शादी से पहले मेडिकल कुंडली मिलाएं !

संबंध बनाने से पहले जरूरी मेडिकल टेस्ट, सेक्शुअल हेल्थ को नजरअंदाज करने से बिगड़ता रिश्ता

हमारे समाज में अधिकतर लोगों की सोच है कि पति-पत्नी को उनके बच्चे जोड़ते हैं लेकिन हकीकत यह है कि हेल्दी सेक्शुअल रिलेशनशिप उनके रिश्ते की ताकत बनता है।

असंतुष्टि और संबंध में दूरी, रिश्ते को उलझाकर उनके बीच हमेशा के लिए दूरियां पैदा कर देती है।

हेल्दी सेक्शुअल रिलेशनशिप के लिए सेक्शुअल हेल्थ पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसे नजरअंदाज करने का मतलब है पार्टनर को खुद से दूर करना।

अक्सर महिलाएं इस वजह से अपना दाम्पत्य संबंध खराब कर लेती हैं।

महिलाओं की सेक्शुअल हेल्थ एक बड़ा मुद्दा है जिस पर वे खुद तो बात करने से बचती ही हैं लेकिन इस बारे में उनकी मां, बहन, सास या सहेली भी मदद को आगे नहीं आतीं।

गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नीलिमा देशपांडे कहती हैं कि महिलाओं के लिए सेक्स का विषय अपने आप में एक रहस्य है। वे पार्टनर से क्या चाहती हैं, ना तो उसे बता पाती हैं और न ही यह समझ पाती हैं कि उनका अपना शरीर उनसे क्या चाहता है।

महिलाओं का सेक्शुअल हेल्थ को लेकर जागरूक रहना बेहद जरूरी है जिससे वे एक सुखद दाम्पत्य जीवन जी सकें।

दर्द को नजरअंदाज ना करें

कई महिलाओं को संबंध बनाने के दौरान और उसके बाद दर्द रहता है। लेकिन वे इसे नजरअंदाज करती हैं।

यह दर्द पार्टनर से मिले सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन, वैजिनिस्मस (पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों में कसाव), एंडोमेट्रियोसिस (गर्भाशय की बीमारी), प्राइवेट पार्ट में ड्राइनेस, फाइब्रॉइड्स या इमोशन ट्रॉमा की वजह से हो सकता है। अगर किसी भी तरह की असहजता महसूस करें तो गायनेकोलॉजिस्ट से जरूर बात करें।

महिलाएं अपने शरीर से अनजान

पुणे के बोरसे हॉस्पिटल में सेक्स हेल्थ एक्सपर्ट और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नीलिमा देशपांडे कहती हैं कि महिलाओं के बीच सेक्स एजुकेशन की बहुत कमी है। वे अपने शरीर में हो रहे बदलावों को तो दूर अपने शरीर के अंगों के बारे में भी पूरी तरह से नहीं जानतीं।

अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कुछ युवा लड़कियों को लगता है कि हाथ पकड़ने भर से प्रेग्नेंसी हो जाती है। उन्हें यह नहीं पता कि यूरेथ्रा या वजाइना कहां हैं। उनके पीरियड्स नॉर्मल हैं या नहीं, ओव्यूलेशन क्या होता है या यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण क्या है, इन सब चीजों से वे पूरी तरह अनजान रहती हैं।

खून की कमी से संबंध बनाने की इच्छा नहीं रहती

अगर कोई महिला हैवी पीरियड्स होने की वजह खून की कमी (एनिमिया) की शिकार है तो उनके पीरियड्स लंबे चलते हैं। वे बार-बार सैनिटरी पैड बदलने से परेशान रहती हैं।

सैनिटरी पैड के इस्तेमाल से उन्हें रैशेज और स्किन प्रॉब्लम से भी जूझना पड़ता है। एनिमिक होने से यूरिन इन्फेक्शन, थकान, मेंटल स्ट्रेस, डिप्रेशन और एंग्जाइटी भी घेर सकती है। इन सब से सेक्शुअल हेल्थ बिगड़ती है। हीमोग्लोबिन कम रहने से संबंध बनाने की इच्छा भी खत्म होती है।

