बस्ती: वर्चस्व की जंग में गई कबीर तिवारी की जान, हत्याकांड का मास्टरमाइंड गिरफ्तार
बस्ती: बहुचर्चित बीजेपी नेता कबीर तिवारी की मर्डर मिस्ट्री को बस्ती पुलिस ने सुलझा कर खुलासा किया है. पुलिस के अनुसार, वर्चस्व की लड़ाई में कबीर तिवारी की हत्या की गई थी. एक अन्य बीजेपी नेता ही कबीर तिवारी हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता निकला.
कबीर हत्याकांड में दो अभियुक्त शूटर अनुराग तिवारी और अभय तिवारी ने 8 अक्टूबर को गोली मारकर हत्या कर दी थी. इन दोनों आरोपियों को पब्लिक ने घटनास्थल से पकड़कर पुलिस के हवाले किया था. हत्याकांड का मास्टरमाइंड अभिजीत सिंह अपने सहयोगी प्रशांत पांडे घटना के दिन से फरार चल रहा था. इन दोनों में प्रशांत पांडेय की गिरफ्तारी रविवार को बस्ती के नगर थाना क्षेत्र के मदारपुर एक्सड़ा पुल के पास से की गई. वहीं, मास्टरमाइंड अभिजीत सिंह की को एसटीएफ ने लखनऊ से गिरफ्तार किया.
पुलिस ने प्रशान्त पांडे उर्फ मुन्नू के पास से एक अदद कट्टा और 12 बोर के चार जिंदा कारतूस बरामद किए हैं. आरोपियों को असलहा मुहैया कराने वाला अभियुक्त नवरत्न लाल उर्फ भोलू गुप्ता अभी फरार चल रहा है. भोलू गुप्ता के खिलाफ 15 मुकदमे दर्ज हैं. कबीर हत्याकांड में शामिल लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अमन प्रताप सिंह, अक्षय प्रताप सिंह, मोहम्मद शाद उर्फ शद्दु, समीर खान, साहिल सिंह, अवनीश प्रताप सिंह, इमरान उर्फ शिबु शामिल किए गए हैं. फिलहाल अन्य आरोपियों की पुलिस तलाश कर रही है. जल्द गिरफ्तारी की बात कह रही है.
क्यों की गई कबीर तिवारी की हत्या
कबीर तिवारी शुरू से छात्र राजनीति में सक्रिय था. छात्र नेता होने के वजह से छात्रों के समर्थन से उसने शहर में अपना दबदबा कायम कर लिया था. उसके ऊपर भी 16 मुकदमे दर्ज थे. वह बीजेपी पार्टी में संगठन में सक्रिय सदस्य था. वहीं, कबीर तिवारी हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता अभिजीत सिंह भी भाजयुमो में जिला मंत्री के पद पर था. इन दोनों की आपस में नहीं बनती थी. कबीर तिवारी ने छात्रों के समर्थन के दम परजनपद में सभी पर अपना वर्चस्व कायम किया था. यह बात अभिजीत सिंह को हमेशा खटकती रहती थी.
इसी के चलते इन दोनों ने कबीर तिवारी की हत्या की साजिश रची. इन दोनों ने शूटर के रूप में अनुराग तिवारी और अभय तिवारी को मोटिवेट करके हत्या की योजना बनाई. इसमें असलहा के लिए नवरत्न लाल उर्फ भोलू गुप्ता से 17 में हजार देशी पिस्टल और दो तमंचे की खरीद फरोख्त की गई. शैलेन्द्र पांडे और अभिजीत पांडे कई दिन से कबीर तिवारी की रेकी कर रहे थे. 8 अक्टूबर को कबीर तिवारी घटनास्थल पर आने वाला था. इसकी जानकारी शूटर अभय तिवारी और अनुराग तिवारी को फोन से दी गई.
दोनों शूटर कबीर तिवारी को नमस्कार करके फायर कर दिया. कबीर तिवारी शूटरों को पहचानता था, इसलिए इनके ऊपर शक नही हुआ. गोली लगने बाद ये दोनों भागने लगे. लोगों ने इनको दौड़ाकर पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया. कबीर तिवारी को जिला हॉस्पिटल से लखनऊ के लिए रेफर कर दिया गया. जहां रास्ते में ही कबीर की मौत हो गई. साजिशकर्ता अभिजीत सिंह और शैलेन्द्र पांडे अपने चाचा की कार से लखनऊ भाग गए. वहां से नोएडा गए, फिर नोएडा से दोनों अलग हो गए.
क्या काम करते थे मास्टरमाइंड
अभिजीत सिंह के ऊपर 8 मुकदमे दर्ज हैं. इसके परिवार का भी आपराधिक इतिहास है. शैलेन्द्र पांडे भी इनका सहयोग करता था. इनके सभी बीजेपी नेताओं से संबंध हैं. अभिजीत सिंह बैंक के लोन लेने वाले गाड़ियों की रिकवरी करता था. इसमें शूटर अनुराग तिवारी और अभय तिवारी भी सहयोग करते थे. इन्हीं से इन लोगों का खर्च चलता था. वहीं, नवागत कप्तान हेमराज मीणा ने नामजद लोगों की डिटेल खंगाल कर उनकी गिरफ्तारी की बात कही है.