भोपाल। मध्‍य प्रदेश के नर्सिंग कालेजों के संचालन के लिए 2018 में बने नियमों में कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। इसमें सबसे प्रमुख यह कि वह निर्धारित कुल शिक्षकों में से 40 प्रतिशत तक संविदा या अतिथि शिक्षक भी रख सकेेंगे। इससे कालेज संचालन में खर्च कम आएगा। अभी ज्यादा खर्च होने की वजह से कई कालेज फर्जीवाड़ा कर रहे हैं।

सीबीआइ की जांच में एक शिक्षक का नाम कई कालेजों में

मप्र नर्सिंग काउंसिल और सीबीआइ की जांच में एक शिक्षक का नाम कई कालेजों में दर्ज पाया गया था। मापदंड के अनुसार संसाधन नहीं होने के कारण दो वर्ष में 200 से अधिक कालेजों की मान्यता समाप्त की जा चुकी है। इनमें ज्यादातर कालेजों की मान्यता हाई कोर्ट के निर्देश पर इनकी जांच के बाद समाप्त की गई है।

अगस्‍त में जारी होगी नए नियमों की अध‍िसूचना

अगस्त में नए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। बदलाव को लेकर नर्सिंग कालेजों ने भी कुछ आपत्तियां लगाई थी। इनके निराकरण के लिए उनके एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक होगी।

20 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक
अभी 10 सीट पर एक शिक्षक की अनिवार्यता है। इसमें ढिलाई कर 20 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक करने का प्रस्ताव था, पर इंडियन नर्सिंग काउंसिल का मापदंड 20 शिक्षक का है। इस कारण इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।
क्लीनिकल प्रशिक्षण रात में भी
प्रथम वर्ष को छोड़ बाकी कक्षाओं के लिए संबद्ध अस्पतालों में क्लीनिकल प्रशिक्षण रात में भी कराया जा सकेगा। इसका लाभ यह होगा कि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को अच्छे अस्पताल में प्रशिक्षण का मौका मिल सकेगा। एक फैकल्टी का नाम फर्जी तरीके से दूसरे कालेजों में न रहे, इसलिए आधार सत्यापन भी अनिवार्य किया जाएगा।
इनका कहना है
नियमों में बदलाव का प्रस्ताव है। जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। इससे कालेजों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार आएगा।
डा. एके श्रीवास्तव, संचालक, चिकित्सा शिक्षा