MP में ब्यूरोक्रेट्स की दावेदारी ?
मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से करीब 28 ऐसी सीटें हैं, जिन पर ब्यूरोक्रेट्स अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। ऐसे भाजपा से 16 और कांग्रेस से 12 दावेदार हैं। कुछ ब्यूरोक्रेट्स की स्थिति यह है कि अगर प्रदेश की ये मुख्य पार्टियां इन्हें टिकट नहीं देंगी तो ये किसी अन्य दल या निर्विरोध भी चुनावी ताल ठोकने को तैयार हैं। हाल ही 5 रिटायर्ड IAS भाजपा में शामिल हुए हैं। इनमें से 2 पर लोकायुक्त की जांच चल रही है। वहीं नौकरी से सेवानिवृत्ति या इस्तीफा देकर कांग्रेस जॉइन करने वाले अधिकतर नेताओं के इस्तीफे मंजूर नहीं हो रहे हैं।
ब्यूरोक्रेट्स का राजनीति में आने का ट्रेंड नया तो नहीं है। लेकिन पिछले 4 चुनावों से तुलना की जाए तो ये ट्रेंड लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बार के विधानसभा चुनाव में करीब 13 रिटायर्ड IAS, 3 रिटायर्ड IPS, 8 डॉक्टर, रिटायर्ड IFS समेत जज, जीएसटी ऑफिसर, पंचायत CEO, प्रोफेसर, टीचर, आबकारी अधिकारी और इंजीनियर तक दावेदारी पेश कर रहे हैं।
भाजपा कांग्रेस दोनों पार्टियों ने अपने मेनिफेस्टो की जिम्मेदारी भी इन्हीं ब्यूरोक्रेट्स को सौंप रखी है …
भाजपा में शामिल हो चुके और टिकट की दावेदारी कर रहे ब्यूरोक्रेट्स
1 . कवींद्र किवायत IAS: मंदसौर में सक्रिय, लोकायुक्त जांच चल रही
2000 बैच के IAS ऑफिसर। 2021 में भोपाल संभागीय कमिश्नर रहते हुए पद से रिटायर हुए। खंडवा, सीहोर समेत प्रदेश के कई जिलों के कलेक्टर रहे। शिवराज के करीबी माने जाते हैं। रिटायर होने के बाद से ही भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। 13 अगस्त 2023 को भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा जॉइन करते ही इन्हें घोषणा पत्र समिति का सदस्य बना दिया गया। मंदसौर जिले के निवासी हैं। इनके ऊपर लोकायुक्त की जांच भी चल रही है।
2. रविंद्र कुमार मिश्रा IAS: अगस्त में भाजपा जॉइन की, कमिश्नर रह चुके हैं…
2002 बैच के IAS अफसर। साल 2020 में पद से रिटायर हुए। इसके बाद 20 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। ये पन्ना जिला कलेक्टर के साथ जबलपुर और नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर भी रह चुके हैं। 8 साल पहले पन्ना में कलेक्टर रहने के दौरान रविंद्र पर एक स्कूल की प्राचार्य ने रेप का मामला दर्ज कराया था, इसके बाद महिला ने अपना बयान बदल दिया था। घटना के बाद रविंद्र को पन्ना से ट्रांसफर कर दिया गया था।
3. एमके अग्रवाल IAS: ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में प्रभावशाली, सीए-लॉयर भी हैं
2000 बैच के IAS अधिकारी। 2021 में रिटायर हुए। चंबल डिवीजन के कमिश्नर रह चुके हैं। खंडवा, मुरैना और देवास में कलेक्टर रह चुके हैं। 20 अगस्त 2023 को ग्वालियर में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भाजपा की सदस्यता ली। ग्वालियर-चंबल से आते हैं और इसी क्षेत्र में अपना प्रभाव होने का दावा करते हैं।
4. वेद प्रकाश शर्मा IAS: जबलपुर पश्चिम में सक्रिय, खुद को नेता बताने लगे हैं
2009 बैच के रिटायर्ड IAS। 20 अगस्त को ग्वालियर में गृह मंत्री अमित शाह, नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। 5 साल तक जबलपुर नगर निगम के कमिश्नर रह चुके हैं। जबलपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से टिकट दावेदारों की सूची में इनका नाम शामिल है। पार्टी जॉइन करने के 5 दिन बाद ही मीडिया में खबरें चलीं कि इनपर पद के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार करने के मामले में FIR दर्ज है। लोकायुक्त दिसंबर 2021 से इसकी जांच कर रहा है।
5. एसएन सिंह चौहान IAS: BJP का मेनिफेस्टो बनाने में अहम भूमिका
2002 बैच के IAS अधिकारी रहे। 2017 में रिटायर हुए। रिटायर होने के 2 साल बाद साल 2019 में भाजपा जॉइन कर ली थी। हाल ही इन्हें मेनिफेस्टो कमेटी का मेंबर बनाया गया है।
6. रघुवीर श्रीवास्तव IAS: बहू दर्ज करा चुकी है रेप की कोशिश का मुकदमा
मध्य प्रदेश कैडर के 1992 बैच के रिटायर्ड IAS हैं। 2015 में रिटायर हुए। साल 2022 में इनकी बहू ने इनके खिलाफ अटेम्प्ट टू रेप की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके साथ ही बहू ने बेटे और सास समेत पूरे परिवार के खिलाफ मारपीट, दहेज प्रताड़ना की शिकायत दर्ज कराई थी। तभी ये सबसे ज्यादा चर्चा में आए थे। 13 अगस्त को भाजपा की सदस्यता ली। भोपाल से ताल्लुक रखते हैं। यहीं की राजनीति में सक्रिय हैं।
7. डॉ. मुकेश तिलगाम, रेडियोलॉजिस्ट: इस्तीफा दिया फिर शिवराज ने जॉइन कराई भाजपा
मंडला जिला अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट रहे डॉ. मुकेश तिलगाम ने 2021 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने सीएम शिवराज सिंह की मौजूदगी में भाजपा जॉइन कर ली। मंडला में खुद का नर्सिंग होम चलाते हैं। लगातार जमीनी स्तर पर चुनावी तैयारियों में सक्रिय हैं।
8. डॉ. प्रकाश उइके, रिटायर्ड जज: ट्राइबल बेल्ट में एक्टिव, नि:शुल्क कोचिंग भी पढ़ाते हैं
27 जुलाई 2023 को भाजपा में शामिल हुए। मजिस्ट्रेट थे, दमोह में पदस्थ रहते हुए जुलाई के महीने में इस्तीफा दे दिया था। छिंदवाड़ा के पांर्ढुणा विधानसभा सीट से आते हैं। यहां के वनवासी ट्राइबल बेल्ट में लगातार काम कर रहे हैं। संघ और जनजातियों के बीच अच्छी पैठ है। क्षेत्र में नि:शुल्क कोचिंग सेंटर भी चलाते हैं। पूरे क्षेत्र में इनकी 250 युवाओं की टीम सक्रिय है। जनजातीय विषय, धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर वे काम कर रहे हैं। वनवासी कार्यक्रम भी कराते रहते हैं।
9. देवेंद्र मरकाम, डॉक्टर: अगस्त में रिटायर होते ही थामा भाजपा का दामन
8 अगस्त को रिटायर हुए हैं। डिंडौरी जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. देवेंद्र सिंह मरकाम एमपीपीएससी के सदस्य बनाए गए थे। 8 अगस्त को पद से रिटायर हो गए हैं। संघ में अच्छी पकड़ है। भाजपा में शामिल होकर जिले की राजनीति में सक्रिय हैं।
10. हेमराज बारस्कर, जीएसटी ऑफिसर: एबीवीपी और संघ से गहरा संबंध है
बैतूल जिले की भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हेमराज बारस्कर वर्तमान में इटारसी में जीएसटी ऑफिसर हैं। भोपाल से पढ़ाई पूरी कर नौकरी में आए। छात्र जीवन में एबीवीपी से जुड़े रहे। पिता गेंदू बारस्कर और भाई मनीष बारस्कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं। पिता संघ से जुड़ा बड़ा नाम रहे हैं।
11. रूपचंद्र मईडा, पशु विभाग: आदिवासियों के बीच सक्रिय, टिकट के लिए इस्तीफा दिया
रतलाम ग्रामीण क्षेत्र से बीजेपी का टिकट मांग रहे हैं। वर्तमान में पशु विभाग में कार्यरत हैं। वे साथ में जनजातीय सुरक्षा मंच के प्रांत निधि प्रमुख हैं। आदिवासियों के बीच लगातार सक्रियता के चलते भाजपा पार्टी में शामिल करा रही है। इस्तीफा देकर टिकट की जुगत में लगे हैं।
12. डॉ. रैलाश सेनानी, दंत चिकित्सक: संघ से जुड़े हैं, सेंधवा सीट से दावेदारी
