मणिपुर की दुखदायी घटना पूरे सिस्टम की विवशता पर सवाल उठाती है …!

मणिपुर का जघन्य कांड : समाज और व्यवस्था के लिए सवाल ….

मणिपुर की दुखदायी घटना पूरे सिस्टम की विवशता पर सवाल उठाती है. अगर मोबाइल कैमरे में ये घटना क़ैद न हुई होती, तो ये भयानक सच इतिहास के किसी पन्ने में दफ़न हो जाता.

मणिपुर में दो बेकसूर महिलाओं को बेशर्मी से निर्वस्त्र करके घुमाने का भयानक वीडियो देखकर पूरा देश गुस्से से उबल रहा है, पूरा देश शर्मसार है, लोग खून के आंसू रो रहे हैं. इस तरह की हरकत करने वाले वहशियों को पकड़कर सरेआम फांसी पर लटकाने की मांग कर रहे हैं.  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि इस घटना ने 140 करोड़ों लोगों का सिर शर्म से झुका दिया. इस तरह की हरकत करने वालों को किसी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वीडियो देखकर वो सन्न रह गए, समझ में नहीं आया कि ऐसा कैसे हो सकता है. कोई इंसानियत को इस तरह कैसे तार-तार कर सकता है. जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ ने कहा कि मणिपुर सरकार और केन्द्र सरकार बताए कि अपराधियों को पकड़ने के लिए क्या कदम उठाए गए. चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर सरकार कदम उठाने में नाकाम रही तो सुप्रीम कोर्ट खुद एक्शन लेगा. चीफ जस्टिस ने जो कहा, जो महसूस किया, उसी तरह का दर्द हर देशवासी के दिल में  है. सबकी भावनाएं इसी तरह आहत हुईं है. मैंने भी वीडियो देखा है. उसके बाद जो गुस्सा, दुख और पीड़ा मेरे दिल ने महसूस की, उसे शब्दो में बयान करना मुश्किल है. आंखों में आंसू थे और शरीर में सिहरन, इस घटना ने आत्मा पर चोट पहुंचाई. मणिपुर में दो महिलाओं को हत्या की धमकी देकर सरेआम कपड़े उतारने पर मजबूर किया गया. फिर सैकड़ों लोगों की भीड़ के सामने 21 साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ. ये सब 4 मई को हुआ, ढाई महीने पहले, अब उसका वीडियो सामने आया क्योंकि मणिपुर में इंटरनेट बंद था. 78 दिन तक पुलिस सोई रही. अगर ये वीडियो सामने न आता तो क्या मणिपुर की सरकार और पुलिस कुछ न करती, वीडियो सामने आया तो कुछ ही घंटों के भीतर पुलिस ने चार आरोपियों को कैसे पकड़ लिया. वीडियो में अपराधियों के चेहरे साफ-साफ दिख रहे हैं, पहचाने जा सकते हैं. सैकड़ों स्थानीय लोगों की भीड़ थी. इस तरह की घटना के बाद क्या मुख्यमंत्री को एक पल के लिए भी कुर्सी पर बैठने का हक है ? अपराधियों को इतने दिनों तक पुलिस ने क्यों खुलेआम घूमने दिया? मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उन्हें वीडियो से घटना की जानकारी मिली, ये सफेद झूठ है. ये मामला इंसनियत की हत्या का है, समाज के लिए कलंक है, देश को शर्मसार करने वाला है. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह इस वक्त भी सच को छुपा रहे हैं, गलतबयानी कर रहे हैं.  ये घटना 4 मई को हुई, उसके 14 दिन के बाद 18 मई को इसकी शिकायत पुलिस से की गई,  पुलिस ने कुछ नहीं किया. घटना के 48 दिन के बाद यानी 21 जून को पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज की. उसके बाद भी पुलिस ने आरोपियों को नहीं पकड़ा. घटना के 77 दिन के बाद यानि 19 जुलाई को ये वीडियो अचानक पूरे देश में फैला. प्रधानमंत्री ने नाराज़गी जाहिर की,  तब पुलिस एक्शन में आ गई और कुछ ही घंटों में मख्य आरोपी को पकड़ लिया. इसलिए अगर एन. बीरेन सिंह ये कह रहे हैं कि उन्हें पता नहीं था, तो ये सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए बोला गया झूठ है, इसके सिवाय कुछ नहीं, लेकिन हैरानी इस बात की है कि आज भी एन बिरेन सिंह गलती मानने को तैयार नहीं हैं.

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