उन्होंने उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास भी किया। चाहे वह राज्य में मंत्री स्तरीय बैठक हो या फिर बिल्डर-खरीदारों के साथ बैठकर आपसी सहमति से मामले को सुलझाने का रहा हो। उन्होंने इस मामले में काफी प्रयास किया। बिल्डरों के ब्याज के मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जीत हासिल की। बिल्डरों को अपनी मनमानी करने से भी रोका। लेकिन अंतिम तौर पर बिल्डरों से बकाये की वसूली कराने और सभी की रजिस्ट्री कराने में वह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाईं।
सुपरटेक के ट्विन टावर के भ्रष्टाचार के मामले में उन्होंने सरकार और एजेंसियों का साथ देते हुए भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने और ट्विन टावर को ढहाने में बड़ी भूमिका निभाई। बिल्डरों को डिफॉल्टर घोषित कराने में उन्होंने एक बार भी नहीं सोचा। स्पोर्ट्स सिटी में भ्रष्टाचार की जांच में भी वह प्राधिकरण स्तर पर सहयोग कर रही हैं। शासन में लोकलेखा समिति की जांच के लिए वह कई बार लखनऊ जा चुकीं। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के ऑडिट में स्पोर्ट्स सिटी पर उठाए गए गंभीर सवालों के बाद आरापियों को चिह्नित करने के लिए वह शासन को सहयोग कर रहीं थीं।
निवेशकों को किया आकर्षित लेकिन किसान रहे नाखुश
नोएडा में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उन्होंने प्राधिकरण स्तर पर कई कदम उठाए। हजारों करोड़ का निवेश दिलवाया। लेकिन किसानों के मामले में उनको ज्यादा सफलता नहीं मिली। किसान उनसे खुश नहीं थे। किसानों की कई मांगों को उन्होंने मान लिया था। लेकिन अभी भी कई मांगें थी, जिनके लिए किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मामले का भी हल नहीं निकल सका।
इंफ्रास्ट्रक्चर में नोएडा को बनाया नंबर वन, लेकिन फॉर्म हाउस बने नासूर
इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में नोएडा को यूपी में नंबर वन बना दिया। शहर में एलिवेटेड रोड, अंडरपास, यमुना पर पुल, मेट्रो का जाल, हाईराइज इमारतें, बड़े-बड़े पार्क, फाउंटेन, चकाचक सड़कें, पेंटिंग, फसाड लाइटिंग सहित शहर को कई नई चीजों से लैस किया। हालांकि अपने कार्यकाल में फॉर्म हाउसों को ध्वस्त करने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका। करीब एक हजार अवैध फॉर्म हाउसों में से करीब 150 तोड़े जा सके। बाद में मामला कोर्ट में चला गया।