बड़वानी जिले की सेंधवा सीट से डॉ. रैलाश सेनानी भी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। वे पेशे से दंत चिकित्सक हैं। शासकीय पीजी कॉलेज की जनभागीदारी समिति के भी अध्यक्ष हैं। अभी भाजपा अजजा मोर्चा जिला अध्यक्ष हैं। संघ पृष्ठभूमि से आते हैं।
अब, वो ब्यूरोक्रेट्स जिन्हें या तो भाजपा से टिकट मिल गया है या फिर पहले से ही विधायक, मंत्री रह चुके हैं…
13. विजय आनंद मरावी, डॉक्टर: टिकट मिलने के कुछ घंटे पहले छोड़ी थी नौकरी
मंडला जिले की बिछिया से भाजपा का टिकट मिल गया है। डॉ. विजय जबलपुर मेडिकल कॉलेज में सहायक अधीक्षक के रूप में पदस्थ थे। इन्होंंने बीजेपी कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट जारी होने से चंद घंटों पहले ही सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया था। सिर्फ यही नहीं, डॉक्टर मरावी ने भाजपा की सदस्यता भी टिकट मिलने के बाद ली। भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद डॉ. विजय आनंद मरावी भाजपा जिला कार्यालय पहुंचे और सदस्यता फॉर्म भर पार्टी जॉइन की। अब चुनावी तैयारियों में व्यस्त हैं।
14. कुंवर जी कोठार, इंजीनियर: सीएम ने खुद बुलाकर चुनाव लड़ने को कहा था
राजगढ़ जिले के सारंगपुर क्षेत्र निवासी कुंवरजी कोठार जल संसाधन विभाग में इंजीनियर रहे। 31 अक्टूबर 2008 को पद से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। पिता अमर सिंह कोठार इस सीट से 6 बार के विधायक रहे। पद पर रहते हुए 2008 में उनका निधन हो गया। नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर पिता अमर सिंह के सहयोगी रहे गौतम टेटवाल को टिकट मिला और वे जीत गए।
15. प्रभुराम चौधरी, डॉक्टर: एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान कर दी थी राजनीति की शुरुआत
रायसेन जिले के सांची से विधायक हैं। एमबीबीएस हैं। डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में आ गए थे। राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी के साथ की थी। साल 2018 में गौरी शंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार को हराया था। 2020 में भाजपा में शामिल हो गए। अभी मंत्री हैं। सांची से फिर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
16. माधो सिंह डावर, शिक्षक: जिला पंचायत सदस्य से राजनीति की शुरुआत
आलीराजपुर जिले के भांवरा गांव के रहने वाले माधो सिंह डावर ने 13 साल तक शिक्षक की नौकरी की। 1 जून 1983 में नौकरी छोड़ दी।
कांग्रेस में शामिल हो चुके या टिकट की दावेदारी करने वाले ब्यूरोक्रेट्स
1. संजीव छोटेलाल उईके, प्रोफेसर: 2013 में चुनाव लड़ चुके हैं, पिता भी बड़े नेता रहे
मंडला आरडी कॉलेज के हिंदी के प्रोफेसर संजीव छोटे लाल उईके ने साल 2008 में प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस पार्टी जॉइन की। साल 2013 में कांग्रेस की टिकट पर मंडला सीट से चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में भी टिकट के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं। पिता भी 1980 में मंडला के सांसद और 2 बार के विधायक रह चुके हैं।
2. एनपी वरकडे, IPS: सांसदी के दावेदार थे, अब विधायकी का टिकट मांग रहे
मंडला जिले के बम्हनी के आईपीएस एनपी वरकडे 2018 में डीआईजी रीवा के पद से रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद के टिकट की दावेदारी थी। अब मंडला से विधायकी के लिए दावेदारी कर रहे हैं। इनकी बेटी कल्याणी वरकडे डीएसपी हैं। वर्तमान में पन्ना जिले के अजयगढ़ में पदस्थ हैं।
3. महेश मालवीय, ग्राम सेवक: पिछला चुनाव पत्नी को लड़ाया, अब खुद दावेदार
सारंगपुर क्षेत्र के रहने वाले महेश मालवीय राजगढ़ में ग्राम सेवक थे। अक्टूबर 2018 में इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए। पिछली बार पत्नी कला मालवीय को सारंगपुर से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा चुके हैं। इस बार खुद दावेदारी कर रहे हैं। क्षेत्र में कबीर भजन गायक के तौर पर पहचान है।
4. बापू सिंह तंवर, एलआईसी एजेंट: 4 बार जिला पंचायत सदस्य रहे, वर्तमान में विधायक
बापू सिंह तंवर राजगढ़ जिले राजनीति में सक्रिय होने से पहले एलआईसी एजेंट रहे। चार बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता। कांग्रेस सेवा दल में भी रह चुके हैं। वर्तमान में राजगढ़ से विधायक हैं। आगे भी टिकट की दावेदारी है।
5. अशोक मर्सकोले, डॉक्टर: तीन बार के विधायक रामप्यारे कुलस्ते को हरा चुके हैं
मंडला निवासी डॉ. अशोक मर्सकोले जिला अस्पताल मंडला में आंख के डॉक्टर थे। साथ ही सोशल एक्टिविस्ट भी हैं। सामाजिक विषयों पर मुखरता एक स्थानीय नेता को रास नहीं आई और 2018 में उनका तबादला दूसरे जिले में करा दिया। इस प्रेशर की राजनीति के विरोध में मर्सकोले ने इस्तीफा दे दिया। 2018 के चुनाव में निवास विधानसभा से तीन बार के विधायक रामप्यारे कुलस्ते को हराया।
6. शैलेंद्र झारिया, डॉक्टर: भाजपा मंत्री हराने के लिए सांची से मांग रहे टिकट
डॉ. शैलेन्द्र झारिया पेशे से सर्जन हैं। जिला अस्पताल रायसेन में पदस्थ थे। दूसरी शादी करने की वजह से नौकरी से हटा दिए गए। अभी प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। नौकरी जाने के लिए डॉ. प्रभुराम चौधरी को वजह मानते हैं। इसी कारण उनके खिलाफ ही कांग्रेस की ओर से तैयारी कर रहे हैं। गांव-गांव में उनका संपर्क है। सांची विधानसभा से ही टिकट मांग रहे हैं।
7. मोहन अग्रवाल, आबकारी अधिकारी: पूरा परिवार कांग्रेसी रहा, कोलारस में प्रभाव
शिवपुरी जिले के कोलारस के रहने वाले मोहन अग्रवाल सितंबर 2022 में आबकारी विभाग में प्रधान आरक्षक पद से रिटायर हुए। सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद शिवपुरी में कांग्रेस काफी कमजोर हो गई थी। अग्रवाल ने बताया कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद मुझे कोलारस ब्लॉक संगठन में कोषाध्यक्ष और फिर कार्यकारिणी अध्यक्ष बनाया गया है। अभी दोनों पदों पर हूं।
8. डॉ. गोविंद मुजाल्दा, रेडियोलॉजिस्ट: लोकसभा हारे थे, अब विधानसभा के दावेदार
डॉ. गोविंद मुजाल्दा पेशे से डॉक्टर हैं। 2016 में सरकारी नौकरी से VRS लेकर कांग्रेस जॉइन की थी। खरगोन के भगवानपुरा विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। वे शहर के नामी रेडियोलॉजिस्ट हैं। पिछली लोकसभा चुनाव में खरगोन-बड़वानी से हार गए थे। अब विधानसभा का टिकट मांग रहे हैं।
9. जगदीश धनगर, रिटायर्ड फौजी: कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं, सुवासरा सीट में प्रभाव
मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के जगदीश धनगर भी चुनाव लड़ने की तैयारी में है। वे फौज से रिटायर होने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए। कमलनाथ से अच्छे रिश्ते हैं। वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं। जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष भी हैं।
10. अजिता वाजपेयी पांडे IAS: कांग्रेस के मेनिफेस्टो में अहम भूमिका निभाई
1981 बैच की रिटायर्ड IAS ऑफिसर हैं। अजीता मध्य प्रदेश सरकार में अपर मुख्य सचिव रहते हुए रिटायर हुईं। कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली है। कांग्रेस ने इन्हें डिसिप्लिनरी एक्शन कमेटी का सदस्य भी बनाया है। कांग्रेस का मेनिफेस्टो तैयार करने में भी इन्होंने अहम भूमिका निभाई है। भोपाल से ताल्लुक रखती हैं।
11. वी के बाथम, IAS: भोपाल की किसी भी सीट से टिकट दे पार्टी, चुनाव लड़ूंगा
1992 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। साल 2017 में रिटायर हुए। जनवरी 2023 में इन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था। भोपाल में सक्रिय हैं। कांग्रेस ने इन्हें मेनिफेस्टो समिति का सदस्य भी बनाया है।
12. शशि कर्णावत IAS: शिवराज सरकार के खिलाफ पूरे प्रदेश में प्रचार कर चुकी हैं
1999 बैच की पूर्व IAS ऑफिसर हैं। मई 2018 में कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। साल 1999 में मंडला में जिला पंचायत CEO रहते हुए इनपर 33 लाख के प्रिंटिंग घोटाले का आरोप लगा था। 2013 में ये दोषी भी पाई गईं। 5 साल की सजा के साथ 50 लाख का जुर्माना लगा था। जमानत पर बाहर आईं। 2017 में केंद्र सरकार ने इन्हें बर्खास्त भी कर दिया था। सीएम शिवराज से नाराज होकर इन्होंने पिछले चित्रकूट उपचुनाव में अपना एक कैंडिडेट उतरवाया था। पूरे प्रदेश में क्षेत्रीय भाषा में गाना गाकर शिवराज सरकार का विरोध किया था।
ब्यूरोक्रेट्स जिनके चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इनमें से कुछ अफसर ऐसे भी हैं जो इस्तीफा दे चुके हैं। कांग्रेस पार्टी जॉइन कर चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।
1. निशा बांगरे, SDM: नौकरी से इस्तीफा दे कमलनाथ से मिलीं, इस्तीफा नामंजूर हो गया
बालाघाट की निशा बांगरे के पिता रविंद्र बांगरे एजुकेशन विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं। 2017 में वह डिप्टी कलेक्टर बनी थीं। छतरपुर के लवकुश नगर में पदस्थ रहते हुए जून के महीने में पद से इस्तीफा दे दिया था। सरकार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इस्तीफे के बाद एमपी कांग्रेस चीफ कमलनाथ से मुलाकात की थी। इसके बाद इनकी बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की बातें सामने आने लगी थीं। वो यहां की वोटर हैं। घर भी बनवा लिया है। सामाजिक तौर पर भी यहां के लोगों से जुड़ी हैं। 7 सितंबर को राज्य शासन ने उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है। इसलिए अब वो चाह कर भी चुनाव नहीं लड़ सकतीं।
2. पुरुषोत्तम शर्मा, IPS: VRS का आवेदन दिया, सरकार ने खारिज कर दिया
1986 बैच के IPS हैं। मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। पत्नी की पिटाई करते हुए वीडियो वायरल हुआ था। इसी के चलते साल 2020 में सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था। 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें बहाल कर दिया पर कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। इसके बाद 31 मई को इन्होंने स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेने का आवेदन किया। सरकार ने आवेदन को अस्वीकार कर दिया। कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। राज्य सरकार ने उनकी इस इच्छा पर परदा डाल दिया है।
3. लक्ष्मण सिंह डिंडोर, CEO: इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ तो कांग्रेस ने टिकट काटा
रतलाम के रहने वाले लक्ष्मण सिंह डिंडोर वर्तमान में जनपद पंचायत मनावर में सीईओ हैं। इससे पहले पुलिस विभाग में एसआई रहे। इसके बाद नायब तहसीलदार और एसडीएम रहे। 24 साल की नौकरी के बाद इस्तीफा दे चुके हैं। अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है।
