“संसद का विशेष सत्र रहेगा हंगामेदार, सरकार करा ले जाएगी पारित सारे विधेयक”

संसद का विशेष सत्र रहेगा हंगामेदार, एजेंडा के 4 विधेयकों के अलावा यूसीसी और सनातन धर्म पर भी हो सकती है कार्यवाही

कल यानी 18 सितंबर से पांच दिनों के लिए संसद का विशेष सत्र चालू हो रहा है. इसी क्रम में आज नए संसद भवन पर लोकसभा अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति ने झंडोत्तोलन भी किया. इसमें निमंत्रण होने के बावजूद कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे नहीं गए, क्योंकि हैदराबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक चल रही थी. इस विशेष सत्र को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं और सरकार ने 4 विधेयकों का अपना एजेंडा भी जाहिर कर दिया है. हालांकि, लोगों का मानना है कि सत्र में कुछ और हो या न हो, हंगामा तो जमकर होगा.

सरकार का एजेंडा जगजाहिर, 4 विधेयक लाएगी

सरकार ने तो अपना एजेंडा जाहिर कर ही दिया है. इसमें संसद के 75 वर्ष पूरे होने पर एक बातचीत होगी, लेखाजोखा होगा, लेकिन इसके अलावा चार विधेयक भी पेश करने जा रही है, सरकार. इसमें से एक तो राज्यसभा में डाक विधेयक पारित भी हो चुका है. दूसरा प्रेस अधिनियम में कुछ संशोधन है. तीसरा हालांकि सबसे महत्वपूर्ण विधेयक है, जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला भी दिया था और एक कमिटी बना दी थी, जिसके जरिए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जानी थी. सरकार का जो प्रस्तावित विधेयक है, उसमें चीफ जस्टिस को उस कमिटी से हटाकर प्रधानमंत्री, विधि मंत्री और नेता प्रतिपक्ष को जगह दी गयी है. इसे लेकर काफी विवाद है. पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया था, उसमें पीएम, नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई को रखा था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था तभी तक के लिए दी थी, जब तक सरकार कोई नया कानून न बना दे. सरकार अब उसमें बदलाव ला रही है, जिस पर विपक्ष नाराज है. विपक्ष का कहना है कि अगर चीफ जस्टिस की राय से सरकार चलती तो वह उसी क्रम को कायम रखती, जिससे सरकार के ऊपर विपक्ष का दबाव हो सकता था, चीफ जस्टिस और नेता प्रतिपक्ष के विचार मिल सकते थे. अब तक की परंपरा यह रही है कि राष्ट्रपति ही चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करते थे और वहां प्रधानमंत्री की राय अहम होती थी. तो, इस विधेयक पर हंगामा होगा. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने जो एक देश, एक चुनाव का सुझाव दिया है, उस पर भी काफी हंगामा होगा. हम लोग जब बात कर रहे हैं, तो कांग्रेस कार्यसमिति की हैदराबाद में मीटिंग हो रही थी और उसमें सोनिया गांधी ने एक लक्ष्मणरेखा इसको लेकर खींच दी है, यानी इंडी अलायंस जो है, वह इसका विरोध करेगा ही. इसके साथ ही, सरकार ने भले ही अभी एजेंडा साझा कर दिया है, लेकिन जब विशेष-सत्र की बात हुई थी, तो वह साझा नहीं किया था. उसको लेकर भी थोड़ी दिक्कत होगी. कुल मिलाकर यह लगता है कि संसद का माहौल तभी तक खुशनुमा रहेगा, जब तक संसद के योगदान और संसदीय परंपरा वगैरह पर बातें होंगी, विधेयकों के आते ही हंगामेदार हो जाएगा यह विशेष-सत्र.

यह इस सरकार के लिए नया नहीं

सरकार करवाएगी सारे विधेयक पारित

मौजूदा सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल है. पिछले सत्र में ही हमने देखा कि दिल्ली सेवा बिल, जिस पर काफी हंगामा था. केजरीवाल ने पूरे देश का दौरा किया, उसके बावजूद सरकार ने उसे बड़ी आसानी से पारित करवा लिया. लोकसभा में तो चूंकि सरकार के पास आराम से बहुमत है, तो उसने पारित करवा लिया. राज्यसभा में थोड़ी आशंका थी, लेकिन बीजद, वायएसआर पार्टी आदि ने अपना समर्थन दे दिया तो वह बिल भी आसानी से वहां भी पारित हो गया. उसका नतीजा ये हुआ कि विधेयक पारित भी हुआ और कानून भी बन गया. यह आशंका भी नहीं करनी चाहिए कि सरकार अपने चारों विधेयक को पारित नहीं करवा पाएगी. जो अभी तक की रवायत है, उसके मुताबिक यह तो साफ है कि जो लेखा-जोखा है, उसके मुताबिक हंगामा तो होगा ही. कांग्रेस और विपक्ष की हालिया प्रवृत्ति भी हंगामा करने की ही रही है. हाल में दो राज्यों में चुनावी फायदा भी कांग्रेस को मिला है, तो वह हो सकता है कि और भी अधिक हंगामा करें. इसलिए, यह सत्र हंगामेदार तो रहेगा ही.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि ….न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.] 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *