ग्वालियर : पुलिस चौकी भले ही खुली, इस पर नहीं बैठ रहा है स्टाफ !

सुधार के नाम पर नहीं किया गया कुछ …

पुलिस चौकी भले ही खुली, इस पर नहीं बैठ रहा है स्टाफ, डायल-100 भी नहीं आती …

महिला और बेटियों की सुरक्षा को लेकर पुलिस भले ही लाख दावे करें, लेकिन वह इसको लेकर गंभीर नहीं है। शहर के कोचिंग सेंटर्स में पढ़ने वाली छात्राओं को सुरक्षा देने के लिए पुलिस ने तमाम बैठकें कीं। इसके बाद निर्णय लिया गया कि वह कोचिंग सेंटर के पास पुलिस चौकी भी खोलेगी। आनन-फानन में लक्ष्मीबाई कॉलोनी में पुलिस चौकी की री-ओपनिंग भी हो गई। वहीं अन्य क्षेत्रों में भी कोचिंग सेंटर्स पर पुलिसवालों ने कुछ दिनों तक गश्ती भी की।

अक्षया की मौत के करीब 30 दिन बाद जब दैनिक भास्कर की महिला रिपोर्टर ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया तो पुलिस चौकी पर कुंदी लगी मिली, पुलिसवाले चॉकी से नदारद थे। अब तो डायल-100 ने भी आना छोड़ दिया है। वहीं कोचिंग पर पढ़ने वाली छात्राओं से लेकर इनके अभिभावकों का कहना है कि जब कोई घटना हो जाती है पुलिस तभी एक्टिव होती है। इसके बाद गंभीर नहीं दिखती है। इसी का परिणाम है कि छात्राओं के साथ घटनाओं की शिकायतें पुलिस थानों तक पहुंचना आम बात है।

कोचिंग के सबसे पीक टाइम (4 से 6 बजे) पुलिस चौकी में लगा ताला

प्राइवेट कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष एमपी सिंह ने बताया कि शहर में जेईई, नीट और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली लगभग 1700 कोचिंग सेंटर्स हैं, जिनमें 40 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैँ। कोचिंग का पीक टाइम शाम 4 से 6 बजे तक रहता है। इसकी वजह है कि इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थी सुबह स्कूल जाते हैं, जो कक्षा 11वीं और 12वीं के विद्यार्थी होते हैं। सिटी रिपोर्टर ने लक्ष्मीबाई कॉलोनी, थाटीपुर, रॉक्सीपुल क्षेत्र के कोचिंग सेंटर्स में पीक टाइम पर लाइव रिपोर्टिंग की, तो उस समय कोचिंग सेंटर्स के पास न तो डायल-100 दिखाई दी। जब पुलिस चौकी के पास पहुंचे, तो वहां चौकी पर कुंदी लगी हुई थी। कोई भी पुलिस कर्मी वहां मौजूद नहीं था।

छात्राओं ने कहा- पुलिस भी पूछे हमारी परेशानी, हम सेफ हैं या नहीं

कक्षा 11वीं की छात्रा ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मैं सात किमी दूर से लक्ष्मीबाई कॉलोनी में कोचिंग पढ़ने के लिए आती हूं। मेरे माता-पिता कामकाजी हैं, कोचिंग छोड़ने के लिए नहीं आ सकते। लेकिन कई बार कई बार फब्तियां भी कसते हैं। हर समय माहौल सेफ फील नहीं होता। 10वीं की एक छात्रा ने बताया कि हम लोग तीन घंटे के लिए कोचिंग आते हैं। दोपहर के समय पुलिस का राउंड नहीं लगता है, लेकिन शाम के समय पुलिस कोचिंग सेंटर्स के आस-पास राउंड लगा लेती है। वहीं नीट की तैयारी करने वाली एक छात्रा ने कहा कि घर से अकेले कोचिंग आने पर डर लगता है।

महीने में दो बार खोली बेटी की पेटी, नहीं निकली शिकायतें

शहर में स्कूल कॉलेज और कोचिंग सेंटर सहित 10 से 12 स्थानों पर बेटी की पेटी लगाई गई थी। जिसमें पुलिस जिम्मेदारी के साथ अब पेटियां खोल कर चैक कर रही हैं। मिस हिल स्कूल के प्राचार्य एसपी सिंह ने बताया कि महीने में दो बार स्कूल में बेटी की पेटी को खोलने के लिए पुलिस वाले आए थे। लेकिन कोई लेटर नहीं निकला। इसलिए स्कूल में छात्राओं के बीच जागरूकता के लिए सेमीनार कराए जा रहे हैं। जिससे वह इस स्कीम को समझें और बिना किसी डर के अपनी समस्या को लेटर के रूप में लिखकर इस पेटी में डाल पाएं। जिससे पुलिस उनकी समस्या का निराकरण कर सके।

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