किसके नाम सबसे ज्यादा बार तिरंगा फहराने का रिकॉर्ड?
21 ध्वजारोहण कर चुके मोदी 17 बार वाले नेहरू से पीछे, दोनों से आगे एक मुख्यमंत्री
राजस्थान में सबसे ज्यादा बार ध्वजारोहण करने वाले मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे। सुखाड़िया करीब 17 वर्षों तक (1954 से 1971 तक) राजस्थान के सीएम रहे। इस दौरान उन्होंने 16 बार स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया।
नरेंद्र मोदी बतौर सीएम और पीएम अब तक 22 बार ध्वजारोहण कर चुके हैं, लेकिन बतौर पीएम वे इस मामले में पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी दोनों से पीछे हैं। पंडित जवाहरलाल ने 17 और इंदिरा गांधी ने 16 बार ध्वजारोहण किया था।
भास्कर ने एक्सपट्र्स की मदद से एनालिसिस किया तो 15 अगस्त पर ध्वजारोहण को लेकर कई रोचक तथ्य सामने आए…
- एक प्रधानमंत्री जो एक भी बार 15 अगस्त पर ध्वजारोहण नहीं कर सके।
- सर्वाधिक बार सीएम रहते हुए 24 बार ध्वजारोहण का रिकॉर्ड सिक्किम के पवन चामलिंग के नाम है।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
मोदी 12 बार बतौर सीएम व 9 बार बतौर पीएम कर चुके ध्वजारोहण
मोदी अक्टूबर 2001 में गुजरात के सीएम बने थे। वे मई-2014 तक गुजरात के सीएम रहे। इस प्रकार वे करीब 12 साल 7 महीनों तक सीएम रहे।
इस दौरान उन्होंने 12 बार बतौर सीएम स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया। इसके बाद वे मई-2014 में देश के पीएम बने।
पीएम बनने के बाद वे अब तक 10 बार लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण कर चुके हैं।
पंडित नेहरू ने 17 व इंदिरा गांधी ने 16 बार किया ध्वजारोहण
देश में प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए सबसे ज्यादा बार ध्वजारोहण का रिकॉर्ड जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के नाम पर है।
पंडित नेहरू ने देश के 1947 से लेकर मई-1964 के बीच 17 बार यह गौरव हासिल किया। इसके बाद 1966 से 1977 और 1980 से 1984 के बीच अलग-अलग कार्यकाल में इंदिरा गांधी ने 16 बार ध्वजारोहण किया।
पंडित नेहरू और इंदिरा के बाद सर्वाधिक 10 बार स्वतंत्रता दिवस पर पीएम के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह (2004-2014) ने ध्वजारोहण किया। मंगलवार को मोदी बतौर पीएम 10वीं बार ध्वजारोहण कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रिकॉर्ड की बराबरी करेंगे।
मोदी के अलावा तीन और राजनेता सीएम-पीएम बने
मोदी के अलावा सीएम और पीएम दोनों पदों पर रहने का गौरव केवल तीन ही राजनेताओं को मिला है। इनमें चौधरी चरण सिंह, एच. डी. देवेगौड़ा और मोरारजी देसाई शामिल हैं।
वे तीनों क्रमश: उत्तरप्रदेश, कर्नाटक और तत्कालीन बॉम्बे-गुजरात स्टेट (1952-1956) के मुख्यमंत्री रहे थे।
इनमें से देवेगौड़ा का कार्यकाल प्रधानमंत्री के पद पर इतना छोटा था कि उन्हें बतौर पीएम स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण का अवसर नहीं मिला।
चौधरी चरण सिंह और मोरारजी देसाई को क्रमश: एक और दो बार प्रधानमंत्री के रूप में स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण का अवसर मिला।
बतौर सीएम ध्वजारोहण में गहलोत 23 वें स्थान पर
देश में सर्वाधिक बार सीएम रहते हुए स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण का रिकॉर्ड सिक्किम के पूर्व सीएम पवन चामलिंग के नाम दर्ज है। चामलिंग करीब 24 वर्ष 9 महीनों तक (1994-2019) सीएम रहे। इस दौरान उन्होंने 24 बार यह उपलब्धि हासिल की।
चामलिंग के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाले हैं ओडिशा के वर्तमान सीएम नवीन पटनायक। वे पिछले 23 वर्ष से निरंतर इस पद पर हैं। पटनायक के बाद तीसरे स्थान पर रहे हैं पश्चिमी बंगाल के पूर्व सीएम ज्योति बसु। बसु करीब 22 वर्ष सीएम रहे हैं। बतौर सीएम सबसे ज्यादा बार ध्वजारोहण के मामले में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत 23 वें स्थान पर हैं।
राजस्थान में शेखावत ने 11, राजे ने 10 बार किया ध्वजरोहण
राजस्थान में सुखाड़िया और गहलोत के बाद सर्वाधिक बार बतौर मुख्यमंत्री ध्वजारोहण का रिकॉर्ड भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे के नाम है। शेखावत और राजे ने क्रमश: 11 और 10 बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यह गौरव हासिल किया है।
शेखावत ने 1977 से 1980 और 1990 से 1998 के बीच तीन अलग-अलग कार्यकाल में और राजे ने 2003 से 2008 व 2013 से 2018 के बीच दो अलग-अलग कार्यकाल में यह उपलब्धि हासिल की।
वर्तमान में केवल 4 सीएम, जिनका 15 साल का कार्यकाल
वर्तमान में देश में सिर्फ 4 मुख्यमंत्री हैं, जिनके नाम 15 वर्ष या इससे ज्यादा का कार्यकाल है। इनमें पहले नंबर पर ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, दूसरे पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार, तीसरे नंबर पर मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान और चौथे नंबर पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत हैं। इन चारों ने क्रमश: 23, 17, 16 और 14 वर्ष से ज्यादा का समय बतौर मुख्यमंत्री पूरा कर लिया है।
इनके अलावा बीते दो-तीन दशकों में असम के पूर्व सीएम तरूण गोगोई, दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित, छ्त्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह ने भी 15 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया है। गोगाई, दीक्षित और सिंह तीनों लगातार 15 साल सीएम रहे हैं। तीनों ने 15 बार ध्वजारोहण किया था।
देश की 4 महिला मुख्यमंत्रियों में शामिल वसुंधरा राजे
अब तक देश में 10 साल या इससे ज्यादा सीएम रहने का रिकॉर्ड केवल चार महिला मुख्यमंत्रियों के नाम पर हैं। इनमें राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी शामिल हैं।
महिलाओं में सबसे ज्यादा समय के लिए सीएम रहने का रिकॉर्ड दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के नाम पर है। वे दिसंबर-1998 से दिसंबर-2013 तक निरंतर 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहीं।
दीक्षित के बाद तमिलनाडू में जे. जयललिता मुख्यमंत्री रही हैं। वे 5 बार अलग-अलग कार्यकाल में 14 वर्ष 127 दिनों के लिए सीएम रही। उनके बाद पश्चिमी बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मई-2011 से लगातार इस पद पर हैं।
उन्हें 12 वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है। बनर्जी के बाद सबसे ज्यादा समय बतौर महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम है। राजे दो अलग-अलग कार्यकाल में कुल 10 साल के लिए सीएम रहीं।
राजे ने अपने कार्यकाल में 15 अगस्त और 26 जनवरी के राष्ट्रीय पर्वों के राज्य स्तरीय समारोह राजधानी जयपुर से बाहर जोधपुर, अजमेर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर और भरतपुर संभाग मुख्यालयों पर मनाने की पहल भी की। तब उन्होंने वहीं जाकर ध्वजारोहण किया था।
एक साल से भी कम सीएम रहे, लेकिन ध्वजारोहण का अवसर मिला
राजस्थान में एक सीएम हुए टीकाराम पालीवाल। पालीवाल केवल 243 दिन ही सीएम के पद पर रहे। संयोग से इस दौरान उन्हें एक बार 15 अगस्त-1952 को ध्वजारोहण का अवसर मिला। वे 3 मार्च-1952 से 1 नवंबर-1952 के बीच सीएम रहे थे।
इसी तरह पीएम चौधरी चरण सिंह का कार्यकाल महज 170 दिन का रहा, लेकिन उन्हें भी एक बार ध्वजारोहण का अवसर मिला। सिंह 28 जुलाई-1979 से 14 जनवरी-1980 के बीच पीएम रहे थे।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
- राजनीतिक टिप्पणीकार वेद माथुर का कहना है कि किसी भी राजनेता के लिए यह गौरव का विषय है कि वो बतौर सीएम या पीएम ध्वजारोहण करें। पीएम मोदी और सीएम गहलोत दोनों अपने-अपने कार्यक्षेत्र में लोकप्रिय हैं। जनता ने उन्हें यह अवसर दिया है यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
- राजस्थान विश्वविद्यालय के अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. विनोद कुमार शर्मा का कहना है कि 15 बार स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करने वाले बहुत कम सीएम हुए हैं। यह जनता के साथ उनके सतत सम्पर्क और सेवा से ही संभव हो सकता है।
- वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार भूपेन्द्र ओझा का कहना है कि राजनीति में आपके काम-काज से ज्यादा भाग्य का साथ चाहिए होता है। जिन भी राजनेताओं को सीएम या पीएम बनने का मौका मिला हो, उन सभी को यह उपलब्धि हासिल नहीं हो पाई है।