भोपाल : तीन तरफ से कलियासोत नदी, बीच में टापू की तरह खड़ी हो गईं मल्टीस्टोरी
2014 में हुए सीमांकन के निशान तक मिटे:तीन तरफ से कलियासोत नदी, बीच में टापू की तरह खड़ी हो गईं मल्टीस्टोरी
कलियासोत नदी के कब्जों को देखते हुए 2014 में एनजीटी ने अपने आदेश में 33 मीटर के दायरे से अवैध निर्माण हटाने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही नदी का सीमांकन करने और यहां ग्रीन बेल्ट डेवलप करना था।
डीजीपीएस सर्वे में
यह बात सामने आई कि 2014 में फौरी तौर पर जो सीमांकन हुआ था, उसके निशान गायब हो चुके हैं। तीन तरफ कलियासोत नदी और बीच में टापू की तरह इमारतें खड़ी हैं। नदी के किनारे ग्रीन बेल्ट नहीं बना। नगर निगम ने क्षेत्र में सीवर नेटवर्क बिछा दिया है, लेकिन कितनी कॉलोनियाें के कनेक्शन जुड़े और उनमें भी कितने का सीवेज अब नदी में नहीं जा रहा है इसको लेकर ठीक-ठीक कुछ भी कहना मुश्किल है। नदी में खुले में बहता हुआ सीवेज बताता है कि इस पर अभी बहुत काम होना है।
पानी में उम्मीदें… एनजीटी कहता रहा नदी बचाओ, जिम्मेदार आंख मूंदे रहे
दो धाराएं बनीं, एक तो रिकॉर्ड में ही नहीं
नदी में पूरे साल पानी नहीं रहता। इसका फायदा उठाते हुए लोगों ने मुरम और पत्थर भरकर नदी को पाट दिया। यहीं इमारतें तन गईं। यहां नदी दायरे में बनी पुरानी इमारतों में से ज्यादातर खाली हैं। 1995 में डैम बनने के बाद दो अलग-अलग धाराएं बह रहीं हैं। डैम के बैक वाटर वाली धारा राजस्व के रिकॉर्ड में नदी दर्ज नहीं है।
कई निर्माणाधीन प्रोजेक्ट भी दायरे में
बावड़िया ब्रिज के पास दानिशकुंज के 2 घर, विराशा हाइट्स के पीछे का हिस्सा, पार्किंग और परिसर से लगा एक मंदिर भी इसकी जद में है। यहां नदी 40 मीटर से बढ़कर 50 मीटर चौड़ी हो गई है। नदी के दूसरे छोर पर फॉर्च्यून बिल्डर्स का लॉन्च होने वाले निर्माणाधीन प्रोजेक्ट का आधा हिस्सा 33 मीटर की जद में है।
दायरा तय, फिर भी नदी में मकान बनना सरकारी लापरवाही
चौड़ाई घटना-बढ़ना अप्राकृतिक, बहाव रोकने से 900 तक मुड़ी नदी
नदी के आकार में बदलाव की असल वजह बहाव रोकना है। नदी एक जगह पर 90 डिग्री तक मुड़ गई है। चौड़ाई जिस तरह से घट-बढ़ रही है, वह अप्राकृतिक है। पिछले 100 साल में हुई अधिकतम बारिश के आधार पर नदी की चौड़ाई और रास्ता तय किया जाना चाहिए।
टाउन प्लानर
ब्लैक कॉटन सॉइल पर नदी के किनारे बने मकान खतरनाक
कलियासोत के किनारे ब्लैक कॉटन सॉइल है। यहां मकान बनाना खतरनाक है। किसी भी समय बड़ी आपदा हो सकती है। 33 मीटर का दायरा तो 1995 से तय है। इसके बावजूद यहां मकान बनना सरकारी एजेंसियों की लापरवाही का नतीजा है।
एनवायर्नमेंट साइंटिस्ट
गुजरात के साबरमती प्रोजेक्ट को कलियासोत पर भी लागू किया जाए
20 साल पहले अहमदाबाद में साबरमती के हाल कलियासोत से भी ज्यादा खराब थे। इस प्रोजेक्ट को कलियासोत पर लागू किया जा सकता है। अमृत योजना के तहत जलस्रोत के संरक्षण के लिए मिली 25 करोड़ की राशि को सीड मनी के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
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