कॉन्ट्रासेप्शन का सही तरीके से इस्तेमाल ना करना

डॉ. नीलिमा देशपांडे कहती हैं कि महिलाओं को पुरुषों से यह बोलने का हक है कि बिना प्रोटेक्शन के संबंध नहीं बनाएंगी। महिलाओं को पता ही नहीं कि कंडोम उनकी सेक्शुअल हेल्थ के लिए कितना जरूरी है।

अगर कुछ कपल कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल करते भी हैं तो उन्हें इसके सही तरीके से इस्तेमाल की जानकारी नहीं होती। पुरुष किसी भी तरह की डॉक्टरी सलाह से बचते हैं और अधिकतर महिलाएं अनचाही प्रेग्नेंसी का शिकार हो जाती हैं।

कुंडली से पहले शादी के लिए मेडिकल रिपोर्ट देखें

हमारे समाज में शादी से पहले कुंडली के जरिए गुणों का मिलान होता है, लेकिन शादी से पहले लड़का-लड़की की हेल्थ की पूरी जानकारी नहीं पूछी जाती।

डॉ. नीलिमा देशपांडे के अनुसार शादी से पहले हर लड़की और लड़के को मेडिकल टेस्ट करवाना चाहिए ताकि अगर किसी को सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन है, तो मेडिकल रिपोर्ट में उसकी जानकारी मिल जाए और किसी भी तरह का संक्रमण पार्टनर तक न पहुंचे। अधिकतर महिलाएं ऐसे संक्रमणों का शिकार बन जाती हैं।

इसलिए शादी से पहले लड़के और लड़की के परिवार वालों को उनका मेडिकल टेस्ट करवाने, जिसमें ब्लड ग्रुप की जानकारी भी हो और मेडिकल रिपोर्ट देखने के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए।

‘बच्चे होने के बाद संबंध बनाने की जरूरत क्या है?’

उम्र, बीमारी और हालात के हिसाब से महिलाओं की संबंध बनाने की इच्छा प्रभावित होती है। यानी अगर कोई महिला घरेलू हिंसा का शिकार है तो उसकी यह इच्छा खत्म हो सकती है। लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियां जैसे ब्लड प्रेशर, मोटापा या डायबिटीज का भी सेक्शुअल हेल्थ पर असर पड़ता है।

बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में मेनोपॉज और पुरुषों में इच्छा की कमी देखने को मिलती है।

डॉ. नीलिमा देशपांडे के अनुसार कई कपल्स के लिए शादी का मतलब सिर्फ बच्चे पैदा करना है। वे सोचते हैं कि बच्चे हो जाने के बाद संबंध बनाना जरूरी नहीं। फैमिली पूरी होने के बाद पति-पत्नी अक्सर एक-दूसरे को इग्नोर करने लगते हैं। कई कपल्स के बीच तो आपसी बातचीत में भी कमी देखने को मिलती है। कपल्स को यह समझना चाहिए कि बच्चे होने के बाद रिलेशनशिप खत्म नहीं होती। अच्छे संबंध मेंटली और फिजिकली फिट रहने के लिए जरूरी हैं।

संबंध बनाने से पहले पार्टनर से बात करें

रिश्ते में प्यार आपसी बातचीत की वजह से पनपता है। पार्टनर से अपने सेक्शुअल संबंधों के बारे में खुलकर बात होनी चाहिए। असहज होकर संबंध कभी मत बनाएं। संंबंध से पहले फोरप्ले जरूरी होता है। पार्टनर की अच्छी बातें जब अच्छा फील करवाती हैं तो संबंध बनाना भी सुखद होता है।

प्राइवेट पार्ट में ड्राइनेस की वजह को समझें

डॉ. नीलिमा देशपांडे कहती हैं कि अक्सर मेनोपॉज के दौरान प्राइवेट पार्ट में ड्राइनेस हो जाती है। लेकिन कई बार दवाएं खाने से भी ऐसा हो सकता है। कफ सिरप प्राइवेट पार्ट में ड्राईनेस की वजह बनता है।

