क्या है राजद्रोह कानून और किस वजह से लोगों पर लगाया जाता है?

राजद्रोह कानून को हम भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के नाम से भी जानते हैं. इस कानून को 17वीं शताब्दी में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था.

भारत में अब राजद्रोह कानून को खत्म किया जाएगा’… इस बात का ऐलान लोकसभा में खुद गृह मंत्री अमित शाह ने किया है. दरअसल, इस कानून को खत्म करने की मांग कई विपक्षी पार्टियां लंबे समय से करती आ रही थीं. चलिए आपको बताते हैं क्या है ये कानून और किसी पर ये कब लगाया जाता था. इसके साथ ही अगर इसमें आप दोषी पाए जाते हैं तो फिर आपको सजा कितनी होती है.

क्या है राजद्रोह कानून?

राजद्रोह कानून को हम भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के नाम से भी जानते हैं. इस कानून को 17वीं शताब्दी में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था. हालांकि, इस कानून का मसौदा मूल रूप से 1837 में ब्रिटिश इतिहासकार और राजनीतिज्ञ थॉमल मैकाले द्वारा तैयार किया गया था. उस वक्त ब्रिटिश हुकूमत इस कानून का प्रयोग उन लोगों के खिलाफ करती थी, जो लोग सरकार के प्रति अच्छी राय या विचार नहीं रखते थे और उसके खिलाफ सार्वजनिक रूप से मुखर हो कर बोलते थे.

किसी पर कब लगाई जाती है ये धारा?

ब्रिटिश राज के बाद जब भारत आजाद हुआ तब भी यह कानून भारतीय दंड संहिता में बरकरार रहा. हालांकि, अब ये उन लोगों पर नहीं लगाया जाता था, जो सरकार के खिलाफ बोलते थे. बल्कि इस धारा का प्रयोग उन लोगों के खिलाफ किया जाता था, जो लोग बोलकर, लिखकर, इशारों या चिन्हों के माध्यम से या फिर किसी भी और माध्यम से नफरत फैलाते हैं, या भारतीय कानून या सरकारी आदेश की अवमानना करता है या फिर लोगों को उत्तेजित या उनमें असंतोष की भावना भड़काने की कोशिश करते हैं, उन पर राजद्रोह की धारा लगाई जाती है. आपको बता दें भारत में सबसे पहले इस कानून का प्रयोग साल 1897 में बाल गंगाधर तिलक के खिलाफ किया गया था.

क्या ये देश द्रोह से अलग है?

राजद्रोह, देश द्रोह से पूरी तरह से अलग है. आपको बता दें देश द्रोह कानून का प्रयोग सिर्फ उन्हीं लोगों के खिलाफ किया जा सकता है जो देश के ख़िलाफ किसी गतिविधि में शामिल हों, या फिर ऐसे किसी संगठन से संपर्क रखते हों जो देश के खिलाफ काम कर रही हो, इसके साथ ही आतंकी विचारधारा वाले व्यक्ति या संगठन से संपर्क रखने वाले व्यक्ति पर भी देश द्रोह का केस दर्ज होता है. वहीं युद्ध या उससे जुड़ी गतिविधियों में विरोधी देश को सहयोग करना भी देशद्रोह की श्रेणी में आता है. इसमें दोषी पाए जाने पर आरोपी को आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. जबकि, राजद्रोह की सजा मामूली है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *