फिर हथियार का कारखाना बनते जा रहा बिहार …. बिहार में फिर बंदूकों से फैसले ?
फिर हथियार का कारखाना बनते जा रहा बिहार, बीते 3 साल में 116 फैक्ट्री का भंडाफोड़ …
ठोंक देंगे कट्टा कपार में…आइए न हमरा बिहार में…। खाकी: द बिहार चैप्टर वेब सीरीज का टाइटल सॉन्ग तो आपने सुना ही होगा। यह गाना 90 के दशक की गोलियों की तड़तड़ाहट की याद दिलाता है।
एक बार फिर बिहार में कुछ ऐसा ही ट्रेंड चल रहा है। गांव हो या शहर बात-बात में ठांय-ठांय हो रही है। दो महीने में बिहार में 200 से अधिक जगहों पर फायरिंग की घटनाएं सामने आई है।
रेस्टोरेंट में लोग बर्थडे पार्टी मना रहे हैं, बाहर से उन पर फायरिंग हो रही है। अस्पताल में मरीज इलाज करा रहे हैं, उन पर गोली चलती है। दुकान में बैठे व्यापारी को कोई आकर गोली मार देता है।
कब कौन निशाना बन जाए, कोई ठिकाना नहीं। यहां फैसला बंदूक के बल पर हो रहा है। इसके लिए अपराधी सेना और पुलिस को सप्लाई होने वाले 9 MM के कारतूस और मॉडर्न विदेशी हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इंवेस्टिगेशन में यह बड़ा खुलासा हुआ है। इस बार संडे स्टोरी में पढ़िए बदमाशों तक पहुंचती प्रतिबंधित गोलियों और मॉडर्न हथियारों से फायरिंग की कहानी..
पहले हाल ही के दिनों में मास फायरिंग की तीन बड़ी घटनाएं…
राजधानी में दिनदहाड़े मार दी गाेली
31 जुलाई को दिन में 11 बज रहे थे। पटना का पाटलिपुत्रा इलाका पूरी तरह से व्यस्त था। सड़क पर गाड़ियों की भीड़ थी। इस बीच पूर्व मुखिया और पार्षद पति नीलेश की कार पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। दो बाइक सवार 4 बदमाशों ने ताबड़तोड़ 7 गोलियां मारी।
पूरी प्लानिंग के साथ घटना को अंजाम दिया गया। एक बड़ी प्लानिंग के साथ अपराधियों ने वारदात को अंजाम दिया। राजधानी के पॉश इलाके में हुई इस घटना ने 90 के दशक की याद दिला दी।
बर्थ डे पार्टी में आतंकियों की तरह फायरिंग..
19 अगस्त 2023 की रात 8 बज रहे थे। मुजफ्फरपुर के भगवानपुर रेवा रोड पर द एस आर ग्रैंड रेस्टोरेंट में बर्थ डे पार्टी चल रही थी। केक काटने के बाद लोग खाना खा रहे थे। इस बीच गोलियों की तड़तड़ाहट ने दहशत फैला दी।
अपराधियों ने टारगेट फायरिंग नहीं की थी, वह आतंकियों की तरह मास फायरिंग कर लाश गिराना चाहते थे। लोगों ने कुर्सी टेबल के नीचे छिपकर किसी तरह जान बचाई।
घटना को अंजाम देने के बाद दो बाइक से आए 4 बदमाश हथियार लहराते फरार हो गए। घटना CCTV में कैद हो रही थी, यह जानते हुए भी अपराधी पूरी तरह से बेखौफ दिख रहे थे।
3 गार्ड की सुरक्षा के बाद भी गोलियों से भून डाला..