4. राजा भैया प्रजापति IAS: करैरा से चुनाव लड़ चुके, अब चंदला से लड़ने का ऐलान
1985 में प्रशासनिक सेवा में आए। 2002 में IAS अधिकारी बने। मार्च 2020 में शहडोल कमिश्नर के पद पर रहते हुए रिटायर हुए। रिटायरमेंट के तुरंत बाद ही शिवपुरी की करैरा विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव लड़े थे। अब होने जा रहे विधानसभा चुनावों में छतरपुर की चंदला विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ये अपने खड्डी गांव के करीब 150 बच्चों को सुबह शाम 2 घंटे अंग्रेजी की कोचिंग पढ़ाते थे।
5. वरदमूर्ति मिश्रा, IAS: नौकरी छोड़कर खुद की पार्टी बनाई
2014 बैच के पूर्व IAS अधिकारी हैं। इससे पहले राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। 1996 में राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में चयनित होकर डिप्टी कलेक्टर बने थे। जुलाई 2022 में पद से इस्तीफा देने के बाद इन्होंने वास्तविक भारत पार्टी (वाभापा) के नाम से नई पॉलिटिकल पार्टी बनाई है। नवंबर 2022 में उन्होंने प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
6. पुरुषोत्तम तिवारी, इंजीनियर: अलग पार्टी बनाई है, जबलपुर से खुद मैदान में
जबलपुर नगर निगम में सीनियर इंजीनियर रहे हैं। रिटायर होने के बाद उन्होंने इंडियन पीपुल्स पार्टी का गठन किया है। पुरुषोत्तम जबलपुर में जनता के बीच सक्रिय हैं। चुनाव लड़ सकते हैं।
7. पन्नालाल सोलंकी, IAS: 2 करोड़ के घोटाले में नाम आया था, निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं
2003 बैच के IAS ऑफिसर हैं। 31 मार्च को श्योपुर जिला कलेक्टर के पद पर रहते हुए रिटायर हुए। 2018 में विजयपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़े थे। हार का सामना करना पड़ा था। राजनीतिक तौर पर एक्टिव हैं। विजयपुर से दावेदारी पेश कर सकते हैं। इनका नाम 2 करोड़ के समिति घोटाले में आ चुका है। 4 अगस्त 2015 से 4 नवंबर 2016 तक श्योपुर में कलेक्टरी के बाद सरकार ने उन्हें यहां से हटा दिया था। 15 जुलाई 2017 को दोबारा श्योपुर के कलेक्टर बनाए गए। इस दौरान उन्होंने महज 41 दिनों में आदिवासी बाहुल्य विजयपुर विधानसभा के 11 दौरे किए थे।
8. बी.चंद्रशेखर, IAS: पॉलिटिक्स के लिए 45 की उम्र में ही ऐच्छिक रिटायरमेंट लिया
2002 बैच के IAS अफसर हैं। बालाघाट और रतलाम समेत 6 जिलों में कलेक्टर रहे हैं। 2020 के अंत में जबलपुर कमिश्नर बने थे। 2023 की शुरुआत में 45 की उम्र में ही वॉलंट्री रिटायरमेंट का आवेदन किया था। समाज सेवा का कारण बताते हुए रिटायरमेंट लेने का फैसला लिया। जून के महीने में राज्य सरकार ने आवेदन मंजूर भी कर लिया। इसी महीने इन्होंने अपना नाम बदलकर समान शेखर कर लिया है। बैतूल जिले की आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है।
9. आजाद सिंह डबास IFS: CM के खिलाफ बुधनी से चुनाव लड़ना चाहते हैं
रिटायर्ड IFS अधिकारी हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस जॉइन की थी। कांग्रेस ने इन्हें पिछड़ा विभाग का प्रदेश संयोजक बनाया गया था। नवंबर 2022 में इन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। अब इस बार के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों वे आम आदमी पार्टी से शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुधनी से चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांग रहे हैं।
इसके अलावा सपाक्स और जयस पार्टियों से भी 20 से ज्यादा IAS-IPS अलग-अलग विधानसभाओं से अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।