इंदौर की हर सीट पर भाजपा या कांग्रेस का ‘परिवारवाद’ ?
इंदौर में परिवारवाद को लेकर वायरल हुई एक पोस्ट के बाद फिर बहस छिड़ गई है। इंदौर की बात करें तो जिले की सभी नौ सीटों पर इसका असर दिखता है। कहीं कांग्रेस का तो कहीं भाजपा का। मालवा निमाड़ की बात करें तो 66 में से लगभग हर दूसरी सीट पर परिवारवाद हावी रहा है।
दलों के इसके पीछे उनके अपने तर्क हैं। कोई कहता है कि परिवार के प्रति सिम्पैथी होती है इसलिए ऐसा होता है। कोई बताता है कि यदि वकील का बेटा वकील और डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है तो विधायक का बेटा विधायक क्यों नहीं। कुछ ऐसे नेता हैं जो खुद विधायक रहे और अपने परिवार को सांसद या अन्य पद का टिकट दिलवाया।
मालवा-निमाड़ की बात करें तो पिता-पुत्र, पिता-पुत्री, भतीजे, भाई यहां तक की पति-पत्नी को भी पार्टियों ने टिकट देने से परहेज नहीं किया हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में भी परिवारवाद की बेल के सहारे दोनों ही पार्टियों में कई दावेदार मोर्चा संभाले हुए हैं। जानिए वो मुख्य सीटें जिन पर परिवारवाद के आरोप लगते रहे हैं।
यह अनूठी सीट..जहां कांग्रेस ने परिवार का टिकट काटा तो अपना गढ़ ही गंवा बैठी
खरगोन जिले की धुलकोट सीट (अब भगवानपुरा) पर कांग्रेस के चिड़ा भाई डावर 1985 में विधायक रहे। 1990 में उन्हें टिकट नहीं मिला। 1993 और 98 में फिर वे विधायक बन गए। 2003 में बेटे केदार को पार्टी ने टिकट दिया लेकिन वो हार गए। 2008 में फिर कांग्रेस से केदार डावर चुनाव लड़े मगर हार गए। 2013 में कांग्रेस ने परंपरागत सीट से केदार का टिकट काट दिया तो नए चेहरे विजय सिंह को कांग्रेस के टिकट से उतारा। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी को हरा दिया। 2018 में केदार डावर ने फिर टिकट मांगा। लेकिन जब नहीं मिला तो वे इसी सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ गए। भगवानपुरा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशी को हराकर निर्दलीय के रूप में जीत दर्ज की।
जानिए मालवा-निमाड़ में परिवारवाद को लेकर क्या है पूरी तस्वीर…
बीजेपी के बारे में –
लक्ष्मणसिंह गौड़ : इंदौर की 4 नंबर विधानसभा से विधायक और मंत्री रहे।
– पत्नी मालिनी गौड़ इंदौर की 4 नंबर विधानसभा से विधायक है। महापौर भी रहीं। अब बेटे एकलव्य के लिए भी टिकट का दावा। भाई शिव गौड़ पार्षद का चुनाव लड़े। भांजा लोकेंद्र राठौर पार्षद रहे।
भेरुलाल पाटीदार : महू से विधायक, मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष रहे।
– बेटी कविता पाटीदर राज्यसभा सांसद हैं। पार्टी में प्रदेश महामंत्री भी है।
कैलाश विजयवर्गीय : विधायक, महापौर, मंत्री रहे। फिलहाल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं।
– बेटे आकाश विजयवर्गीय को पार्टी ने टिकट दिया। इंदौर की 3 नंबर विधानसभा से वर्तमान विधायक हैं। इस बार भी दावेदार।
फूलचंद वर्मा : सांसद रहे और मंत्री, केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रहे।
– बेटे राजेंद्र वर्मा को पार्टी ने देवास जिले के सोनकच्छ से टिकट दिया। वे विधायक भी रहे।
निर्भयसिंह पटेल : विधायक और वन मंत्री रहे
– बेटे मनोज पटेल देपालपुर से विधायक रहे। इस बार भी टिकट के दावेदार।
प्रकाश सोनकर : सांवेर से विधायक और मंत्री रहे।
– पार्टी ने पत्नी निशा सोनकर को टिकट दिया लेकिन वे चुनाव हार गईं। भतीजे सावन सोनकर फिलहाल अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष हैं।
विष्णुप्रसाद शुक्ला बड़े भैया : इंदौर जिला अध्यक्ष रहे, पार्टी ने 2 नंबर विधानसभा से टिकट दिया।
– बेटे राजेंद्र शुक्ला को पार्टी ने 2003 में इंदौर 3 नंबर विधानसभा से चुनाव लड़वाया। कांग्रेस के अश्विन जोशी से हार गए। भतीजे गोलू शुक्ला ने बीजेपी के टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़ा। युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष रहे, फिलहाल इंदौर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हैं। इनके अलावा बेटे संजय शुक्ला 1 नंबर विधानसभा से वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं।
तुकोजीराव पवार : देवास से विधायक, मंत्री रहे।
– पत्नी गायत्री राजे पवार देवास से विधायक है। बेटे विक्रम सिंह पवार की कालापीपल विधानसभा सीट से दावेदारी की तैयारी।
थावरचंद गेहलोत : शाजापुर सीट से सांसद व केंद्रीय मंत्री रहे। अभी कर्नाटक के राज्यपाल हैं।
– बेटे जितेंद्र गेहलोत को पार्टी ने आलोट सीट से दो बार टिकट दिया। पिछला चुनाव वे कांग्रेस के मनोज चावला से हार गए।
विक्रम वर्मा : सांसद, केंद्रीय मंत्री, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष रहे।
– पत्नी नीना वर्मा को पार्टी ने टिकट दिया। 2008 में बीजेपी की नीना विक्रम वर्मा ने एक वोट से कांग्रेस प्रत्याशी बालमुकुंद सिंह गौतम को हराकर जीत हासिल की। मामला कोर्ट में पहुंचा और बाद में एक महीने के लिए बालमुकुंद सिंह गौतम विधायक बने। वे धार से तीन बार की विधायक हैं।
दिलीप सिंह भूरिया : बीजेपी के टिकट पर सांसद का चुनाव जीते। अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष रहे। बीजेपी के प्रदेश और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे।
– बेटी निर्मला भूरिया को पार्टी ने सांसद का चुनाव लड़ाया पर जीत नहीं सकीं। पूर्व में पेटलावद से विधानसभा का चुनाव जीत चुकी हैं लेकिन 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हारी। इस बार भी पेटलावद से बीजेपी की प्रत्याशी हैं।
ब्रजमोहन मिश्रा : नेपानगर सीट से विधायक रहे, विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे।
– बेटी अर्चना चिटनीस को पार्टी ने नेपानगर और बुरहानपुर से विधायक रही। मंत्री रहीं। (कब से कब तक)
राजेंद्र दादू : नेपानगर से विधायक रहे।
– बेटी मंजू दादू को पार्टी ने टिकट दिया। वे भी नेपानगर से विधायक रही। (कब से कब तक)
लक्ष्मीनारायण पाण्डे : 8 बार सांसद रहे। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रहे।
– बेटे राजेंद्र पाण्डे जावरा से लगातार दो बार के विधायक हैं। इससे पहले भी वे पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े। 2008 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
वीरेंद्र कुमार सकलेचा : विधायक, उप मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री रहे।
– बेटे ओमप्रकाश सकलेचा को पार्टी ने जावद विधानसभा से टिकट दिया। वे 2008 से लगातार विधायक हैं। शिवराज सरकार में मंत्री हैं।
रंजना बघेल : धार जिले के मनावर से विधायक रही, कैबिनेट मंत्री रहीं।
– कुक्षी से पति मुकाम सिंह किराड़े ने बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव लड़ा जीते, बाद में हुए चुनावों में हार गए। कुक्षी से बीजेपी ने जयदीप पटेल को प्रत्याशी घोषित किया है, जो रंजना बघेल के भतीजे हैं। (कब से कब तक)
छतरसिंह दरबार : धार-महू लोकसभा से सांसद हैं।
– पत्नी हेलमता दरबार भी 1998 में सांसद का चुनाव लड़ी लेकिन कांग्रेस के गजेंद्रसिंह राजूखेड़ी से हार गई।
भारत सिंह चौहान : धार से लगातार तीन बार सांसद रहे।
– बेटे हर्ष चौहान को पार्टी ने टिकट दिया। सांसद का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। वे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे।
विजय शाह : हरसूद विधानसभा सीट से 7 बार से विधायक हैं। शिवराज सरकार में मंत्री हैं।
– पत्नी भावना शाह ने महापौर का चुनाव लड़ा। वे खंडवा की 2010 से 2015 तक महापौर रही। भाई संजय शाह हरदा जिले की टिमरनी विधानसभा से विधायक है, हालांकि टिमरनी सीट मालवा-निमाड़ में शामिल नहीं है।
किशोरी लाल वर्मा : पंधाना से विधायक रहे, शिक्षा राज्य मंत्री रहे।
– बेटे देवेंद्र वर्मा को पार्टी ने टिकट दिया। वे खंडवा शहर सीट से तीन बार के विधायक हैं। (कब से कब तक)
गोविंद शर्मा : देवास जिले की खातेगांव विधानसभा सीट से विधायक रहे।