21 जुलाई 2023 की रात मुजफ्फरपुर में अपराधियों ने 90 के दशक की याद ताजा कर दी। आधुनिक हथियारों से लैस बदमाशों ने नगर थाना क्षेत्र में प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही पर घर में घुसकर अंधाधुंध फायरिंग की थी।
आशुतोष अपने वकील सयैद कासिम हुसैन उर्फ डॉलर से मिलने उनके घर गए थे। इस फायरिंग में प्रॉपर्टी डीलर ने मौके पर दम तोड़ दिया जबकि 3 प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड निजामुद्दीन, राहुल कुमार और ओंकार नाथ सिंह की इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं वकील भी जख्मी हुआ था।
भास्कर इंवेस्टिगेशन में बड़ा एक्सपोज…
बिहार में 90 के दशक वाले ट्रेंड पर हो रही फायरिंग की घटना में भास्कर की इंवेस्टिगेशन में बड़ा खुलासा हुआ है। मुजफ्फरपुर में प्रॉपर्टी डीलर और गार्ड की हत्या में अपराधियों ने सेना और पुलिस को सप्लाई होने वाले कारतूस का इस्तेमाल किया था।
आम लोगों के लिए प्रतिबंधित कारतूस से फायरिंग के लिए अपराधी मॉडर्न और विदेशी हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारी इन्वेस्टिगेशन से समझिए सेना और पुलिस को सप्लाई होने वाली गोलियों का क्राइम कनेक्शन..
9 MM की गोलियों से 25 राउंड फायरिंग…
सेना और पुलिस को सप्लाई होने वाली गोलियों का क्राइम कनेक्शन समझने के लिए सबसे पहले हम मुजफ्फरपुर के भगवानपुर रेवा रोड द एस आर ग्रैंड रेस्टोरेंट पहुंचे। यही वो रेस्टोरेंट है, जहां 19 अगस्त की रात 8 बजे 25 से 30 राउंड फायरिंग की गई थी।
रेस्टोरेंट के बाहर लगे शीशों पर 24 से ज्यादा गोलियों के निशान दिखे, लेकिन इसके बाद भी वह टूटकर बिखरे नहीं। हमारी इंवेस्टिगेशन में यह बड़ा सवाल था, क्योंकि गोलियां 100 मीटर दूर से चलाई गई और जहां भी हिट की, उसके होल बहुत छोटे थे।
ऐसे सॉफ्ट हिट सेना और पुलिस के असलहों से निकलने वाली गोलियों के होते हैं। यह जानने के लिए हम मुजफ्फरपुर के सदर थाना पहुंचे। यहां इंस्पेक्टर कुंदन कुमार ने हमारी आशंका पर मुहर लगा दी।
पुलिस ने रेस्टोरेंट से 9 MM कारतूस के 18 खोखे बरामद किए थे। इंस्पेक्टर के मुताबिक 9 MM की गोलियों पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं, ये सेना और अन्य पुलिस बल को सप्लाई होती है।
किसी न किसी सोर्स से ये अपराधियों तक पहुंच रही हैं। हम इसकी जांच कर रहे हैं, आखिर सप्लायर कौन है।
पूर्व सैनिक से जानिए 9 MM गोलियों की कहानी
द एस आर ग्रैंड रेस्टोरेंट के मालिक राज कुमार मिश्रा रिटायर्ड सैनिक हैं। वह 18 साल सेना में नौकरी के दौरान ऐसे असलहों और गोलियों के करीब रहे हैं। दैनिक भास्कर ने इंवेस्टिगेशन के दौरान राज कुमार मिश्रा से ही गोलियों की पूरी कहानी समझी।
राज कुमार मिश्रा ने बताया 9MM की गोलियां सेना और पुलिस फोर्स के अलावा किसी को रखने का अधिकार नहीं है। अगर किसी के पास मिली तो देश द्रोह का मामला बनता है। इसकी खासियत होती है, इसका निशाना काफी सटीक होता है।
9 MM की गोली जहां लगती है, वहां छोटा होल करती है, लेकिन जहां से बाहर निकलती है चीथड़े निकाल देती है। यह टारगेट पर फंसते ही तेज रफ्तार में राउंड करती हुई निकलती है। सेना और पुलिस को इसी कारण ऐसे असलहे दिए जाते हैं।
9 MM की गोली पूरी तरह से ओरिजिनल है, पिस्टल भी काफी मॉडर्न रही है। तीन जगह हिट करने के बाद भी गोली ने हर जगह छोटा होल किया है। इससे उसकी शॉर्पनेस का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसकी मारक क्षमता काफी तेजी होती है।
अगर यह लोकल मेड होती तो इतनी दूर तक मारक क्षमता नहीं होती, दो चार फायरिंग में पिस्टल की हालत खराब हो जाती। धुआं भी ज्यादा निकलता, लेकिन यह वही कारतूस हैं जिन्हें सेना और पुलिस में सप्लाई किया जाता है।
इसलिए इसमें धुआं नहीं निकला और 25 से 30 राउंड फायरिंग आसानी से होती रही। कारतूस ओरिजिनल और 9 MM के रहे, इसमें काेई संदेह ही नहीं।
पैरा कमांडो और एनएसजी को सप्लाई वाली गोली..
मुजफ्फरपुर में प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही की हत्या में इस्तेमाल हथियार काफी आधुनिक थे। दैनिक भास्कर की इंवेस्टिगेशन में जो खुलासा हुआ, उसके मुताबिक बदमाशों ने 3 बोर की ऑटोमेटिक विदेशी पिस्टल से घटना को अंजाम दिया था।
पुलिस ने जो कारतूस और खोखे बरामद किए, वह अत्याधुनिक पिस्टल गोल्ट, जिगना, ग्लॉक आदि श्रेणी के पिस्टल में उपयोग होते हैं।
यूपी के माफिया अतीक अहमद की भी हत्या ऐसे ही पिस्टल से की गई थी। पुलिस के लिए यह दुर्लभ और चौंकाने वाला मामला था।
पहली बार बरामद हुई ऐसी गोली
भास्कर इंवेस्टिगेशन में पता चला, प्रॉपर्टी डीलर मर्डर केस में घटनास्थल से 5 खोखे ऐसे मिले थे, जो 9 एमएम बोर से अधिक मोटे और लंबाई में बड़े थे। इसकी पेंदी पर एस एंड बी 45 ऑटो लिखा है। इस बोर की गोलियां पहली बार जब्त हुई हैं।
ये गोलियां 9×19 की गोलियों से अधिक मोटी और बड़ी हैं। वहीं 9x 19 एमएम बोर के 16 खोखे मिले हैं। 9×19 एमएम पाराबेलम वैरिएंट की पिस्टल आम लोगों के लिए प्रतिबंधित हैं। इसका उपयोग पैरा कमांडो, मार्कोस और एनएसजी आदि विशेष बल करते हैं।
प्रतिबंधित गोलियां, मामूली शूटर की नहीं
पुलिस विभाग से जुड़े कुछ बड़े अफसरों की मानें तो जो गोलियां सेना और पुलिस के साथ पैरा कमांडो और एनएसजी को सप्लाई होती हैं, वह सामान्य शूटर्स के पास नहीं मिलती। मुजफ्फरपुर में प्रॉपर्टी डीलर की हत्या में प्रयुक्त पिस्टल आम नहीं थी, पूरे बिहार में इस तरह के पिस्टल 3-4 से अधिक नहीं होगी।
पुलिस अधिकारियों का ये भी कहना है, 9×19 एमएम पाराबेलम वैरिएंट पिस्टल असामान्य श्रेणी की है। इसकी मारक क्षमता काफी घातक है। पुलिस को सप्लाई 9 एमएम बोर की गोलियों से इसकी साइज अधिक मोटी और मीटर बड़ी होती है। ये प्रति सेकंड 1230 की गति से लगती है।
50 मीटर के रेंज में इसकी मार प्राणघातक है। इस गोली के उपयोग से स्पष्ट हो रहा है कि शूटर ने ऐसे पिस्टल से गोली चलाई थी, जिसमें कमर से ऊपर लगने के बाद बचना मुश्किल होता है। पोस्टमार्टम में आशुतोष के शरीर से तीन गोलियां निकली थी। तीनों अलग-अलग बोर की थी। आशुतोष के सीने से लेकर सिर तक कुल 8 गोलियों के निशान पाए गए थे।
9 MM की पिस्टल से नीलेश का मर्डर
पटना के पाटलिपुत्रा थाना क्षेत्र में हुई नीलेश मुखिया की हत्या में भी 9 एमएम पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था। बाइक सवार 4 बदमाशों ने ताबड़तोड़ 7 गोलियां मारी थी। इंवेस्टिगेशन में पता चला कि बदमाशों ने काफी आधुनिक हथियारों का प्रयोग किया था। गोलियां भी वही प्रयोग की गई थी जो प्रतिबंधित हैं, पुलिस ने ये भी खुलासा किया कि घटना में 6 शूटर लगाए गए थे। जिस पिस्टल से मुखिया को मारा गया वह विदेशी बताई जा रही है।
पुलिस ऑफिसर से जानिए 9 MM पिस्टल का वार
इंवेस्टिगेशन के क्रम में 9 MM का वार जानने के लिए हम पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास के पास पहुंचे। अमिताभ दास ने बताया 9 MM की गिनती अच्छे हथियारों में होती है। आईपीएस की ट्रेनिंग में 9 MM के पिस्टल से फायरिंग कराई जाती थी। इसकी गोलियां मैग्जीन में भरी जाती हैं, निशाना भी काफी अच्छा होता है।
अवैध हथियारों का इंटरनेशनल गिरोह है। ऐसे गिरोह ही हथियार और कारतूस अपराधियों तक पहुंचा रहे हैं। एके 47 तक का वही हाल है, 1995 में बंगाल के पुरुलिया में ये आधुनिक हथियार गिराए गए थे।
बिहार में भी यह कई अपराधियों के पास पहुंचा। इस कारण अपराधी 9 MM और एके 47 लेकर घूम रहे हैं। यह आम हथियार नहीं है, पुलिस और आर्मी का हथियार है। अगर कोई भ्रष्ट पुलिस कर्मी भी झूठा सनहा कराकर अपनी गोलियां बेंच सकता है।
पुलिस के लिए तो जांच का विषय
बिहार में अपराधियों की पहली पसंद बनी 9 MM की पिस्टल में यूज हो रही गोलियां कहां से आ रही है, ये पुलिस के लिए जांच का विषय है। पुलिस के इस पॉपुलर हथियार की गोलियां अपराधियों तक पहुंच रही है या फिर इसकी कॉपी ऐसी बनाई जा रही है जो असली को टक्कर दे रही है। हालांकि बिहार पुलिस अब तक इस मामले में कोई खुलासा नहीं की है। पुलिस का दावा है कि बड़े पैमाने पर मिनी गन फैक्ट्रियों को पकड़ा गया है।
अब फायरिंग के 3 बड़े कारण भी जानिए
बिहार में फायरिंग की घटना के पीछे 3 बड़ी वजह है। बिहार के रिटायर्ड आईपीएस और पूर्व डीजीपी अभयानंद ऐसी घटनाओं के पीछे कानून का भय खत्म होना बड़ी वजह बताते हैं। हालांकि कई पुलिस अफसर बिहार में बढ़ती फायरिंग की घटना के पीछे अन्य कई वजह बताते हैं।
एक – गोली-बंदूक की पूरी होती डिमांड
अन्य राज्यों की अपेक्षा बिहार में गोली बंदूक आसानी से मिल जाती है। यहां मुंगेर के साथ कई अन्य जिले ऐसे हैं, जहां अपराधियों को एक से दो हजार रुपए में आसानी से कट्टा मिल जाता है। पांच से 6 हजार रुपए खर्च करने पर देसी मेड और आधुनिक हथियार भी मिल जाता है।
दो – पुलिसिंग में लापरवाही
बिहार में फायरिंग के पीछे पुलिसिंग में लापरवाही भी बड़ा कारण है। बिहार में पुलिस की चौकसी होती तो अवैध हथियारों की यानी मिनी गन फैक्ट्रियां नहीं चलती। पुलिस आए दिन मिनी गन फैक्ट्रियों का खुलासा करती है, गोली भी अधिक संख्या में बरामद करती है। लेकिन गोली कहां से सप्लाई हो रही है, इस पर काम नहीं कर पाती है।
तीन – अपराधियों में नहीं रहा कानून का खौफ
बिहार के पूर्व डीजीपी रिटायर्ड आईपीएस अभयानंद बताते हैं कि बात पुलिस के खौफ की होती है, लेकिन यह भ्रम है। अपराधियों में पुलिस नहीं बल्कि कानून का खौफ होना चाहिए। जब भी अपराधी मास में ऐसे निडर होकर फायरिंग करते हैं, तो यह साफ होता है कि उनके अंदर कानून का भय नहीं है।
जानिए 90 का दौर, जब लगा जंगलराज का दाग
90 का दौर था जब रंगदारी चरम पर थी। वो दिन बिहार के इतिहास में जंगलराज का दाग बन गए। दौर ऐसा था कि बाहुबलियों का ही बोलबोला था। बिहार के क्राइम से पूरा देश दहल जाता था। सरकार के समानान्तर बाहुबलियों की सरकारें चला करती ती थीं। ऐसी क्राइम वाली सेना के आगे पुलिस बेबस दिखती थी। व्यवस्था इस तरह चरमरा गई थी, कि आम इंसानों का भी भरोसा सरकार और प्रशासन से ज्यादा बाहुबलियों पर था।
जंगलराज से निकली सुशासन सरकार
बिहार ने वह दौर भी देखा जब जंगलराज से निकलकर सुशासन की सरकार आई। जनता जंगलराज से पूरी तरह त्रस्त हो चुकी थी,लूट और हत्या डकैती से पूरा बिहार सहमा था। रंगदारी से उब चुकी जनता जंगलराज से बाहर निकलना चाहती थी। नीतीश कुमार सुशासन का मुद्दा लेकर जनता का समर्थ हासिल किए और 2005 में बीजेपी के साथ बिहारा में सरकार बनाए।
यही सरकार सुशासन की सरकार के नाम से जानी गई और नीतीश कुमार को सुशासन बाबू के नाम से पहचान मिली। इसके बाद नीतीश कुमार कई बार उसी सरकार के साथ गठबंधन कर सत्ता में आए जिसके खिलाफ सुशासन का नारा देकर बिहार की कमान संभाली थी।
मौजूदा समय में भी नीतीश कुमार राजद के साथ गठबंधन सरकार के सीएम हैं। इसलिए बढ़ते क्राइम के ग्राफ पर विपक्ष उन्हें जंगलराज का आरोप लगाकर घेरता है।
अब पूर्व डीजीपी की जुबानी 90 की कहानी
बिहार के पूर्व डीजीपी रिटायर्ड आईपीएस अभयानंद बताते हैं, मैं 1990 में CBI से वापस बिहार आया था। मुझे नालंदा एसपी बनाया गया। मेरी तैनाती को अभी कुछ ही दिन हुए थे कि बिहार शरीफ में एक दुकानदार को रंगदारी देने से मना करने पर खुले आम गोलियों से भून दिया गया।
पुलिस के लिए यह घटना बड़ी चुनौती थी, मेरे कार्यकाल में रंगदारी का यह पहला मामला था। इसलिए केस को सॉल्व करना, मेरे लिए भी बड़ी चुनौती थी। सीबीआई में अनुसंधान पर बहुत कुछ सीखने को मिला, इसलिए मुझे विश्वास था कि अपराधियों को सबक सिखा दिया जाएगा।
दो दिन में चार्जशीट, 30 दिन में उम्र कैद की सजा
पूर्व डीजीपी अभयानंद बताते हैं, मेरी नौकरी की पहली रंगदारी की घटना थी। मैने इस घटना में इतिहास बना दिया। घटना के बाद तत्काल कुर्की जब्ती और दो दिन में चार्जशीट के साथ 30 दिन में आरोपित को उम्र कैद की सजा दिला दी।
इसके लिए मैंने युद्ध स्तर पर अनुसंधान कराया, एक घंटे में आरोपित की कुर्की जब्ती करा दी। दबाव ऐसा बना कि आरोपित ने सरेंडर किया और केस डायरी लिखी गई। एक दिन छुट्टी पड़ गई, इस कारण चार्ज शीट दो दिन में कोर्ट पहुंच पाई।
48 घंटे में आरोपित के साथ चार्जशीट कोर्ट को प्रस्तुत किया गया। इस दौरान सीएजेएम को एक रिक्वेस्ट लेटर भी भेजा गया, जिसमें जल्द से जल्द ट्रायल कराने का निवेदन था।
सीजेएम के कैरियर का भी यह पहला मामला था। ऐसा कभी नहीं हुआ था, जब दो दिन में चार्जशीट आई हो।
यह घटना नजीर बनी और एक माह आरोपी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। इस कार्रवाई के बाद कानून का ऐसा खौफ हुआ कि नालंदा शांत हो गया। मैं जब 2011 में डीजीपी बना तो इसी ट्रैक पर बिहार पुलिस को दौड़ाया, जिससे पूरा बिहार शांत हो गया।
रंगदारी की घटनाएं कम हो गई। अब मौजूदा हालात में घटना क्यों बढ़ी यह वर्तमान अफसरों को बेहतर ढंग से पता होगा। मैं इतना कह सकता हूं कि जब भी अपराधियों में कानून का भय खत्म होता है, तो ऐसी घटनाएं सामने आती हैं।
एडीजी ने भी माना अवैध हथियारों से हो रही घटनाएं..