यही नहीं, अगर दांतों का इंफेक्शन, एंटीबायोटिक दवाएं, एक्जिमा या सोराइसिस जैसे त्वचा रोग और एंटीडिप्रेसेंट दवाएं भी प्राइवेट पार्ट में ड्राईनेस लाते हैं।

पार्टनर से खुलकर करें बात

सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी कहते हैं कि महिलाओं में अगर संबंध बनाने की इच्छा ना हो और अगर उनका पार्टनर संबंध बनाता है तो उनका शरीर पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं देता। इससे उनके प्राइवेट पार्ट में लुब्रिकेशन नहीं होता, जिसकी वजह से दर्द होता है।

संबध बनाने को लेकर महिलाओं में फोबिया भी होता है जो उसकी इच्छा को कम करता है। इसलिए संबंध तभी बनाएं जब पार्टनर कंफर्टेबल हो।

प्राइवेट पार्ट को केमिकल वॉश से ना धोएं

आजकल बाजार में प्राइवेट पार्ट वॉश के नाम पर कई प्रोडक्ट बिक रहे हैं। इनमें कई तरह के केमिकल और होते हैं। ये वॉश कई केमिकल और फ्रेगरेंस से बनते हैं। जिससे प्राइवेट पार्ट का पीएच लेवल बिगड़ जाता है।

डॉ. प्रकाश कोठारी कहते हैं कि प्राइवेट पार्ट में कई तरह के हेल्दी बैक्टीरिया होते हैं जिसे वजाइना फ्लोरा कहते हैं। इस तरह के वॉश बैक्टिरिया को खत्म कर देते हैं। वहीं, इससे कई तरह के बैक्टिरियल इन्फेक्शन भी हो जाते हैं। प्राइवेट पार्ट में दिक्कत होगी तो संबंध बनाना मुश्किल होगा।

टाइट अंडरगारमेंट से बचें

डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. कशिश कालरा कहते हैं कि महिलाओं को फैंसी लॉन्जरी खूब भाती है लेकिन सेक्शुअल हेल्थ की यह दुश्मन बन सकती हैं। नायलोन या सिंथेटिक की बनी लॉन्जरी से बचना चाहिए। वहीं टाइट अंडरगारमेंट भी नहीं पहनने चाहिए।

हमेशा कॉटन की लूज लॉन्जरी पहनें। यह प्राइवेट पार्ट को नुकसान नहीं पहुंचती। टाइट या सिंथेटिक/नायलोन से बनी लॉन्जरी प्राइवेट पार्ट समेत जांघों पर रैशेज का कारण बनती हैं। संबंध बनाने के बाद लॉन्जरी पहनने से बचना चाहिए। इससे खुजली, रैशेज और इन्फेक्शन से बचा जा सकता है।

हस्बैंड-वाइफ पर काम का बोझ करता है उन्हें दूर

एक महिला पर घर, बच्चों और ऑफिस की जिम्मेदारी होती है। वह सुबह से घर के काम में जुटी रहती है। दिन-रात बच्चों को देखती है। बूढ़े सास-ससुर को संभालती है। वर्किंग है तो ऑफिस का काम भी देखना होता है।

वर्किंग कपल्स के लिए थकान और स्ट्रेस उनकी सेक्शुअल हेल्थ पर खराब असर डालता है, जिससे संबंध बनाने की इच्छा खत्म हो जाती है।

महिलाओं को खतरे का अंदाजा नहीं

अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने एक सर्वे किया। इसमें अधिकतर महिलाएं सेक्शुअली एक्टिव थीं लेकिन वे खुद की सेक्शुअल हेल्थ को लेकर जागरूक नहीं थी।

  • 60% ने कहा कि उनके पार्टनर ने कभी कंडोम इस्तेमाल नहीं किया।
  • 63% ने कहा कि पेट दर्द का STD से कोई कनेक्शन नहीं है।

महिलाओं को अपनी सेक्शुअल हेल्थ पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसे नजरअंदाज करने का मतलब है, अपनी जान को खुद ही खतरे में डालना। दुनिया में अधिकतर महिलाओं की मौत अनचाही प्रेग्नेंसी और सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से होती है इसलिए संबंध बनाने से पहले अपनी और पार्टनर सेहत को सतर्कता बरतें।

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