आपकी स्वतंत्रता की क्या कहानी है?

कई न्यूरोलॉिजस्ट को भरोसा है कि अल्ट्रासाउंड से मस्तिष्क की सर्जरी का उजला भविष्य है और गतिशीलता से जुड़े दूसरे अन्य विकार जैसे पार्किंसन बीमारी के उपचार में इसका इस्तेमाल हो सकता है। इलाज के बाद लुकास खुश है कि अब वह हाथ स्थिर रख सकता है। इस तरह की गतिशीलता से जुड़ी बीमारी वाले मरीजों के लिए यह गेम चेंजर हो सकता है।

अब जल्दी से 2023 में आ जाएं। 77 साल के विजय देशपांडे के भी हाथ हिलते-डुलते हैं। लेकिन हर सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को वह पुणे में अपने घर से दूर बस से 25-30 मिनट यात्रा करके कथक गुरु हृिषकेश मुखर्जी की कंटेम्पररी डांस क्लास में आते हैं। पार्किंसन से जूझ रहे 50 से 90 साल के 15 से ज्यादा लोग देशपांडे के साथ मिलकर ‘सर जो तेरा चकराए’ (1957 में आई फिल्म प्यासा) जैसे गानों पर डांस करते हैं। वे इसे मौज-मस्ती के लिए नहीं, डांस मूवमेंट थैरेपी के लिए करते हैं।

ये दोनों उदाहरण एक कोशिश हैं कि बिना मदद के जिंदगी में आगे बढ़कर कैसे आजादी हासिल की जाए। ये भी ठीक नहीं कि हम आजादी की बात करें और जिंदगी के दूसरे हिस्से जैसे आर्थिक स्वतंत्रता को भूल जाएं। मध्यप्रदेश के खंडवा, जहां किशोर कुमार जन्मे थे, वहां रहने वाली गायत्री कासडे (23), मंटू कासडे (22) का उदाहरण लेते हैं।

जहां हर पुरुष इस पर बारीकी से नजर रखते हैं कि उनके ग्रुप में किसने कौन-सी बाइक ली है, वहीं इन दो महिलाओं ने गौर किया कि सड़क पर गाड़ियां ज्यादा हैं पर सुधारने की उतनी दुकानें नहीं हैं। सालभर पहले उन्होंने सड़क किनारे टूटे-फूटे छप्पर के नीचे गैराज खोली।

कई लोगों ने चेताया कि वे इस मामले में पुरुषों से मुकाबला नहीं कर पाएंगी और घरेलू काम की सलाह दी। पर वे डगमगाई नहीं और आज लोग गाड़ियां ठीक कराने उनके पास आते हैं। वे उकड़ू बैठकर, जमीन पर लेटकर फिक्र नहीं करतीं कि ग्रीस से हाथ काले हो रहे हैं। उनका जज्बा देखते हुए खंडवा पंचायत ने उन्हें छोटी-सी जमीन दी है, जिस पर उन्होंने पक्की दीवार और टीन लगाकर शेड बना लिया है।

आज काडसे बहनों को न सिर्फ इज्जत मिल रही है बल्कि पूरी आर्थिक आजादी भी हासिल कर ली है। एक और उदाहरण लेते हैं। 37 साल के मार्क धरमई को जन्म से ही एक आनुवंशिक बीमारी एक्नोड्रोप्लासिया थी। इस बीमारी से ग्रसित लोगों के शरीर का ऊपरी हिस्सा बहुत छोटा होता है, कभी-कभी तो 106 से 130 सेमी तक। मार्क ने 2017 में कनाडा में आयोजित वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स में दो रजत पदक जीते थे। ये गेम्स हर चार साल में होते हैं, लेकिन 2020 में होने वाले गेम्स कोविड के कारण 2023 में हुए।

वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स का आठवां संस्करण जर्मनी के कोलन में 28 जुलाई से 5 अगस्त 2023 के बीच संपन्न हुआ, इसमें मुंबई के मार्क भारत के लिए पांच मैडल लेकर आए। यदि आप आर्थिक या किसी अन्य रूप से अपने लिए आजादी हासिल करते हैं तो यह वास्तव में आपकी स्वतंत्रता की कहानी है जो आस-पास के लोगों को प्रेरित करेगी। और याद रखिए हममें से हर कोई कुछ न कुछ गुणों के साथ जीतने के लिए जन्मा है।

…….ये दुनिया आपको वो नहीं देती, जो आप मन में रखकर इससे मांगते हैं। यह असल में वो देती है, जो आप कर्म करके इससे मांगते हैं। इसलिए इस 77वें स्वतंत्रता दिवस पर अपनी ताकत पहचानने और अपने काम से इनका भरपूर इस्तेमाल करने का वादा करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *