उम्मीदवारों की चर्चा, बढ़ गया खर्चा ?

भाजपा में प्रत्याशियों की पहली सूची की घोषणा से कहीं नफा तो कहीं नुकसान का खतरा, उधर कांग्रेस में डैमेज कंट्रोल के प्रयास हुए तेज 

भाजपा के प्रयोग पर नजर, जल्दबाजी नहीं करेगी कांग्रेस

भोपाल. प्रदेश के चुनावी इतिहास में भाजपा ने इस बार चुनाव घोषणा के पहले ही 39 प्रत्याशी घोषित करके बड़ा प्रयोग किया है। अब ये प्रत्याशी कितने नफे और कितने नुकसान में रहते हैं ये आने वाला समय बताएगा। लेकिन, अभी इतना तय है कि इन प्रत्याशियों को कही नफा दिख रहा है, तो कहीं पर ज्यादा समय बाकी रहने से दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। आर्थिक बोझ भी इन प्रत्याशियों पर बढ़ गया है। इससे वास्तविक चुनावी खर्च कई गुना बढ़ जाएगा। भाजपा अब दूसरी सूची भी घोषित करने की तैयारी में है, जबकि कांग्रेस अभी वेट-एंड-वॉच की रणनीति अपना रही है।

राजनीति काबड़ा प्रयोग

भाजपा ने बीती 17 अगस्त को 39 प्रत्याशी घोषित किए थे। लगभग एक महीना हो चुका है। जबकि, अभी चुनाव की घोषणा को ही करीब डेढ़ महीने का वक्त और बचा है। पहले ऐसा भी रहा है कि भाजपा-कांग्रेस दोनों में प्रत्याशी का नामांकन भरने के आखिरी दिन तक टिकट घोषित होतेरहे हैं। लेकिन, इस बार यह परंपरा बदल दी गई है।

विशेषज्ञ बोले-…तो होगा लाभ

आमतौर पर चुनाव की तिथि घोषित होने, आचार संहिता लागू होने के बाद ही दल उम्मीदवारों का एलान करते रहे हैं। लेकिन, देश के इतिहास में यह पहला मामला है कि चुनाव घोषित होने के एक माह पहले उम्मीदवार घोषित कर दिए जाएं। उम्मीदवारों के लिए प्रचार का भरपूर समय रहेगा। नाराजगी है तो उसे दूर कर सकता है। यदि समय का सही उपयोग किया गया तो लाभ ही लाभ है। भाजपा का यह प्रयोग यदि सफल रहा तो अन्य राजनीतिक दल भी इसे अपना सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषक

नुकसान ये

ज्यादा जल्दी चुनाव कैम्पेन शुरू होने से बाद में प्रचार कम हो सकता है। प्रत्याशी का वास्तविक खर्च तीन से चार गुना हो जाता है। हर क्षेत्र की अपेक्षा बढ़ जाती है।

ये फायदा

ज्यादा समय मिलता है। नाराज लोगों को मनाया जा सकता है। भीतरघात करने वाले नेताओं की पहचान का वक्त मिलता है। प्लानिंग कर हर क्षेत्र को कवर किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *