दो केस में 5.72 करोड़ की स्टाम्प शुल्क चोरी ..?
जिला पंजीयक को बैनामा के वक्त गलत जानकारी देकर बाजार मूल्य से कम कीमत में करा रहे रजिस्ट्री …
अमित राय ने तीन साल पहले बीना स्टेशन के मुख्य रोड पर स्थित 0.729 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। तब गाइडलाइन के मुताबिक इस जमीन की कीमत 38 करोड़ 20 लाख 98 हजार रुपए थी लेकिन अमित राय ने रजिस्ट्री के वक्त जमीन की कीमत 1.38 करोड़ रुपए बताकर 4.49 करोड़ रुपए के स्टाम्प शुल्क की चोरी की।
इसी तरह बसपा नेता संतोष प्रजापति के भाई विनोद प्रजापति ने सिविल लाइन की 11 करोड़ रुपए कीमत की जमीन की रजिस्ट्री 3 करोड़ रुपए कीमत बताकर करा ली। विनोद ने 1.22 करोड़ रुपए के स्टाम्प शुल्क की चोरी की।
केस 1
जमीन पर पक्की 44 दुकानें बनी थीं लेकिन अमित राय ने पूरी जमीन को कृषि क्षेत्र बताया
बीना विधायक महेश राय के बेटे अमित राय व मुकेश जैन ने तीन साल पहले बीना स्टेशन मुख्य रोड से 120 फीट दूर स्थित खसरा नंबर 408/1 में से 0.729 हेक्टेयर भूमि पड़ती बताकर खरीदी थी। जमीन का बाजार मूल्य 1 करोड़ 38 लाख 21 हजार रुपए बताकर 13 लाख 12 हजार 995 रुपए स्टाम्प शुल्क चुकाकर रजिस्ट्री कराई। इस मामले में उप-पंजीयक को जमीन पर निर्माण होने का संदेह हुआ और उन्होंने मामला जिला पंजीयक के पास प्रस्तुत किया।
पेशी के वक्त अमित राय ने जमीन पर निर्माण होने की बात स्वीकारी और पांच दिन में निर्मित क्षेत्र की जानकारी देने की बात कही, लेकिन फिर कोई जानकारी जिला पंजीयक को नहीं दी। इसके बाद बीना तहसीलदार व उप-पंजीयक से जांच कराई गई तो पाया कि जमीन पर सीमेंट की पक्की 44 दुकानें बनी हैं और संचालित हैं। जो व्यावसायिक उपयोग में हैं। इनका रकबा 0.121 हेक्टेयर है। जमीन पर पूर्व दिशा में टपरे बने हैं जिनका रकबा 0.81 हेक्टेयर है जो आवासीय हैं। खरीदी गई शेष भूमि 0.527 हेक्टेयर रिक्त है। स्टाम्प शुल्क बचाने पूरी जमीन को कृषि क्षेत्र बताकर रजिस्ट्री करा ली गई।
स्टाम्प शुल्क चोरी का गणित
पंजीयन विभाग के अधिकारियों ने गाइड लाइन के मुताबिक दुकानों, टपरों व रिक्त भूमि सहित संपत्ति का कुल बाजार मूल्य 38 करोड़ 20 लाख 98 हजार रुपए आंका। इस पर अमित राय को रजिस्ट्री के वक्त मुद्रांक शुल्क 3 करोड़ 62 लाख 99 हजार 310 और पंजीयन शुल्क 30 लाख 56 हजार 784 रुपए देना था लेकिन अमित राय ने गलत जानकारी देकर इसके स्थान पर मुद्रांक शुल्क 13 लाख 12 हजार 995 रुपए और पंजीयन शुल्क 1 लाख 10 हजार 568 रुपए चुकाया। तत्कालीन जिला पंजीयक रत्नेश भदौरिया ने शेष मुद्रांक शुल्क 3 करोड़ 49 लाख 86 हजार 315 रुपए, पंजीयन शुल्क 29 लाख 46 हजार 216 और जुर्माना 69 लाख 97 हजार 264 रुपए कुल राशि 4 करोड़ 49 लाख 29 हजार 795 रुपए जमा करने के आदेश दिए थे।
केस 2
स्टाम्प शुल्क बचाने के लिए आवासीय बताकर व्यावसायिक जमीन की करा ली रजिस्ट्री
बसपा नेता संतोष प्रजापति के भाई विनोद प्रजापति ने सिविल लाइन वार्ड क्रमांक-3 में स्थित नजूल ब्लॉक नंबर-57, नजूल प्लॉट नंबर 4/1 में स्थित भूमि ई-ब्लॉक रकबा 73 हजार 729 वर्गफीट में से 28 हजार 961 वर्गफीट आवासीय बताकर खरीदी। कृष्णा उर्फ किशन पिता स्व. उदय शमशेर जंग बहादुर ने यह जमीन बेची। उप-पंजीयक ने इस जमीन का मौके पर निरीक्षण किया तो यह विनोद के सगे भाई भगवती प्रसाद पिता हीरालाल प्रजापति के प्लॉट से लगी हुई है और निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं है।
इसलिए विनोद प्रजापति द्वारा खरीदी गई जमीन को पीली कोठी से सिविल लाइन रोड पूर्ण व्यावसायिक लोकेशन पर स्थित माना गया। खरीदी गई जमीन के चारों ओर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। इसलिए उप-पंजीयक ने गाइड लाइन के मुताबिक संपत्ति का बाजार मूल्य 11 करोड़ 73 लाख 51 हजार 144 रुपए तय किया। यह भी माना कि स्टाम्प शुल्क बचाने रजिस्ट्री के वक्त सही जानकारी नहीं दी।
स्टाम्प शुल्क चोरी का गणित
जिला पंजीयन कार्यालय के अधिकारियों ने संपत्ति का बाजार मूल्य 11 करोड़ 73 लाख 51 हजार 144 रुपए आंका। इस हिसाब से विनोद प्रजापति को रजिस्ट्री के वक्त 88 लाख 1 हजार 336 रुपए मुद्रांक शुल्क और 35 लाख 20 हजार 535 रुपए पंजीयन शुल्क देना था लेकिन विनोद प्रजापति ने स्टाम्प शुल्क की चोरी करते हुए 22 लाख 60 हजार 896 रुपए मुद्रांक शुल्क और 9 लाख 4 हजार 358 रुपए पंजीयन शुल्क दिया। वरिष्ठ जिला पंजीयक निधि जैन ने शेष मुद्रांक शुल्क 65 लाख 40 हजार 440, पंजीयन शुल्क 26 लाख 16 हजार 177 और जुर्माना 31 लाख 39 हजार 413 रुपए, कुल 1 करोड़ 22 लाख 96 हजार 30 रुपए की रिकवरी विनोद प्रजापति पर निकाली। जिसे शासकीय कोष में जमा करने के आदेश दिए हैं।