जानिए ज्ञानवापी मामले में कब क्या हुआ? 32 साल पुराना केस, 355 साल पुराना इतिहास …!

32 साल पुराना केस, 355 साल पुराना इतिहास, जानिए ज्ञानवापी मामले में कब क्या हुआ?

ज्ञानवापी केस को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अपने-अपने दावे हैं, हिंदू पक्ष का कहना है कि यहां स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर का शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष इससे इनकार करता रहा है. अब कोर्ट ने परिसर के ASI सर्वे की इजाजत दे दी है.
ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने बजूखाने के अलावा पूरे ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे की अनुमति दे दी है. फैसले में कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी दलीलों को खारिज करते हुए सर्वे का काम 3 से 6 माह में पूरा करने के आदेश भी दिए.
ज्ञानवापी पर क्या है विवाद

ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराने वाला औरंगजेब को माना जाता है. हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पर भगवान विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योर्तिलिंग था, मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने यहां मस्जिद बनवाई थी. 1991 में इसे लेकर हरिहर पांडे, सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें बताया गया था कि मंदिर के अवशेषों से ही मस्जिद का निर्माण किया गया है.

ज्ञानवापी मामले में कब क्या हुआ?
  1. 1991 में सबसे पहले सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडे ने भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाराणसी कोर्ट में पहली याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी.
  2. 1993 में ज्ञानवापी के मुकदमे में स्टे लगा दिया, कोर्ट ने दोनों पक्षों ये यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.
  3. 1998 में मामले में फिर सुनवाई शुरू हुई, लेकिन अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में ये तर्क दिया कि मामले की सुनवाई सिविल कोर्ट में नहीं हो सकती. हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट में मामले की सुनवाई पर रोक लगाई.
  4. 22 साल बाद 2019 में भगवान विश्वेश्वर की ओर से विजय शंकर ने बनारस कोर्ट में मुकदमा कर ASI सर्वे कराने की मांग की. 2020 में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने याचिका का विरोध किया.
  5. 2021 में श्रृंगार गौरी की पूजा दर्शन की मांग करते हुए पांच महिलाओं रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, राखी सिंह और सीता शाहू ने एक अन्य याचिका दाखिल की.
  6. 2022 में अदालत ने श्रृंगार गौरी विग्रह का पता लगाने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया. 26 अप्रैल 2022 को सिविल कोर्ट ने ज्ञानपावी परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दे दिया. मई में सर्वे के दौरान ये दावा किया गया कि ज्ञानवापी में शिवलिंग की आकृति मिली है
  7. जुलाई 2022 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, कोर्ट ने जिला अदालत के फैसले का इंतजार करने को कहा.दिसंबर 2022 में फास्ट ट्रैक कोर्ट में एक अन्य मुकदमे वजूखाने में मिले शिवलिंग नुमा आकृति की पूजा करने का अधिकार, मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक, अवैध ढांचे को हटाने संबंधी मामले की सुनवाई हुई.
  8. मई 2023 में ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की कार्बन डेंटिंग का हाईकोर्ट ने आदेश दिया, सात दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी थी.
  9. 23 मई को 2023 को वाराणसी जिला जज की ओर से महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, इसमें कहा गया कि ज्ञानवापी मामले में सभी सातों केस एक साथ सुने जाएंगे.
  10. इसी महीने 12 और 14 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर का ASI का सर्वे कराने को लेकर भी व्यापक बहस हुई थी. इसमें मुस्लिम पक्ष की ओर से कड़ी आपत्ति जताई गई थी.

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