बैंक बोला- बाढ़ में बही रॉबर्ट वाड्रा लैंड डील की फाइल ..!

बैंक बोला- बाढ़ में बही रॉबर्ट वाड्रा लैंड डील की फाइल, पुलिस हैरान, अब क्या होगा?

गुरुग्राम के बहुचर्चित रॉबर्ट वाड्रा लैंड डील की फाइलें बर्बाद हो चुकी हैं. इस संबंध में बैंक ने पुलिस को बताया कि बेसमेंट में पानी भरने की वजह से यह फाइलें बह गई हैं. इस मामले में रॉबर्ट वाड्रा के साथ ही पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी आरोपी हैं.

हरियाणा के बहुचर्चित रॉबर्ट वाड्रा लैंड डील की फाइलें बाढ़ में बह गई हैं. जो फाइलें बची भी है वह बेसमेंट में पानी भरने की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं. इस संबंध में बैंक प्रबंधन ने इस घोटाले की जांच कर रही हरियाणा पुलिस की एसआईटी को रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट की पुष्टि हरियाणा पुलिस के डीजीपी पीके अग्रवालने की है. हालांकि उन्होंने इस संबंध में कोई अन्य जानकारी देने से इंकार किया है. बस इतना कहा कि बैंक को नोटिस जारी कर पूछा गया है कि कब और किन परिस्थितियों में यह घटना हुई है.

पुलिस की इस नोटिस के जवाब में बैंक ने एसआईटी को बताया कि वाड्रा से जुड़ी कंपनियों के साल 2009 और 2012 के दस्तावेज बाढ़ की वजह से तबाह हो चुके हैं. बताया कि यह सभी दस्तावेज बेसमेंट में रखे थे और बेसमेंट में पानी भर गया था. बैंक के इस जवाब से जांच टीम भी हैरत में है. इस टीम ने दोबारा बैंक को नोटिस जारी किया है. पूछा है कि क्या इस बाढ़ में केवल इन्हीं दो कंपनियों के दस्तावेज नष्ट हुए हैं या फिर बैंक में रखे अन्य दस्तावेजों को भी नुकसान पहुंचा है.

एसआईटी ने इस संबंध में बैंक प्रबंधन से पूरा ब्यौरा डिटेल में देने को कहा है.इस संबंध में पुलिस की ओर से नई दिल्ली स्थित बैंक की न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी ब्रांच को बीते 20 जून को ही नोटिस जारी किया गया था. गौरतलब है कि साल 2008 में प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी ने गुरुग्राम में मानेसर के पास शिकोहपुर में साढ़े तीन एकड़ जमीन खरीदी थी. इस जमीन के लिए कंपनी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज फर्म के साथ डील किया था. यह डील फरवरी 2008 में 7.5 करोड़ रुपये में हुई.

डील के बाद कंपनी ने तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार से कमर्शियल लाइसेंस लिया और फिर इसे डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया था. आरोप यह भी है कि इस लैंड डील के एवज में DLF को वजीराबाद में 350 एकड़ जमीन मिली थी. यह डील कांग्रेस सरकार के शुरुआती कार्यकाल में हुआ, लेकिन जब 2014 में चुनाव हुए तो बीजेपी ने इस मुद्दे को जमकर भुनाया. इससे राज्य में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बना और मनोहर लाल के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बन गई. तब से मामले की जांच पुलिस की एसआईटी के पास है

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