फायरिंग की घटना पर एडीजी हेडक्वार्टर जे एस गंगवार से भास्कर ने सीधा सवाल किया, उन्होंने कहा घटनाएं अवैध हथियारों से हो रही हैं। इस पर पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। अवैध मिनी गन फैक्ट्रियों को खुलासा किया जा रहा है।
एडीजी का भी मानना है कि पिछले वर्षों की तुलना में इधर अधिक संख्या में अवैध मिनी गन फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की गई है। ऐसे अपराधी और माफिया जो हथियार बनाकर बेंच रहे हैं, वह गंभीर मामला है।
इस हथियार से कितना अपराध हो रहा है, पुलिस इस पर विशेष रूप से काम कर रही है। हालांकि हथियार और गोली अपराधियों तक कौन पहुंचा रहा है, इस सवाल पर एडीजी भी जवाब देने के बजाए टाल गए।
SSP की खामोशी बहुत कुछ कहती है..
राजधानी में बढ़ी घटना को लेकर पटना एसएसपी राजीव मिश्रा से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने न तो सरकारी नंबर पर कॉल अटेंड किया और ना ही दो-दो बार किए गए मैसेज का ही जवाब दिया।
अफसरों का जवाब से बचना बड़ा सवाल है। घटनाएं बढ़ रही हैं, अपराधी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ रहे। अफसर दावे पर दावे कर रहे हैं, लेकिन जवाब देने से कतरा रहे हैं।
हर साल पकड़ी जा रही गन फैक्ट्री, पुलिस का दावा भी सुनिए
पुलिस मुख्यालय का दावा है कि बिहार में हथियार बनाने वाले हथियार की तस्करी करने वालों और हथियार का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है।
जिसके चलते बहुत सारे हथियारों के खेप को पकड़ा गया है। इस दौरान भारी मात्रा में अर्ध निर्मित पिस्टल, बैरल ट्रिगर बनाने के उपकरण और लेथ मशीनों को भी बरामद किया गया है।
गांव से लेकर शहर तक बात-बात में ठांय-ठांय
घटनाएं सिर्फ शहर में ही नहीं हो रही हैं, गांव में भी ऐसे ही दहशत फैलाने वाले वारदात हो रहे हैं। छोटी-छोटी बात पर हो रही फायरिंग की घटना पुलिस का लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ रहा है। अपराधी बाजार और पब्लिक प्लेस पर जानबूझकर ऐसी घटना कर रहे हैं, जिससे रंगदारी का धंधा बढ़ रहा है।
पुलिस विभाग के अधिकारियों का मानना है कि ऐसा रंगदारी के कारण अधिक होता है। कानून का खौफ खत्म होने के कारण अपराधी पुराने ट्रेंड पर घटनाएं कर रहे हैं, यह ट्रेंड गांव से लेकर शहर तक देखने को मिल रहा है।
[बिहार में फिर बंदूकों से फैसले..:2 महीने में 200 से ज्यादा फायरिंग, सेना-पुलिस को सप्लाई होने वाली गोलियों का भी इस्तेमाल]
Bihar Crime: फिर हथियार का कारखाना बनते जा रहा बिहार, बीते 3 साल में 116 फैक्ट्री का भंडाफोड़
बिहार में अब तक 116 मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन किया गया है. इस कार्रवाई के दौरान 10 हजार से ज्यादा हथियार बरामद किए गए हैं. पुलिस मुख्यालय एडीजी ने बताया कि पुलिस लगातार इस ओर कार्रवाई कर रही है. पढ़ें पूरी खबर…