– बेटे आशीष शर्मा को पार्टी ने 2013 में टिकट दिया। वे लगातार दो बार से खातेगांव से विधायक हैं।
मनोहर ऊंटवाल : देवास से सांसद रहे, आगर से विधायक, राज्य मंत्री रहे।
– बेटे मनोज ऊंटवाल को पार्टी ने आगर से टिकट दिया। 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े से चुनाव हारे।
और अब जानिए कांग्रेस की तस्वीर
प्रेमचंद गुड्डू : युकां प्रदेशाध्यक्ष रहे, विधायक, सांसद रहे।
– बेटे अजीत बौरासी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े हारे। बेटी रीना बौरासी सेतिया सांवेर सीट से कांग्रेस की दावेदार।
महेश जोशी : इंदौर 3 नंबर सीट से विधायक, मंत्री रहे।
– भतीजे अश्विन जोशी को कांग्रेस ने इंदौर 3 नंबर सीट से टिकट दिया वे विधायक रहे। पिछली चुनाव जोशी हार गए। इस बार बेटे दीपक पिंटू जोशी इस सीट से कांग्रेस के दावेदार है।
सज्जन सिंह वर्मा : सांसद, मंत्री, विधायक।
– भाई अर्जुन वर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर सोनकच्छ से चुनाव लड़ा। भतीजे अभय वर्मा पार्षद रहे।
जगदीश पटेल : इंदौर जिले की देपालपुर सीट से विधायक रहे।
– कांग्रेस ने पिछली बार बेटे विशाल पटेल को देपालपुर से टिकट दिया। वे विधायक हैं।
रामेश्वर पटेल : विधायक, कृषि राज्य मंत्री, राज्य सहकारी बैंक अध्यक्ष, जिला कांग्रेस अध्यक्ष।
– बेटे सत्यनारायण पटेल विधायक रहे, पिछली बार इंदौर 5 नंबर सीट से चुनाव लड़ा हारे। इस बार भी 5 नंबर से कांग्रेस से टिकट के दावेदार हैं।
उजागर सिंह चड्ढा : शहर कांग्रेस अध्यक्ष रहे, इंदौर 4 नंबर से चुनाव लड़े हारे।
– बेटे सुरजीत सिंह चड्ढा पार्षद रहे। कांग्रेस के टिकट पर पिछली बार 4 नंबर सीट से चुनाव लड़े हारे। फिलहाल शहर कांग्रेस अध्यक्ष हैं। भाई सौदागर सिंह पार्षद रहे।
जमनादेवी : कुक्षी से विधायक, मंत्री व उपमुख्यमंत्री, सांसद रही।
– भतीजे उमंग सिंघार गंधवानी से विधायक हैं। मंत्री रहे।
प्रेम सिंह : बदनावर से विधायक रहे।
– बेटे राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को कांग्रेस ने टिकट दिया। 2003 और 2008 में जीते। 2013 में हारे लेकिन 2018 में फिर टिकट मिला और जीते। बीजेपी में आकर उपचुनाव लड़ा जीते।
कांतिलाल भूरिया : झाबुआ से विधायक हैं, प्रदेशाध्यक्ष, सांसद, केंद्रीय मंत्री रहे।
– बेटे विक्रांत भूरिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। फिलहाल युकां प्रदेशाध्यक्ष हैं।
वेस्ता पटेल : आलीराजपुर से विधायक रहे।
– बेटे मुकेश पटेल को पिछली बार कांग्रेस ने आलीराजपुर से टिकट दिया, वे चुनाव जीत गए। भाई महेश पटेल भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन जीत नहीं मिली। इस बार महेश पटेल जोबट विधानसभा सीट से दावेदारी जता रहे हैं।
शिवभानु सिंह सोलंकी : मनावर से विधायक, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री रहे।
– महू-धार से सूरज भानु सिंह सोलंकी सांसद रहे। 2013 में हरसूद से विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
सुभाष यादव : कसरावद से विधायक, सांसद, उपमुख्यमंत्री, रहे।
– बेटे अरुण यादव सांसद रहे, केंद्र में मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष रहे। बेटे सचिन यादव विधायक। मंत्री रहे।
सीताराम साधौ : महेश्वर से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए।
– बेटी विजयलक्ष्मी साधो कांग्रेस के टिकट पर 4 बार विधायक रही हैं। पिछला चुनाव उन्होंने जीता। मंत्री रहीं।
चिड़ा भाई डावर : धूलकोट सीट से विधायक रहे।
– बेटे केदार डावर धूलकोट सीट से 2003 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 2018 में भगवानपुरा से निर्दलीय चुनाव लड़ा जीते।
महावीर प्रसाद वशिष्ठ : उज्जैन दक्षिण से विधायक रहे।
– बेटे राजेंद्र वशिष्ठ को कांग्रेस ने उज्जैन दक्षिण से टिकट दिया लेकिन हार गए। वे पूर्व पार्षद और पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर निगम में रहे। इस बार भी वे दावेदारी जता रहे हैं।