I.N.D.I.A नाम रखने पर 26 विपक्षी दलों को नोटिस !

I.N.D.I.A नाम रखने पर 26 विपक्षी दलों को नोटिस:क्या है एम्ब्लम एक्ट, क्या अब विपक्षी गठबंधन को नाम बदलना पड़ेगा?

‘NDA क्या आप I.N.D.I.A को चुनौती दे सकते हैं? BJP क्या आप I.N.D.I.A को चुनौती दे सकते हैं? अन्य लोग क्या आप I.N.D.I.A को चुनौती दे सकते हैं?’

18 जुलाई को बेंगलुरु में BJP विरोधी 26 दलों की बैठक के बाद तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने ये बयान दिया था। इसी बैठक में 26 दलों ने अपने गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस रखा। इसका शॉर्ट फॉर्म I.N.D.I.A है।

दरअसल, गठबंधन का शॉर्ट नाम I.N.D.I.A रखने पर एक PIL यानी जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि शॉर्ट फॉर्म I.N.D.I.A राष्ट्रीय प्रतीक यानी एम्ब्लेम का हिस्सा है। ऐसे में इसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इसी मामले में 26 दलों के साथ ही केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।

आखिर एम्ब्लेम एंड नेम्स एक्ट क्या है? क्या इसकी वजह से राजनीतिक गठबंधन का नाम I.N.D.I.A नहीं रखा जा सकता?

I.N.D.I.A नाम वाले गठबंधन के खिलाफ दायर PIL में क्या कहा गया है?

कारोबारी गिरीश भारद्वाज ने कांग्रेस, तृणमूल समेत 26 दलों के इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस का शॉर्ट फॉर्म I.N.D.I.A रखने पर दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।

इसमें कहा गया है कि इन 26 दलों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अनुचित लाभ लेने के लिए ही गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखा है। इसमें तर्क दिया गया है कि I.N.D.I.A नाम का इस्तेमाल सिर्फ लोगों की सहानुभूति और वोट हासिल करने के लिए किया गया है।

साथ ही इसे राजनीतिक फायदे के लिए टूल के तौर पर इस्तेमाल करने और चिनगारी भड़काने के लिए किया गया है जो आगे चलकर राजनीतिक नफरत और हिंसा की वजह बन सकता है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि शॉर्ट फॉर्म I.N.D.I.A राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा है। ऐसे में शॉर्ट फॉर्म का उपयोग किसी व्यवसाय, व्यवसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है। यह एम्ब्लम एंड नेम्स एक्ट 1950 का उल्लंघन है।

साथ ही आगे कहा गया है कि इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इससे देश के नागरिक अनुचित हिंसा का शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।

याचिका में कहा गया है कि भारत के चुनाव आयोग ने इन राजनीतिक दलों को अपने गठबंधन का शॉर्ट नाम I.N.D.I.A का उपयोग करने से रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में याचिकाकर्ता के पास इस रिट याचिका को दायर करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।

गिरीश भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि यह मामला सुनवाई करने के योग्य है। मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।

क्या 26 विपक्षी दल अपने राजनीतिक गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रख सकते हैं?

भारत के संविधान का आर्टिकल 1 कहता है कि संघ का नाम India या भारत है। संविधान किसी भी उद्देश्य के लिए India नाम के उपयोग पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध नहीं लगाता है।

हालांकि, राष्ट्र के नाम के समान किसी भी चीज का नामकरण एक असामान्य घटना है और इससे अस्पष्टता पैदा होना तय है। दुनिया भर में ऐसी कई पार्टियां हैं जहां देश का नाम राजनीतिक दल के नाम का एक हिस्सा है, लेकिन देश के नाम के समान नाम होना दुर्लभ है।

यानी 26 दलों ने अपने गठबंधन का जो शॉर्ट फॉर्म रखा है वो I.N.D.I.A है। यही विवाद की वजह भी है।

एम्ब्लम एंड नेम्स एक्ट-1950 क्या है और इसमें देश के नाम के इस्तेमाल को लेकर क्या कहा गया है?

साल 1946 में संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी UNGA ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से एक सिफारिश की। सिफारिश में संयुक्त राष्ट्र के प्रतीक, आधिकारिक मुहर, नाम को कॉमर्शियल परपज के लिए यूज नहीं करने का आग्रह किया गया।

इसके बाद भारत ने अपने राष्ट्रीय ध्वज, प्रतीक और नाम के इस्तेमाल पर चिंता जताई। जिसके बाद एम्ब्लम एंड नेम्स एक्ट (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) -1950 बना।

एक्ट के सेक्शन-3 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था देश के नाम और उसके कुछ मान्य प्रतीकों का व्यवसायिक उपयोग बिना केंद्र सरकार की अनुमति के नहीं कर सकती।

हालांकि, इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि क्या किसी राजनीतिक दल द्वारा किए गए कार्यों को बिजनेस और व्यवसायिक उद्देश्य कहा जा सकता है क्योंकि राजनीतिक दल का गठन चुनाव लड़ने के उद्देश्य के लिए किया जाता है।

बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया यानी BCCI को India नाम का उपयोग करने के खिलाफ भी PIL दायर हो चुकी है। 2019 में गीता रानी ने यह जनहित याचिका दायर की थी। इसमें BCCI को डी-रजिस्टर करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। इसमें कहा गया था कि India नाम रखना एम्ब्लम एंड नेम्स एक्ट- 1950 के सेक्शन-3 का उल्लंघन है।

इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने माना कि एक्ट का सेक्शन-3 BCCI पर लागू नहीं होता है, क्योंकि यह कोई ऐसी संस्था नहीं है जो कोई व्यापार, व्यवसाय या पेशा करती है।

एक्सपर्ट बोले- कानून में राजनीतिक गठबंधन के बारे में कोई नियम नहीं

सुप्रीम कोर्ट के वकील और ‘इलेक्शन ऑन रोड्स’ किताब के लेखक विराग गुप्ता कहते हैं कि भारत के किसी भी कानून में राजनीतिक गठबंधन के बारे में कोई नियम नहीं है। रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट में भी इसके बारे में कोई प्रावधान नहीं है।

वहीं राजनीतिक गठबंधन अनेक प्रकार के होते हैं। चुनाव पूर्व, चुनाव के लिए और चुनाव के बाद। इन गठबंधनों के बारे में भी चुनाव आयोग की कोई भूमिका नहीं है।

कानून की निगाह में देखें तो लीगल एंटिटी या पर्सन होना जरूरी है। यानी या तो जैविक व्यक्ति या कानूनी व्यक्ति का होना जरूरी है। जैविक व्यक्ति वो होता है जैसे- कोई महिला या पुरुष और ट्रांसजेंडर। कानून द्वारा बनाए गए व्यक्ति होते हैं- HUF, कंपनी, सोसाइटी, ट्रस्ट। ये लोग कानून की निगाह में होते हैं। इनके लिए अलग-अलग कानून बने हैं। इन्हीं को लीगल एंटिटी कहते हैं।

यानी कोई भी लीगल एंटिटी अपना बैंक अकाउंट खोल सकता है। लीगल एंटिटी के जो भी डायरेक्टर होते हैं या उनका मैनेजमेंट होता है उनकी कानूनी जवाबदेही होती है, लेकिन ये गठबंधन है जो कि राजनीतिक है। यानी कानून की निगाह में इसकी कोई अहमियत नहीं है। यानी कौन लोग इसके सदस्य हैं और कौन इसके मेंबर हैं, इसका अकाउंट खुलेगा या नहीं, रजिस्ट्रेशन होगा या नहीं?

यानी अगर लीगल एंटिटी ही नहीं है तो उसके खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई का ज्यादा औचित्य नहीं बनता है।

विराग कहते हैं कि अगर 26 विपक्षी दलों के गठबंधन के शॉर्ट नेम I.N.D.I.A से किसी कानून का उल्लंघन होता है ताे ऐसे में देश में अनेक प्रकार के संस्थान हैं, इनमें कई मीडिया संस्थान हैं जिनके नाम में India है। जैसे इंडिया टीवी, रिपब्लिक भारत, टीवी-9 भारतवर्ष, टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स।

उन्होंने बताया कि इनमें से कई नाम कानून बनने के बाद अस्तित्व में आए हैं। इनके खिलाफ किसी कानूनी कार्रवाई की मांग नहीं हुई है। ऐसे में विपक्षी दलों द्वारा अपने गठबंधन का ‘शॉर्ट में I.N.D.I.A नाम रखने से किसी कानून का उल्लंघन नहीं होता है, क्योंकि अगर इसके खिलाफ कार्रवाई की गई तो अन्य नामों के खिलाफ भी करनी पड़ेगी।

देखा जाए तो 26 दलों का INDIA नाम एक शॉर्ट फॉर्म है। शॉर्ट फॉर्म में यदि कोई आदमी किसी को कुछ बोलता है तो उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती।

यहां पर ट्रेडमार्क के उल्लंघन का भी मामला नहीं बनता। ट्रेडमार्क के दायरे में वे चीजें आएंगीं जिन्हें किसी व्यक्ति किसी खास नाम से या लोगो के रूप में रजिस्टर किया गया हो। ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति या संस्थान को कम्प्लेन करने की जरूरत होती है। यानी उस व्यक्ति ने ऐसा कोई नाम रजिस्टर कराया हो और कोई दूसरा उस नाम को कॉपी करके कानून का उल्लंघन कर रहा हो।

यानी यह याचिका एक प्रकार से राजनीतिक हंगामे के लिए है और इसका कानूनी तौर पर कोई औचित्य नहीं है।

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