देश के ज्यादातर मेडिकल कॉलेज का प्राइमरी स्कूल से भी बुरा हाल !
मेडिकल कॉलेजों का प्राइमरी स्कूल से भी बुरा हाल, फैकल्टी की अटेंडेंस 50 फीसदी भी नहीं
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का कहना है कि देश के ज्यादातर मेडिकल कॉलेज में घोस्ट फैकल्टी महज कागजों में ही है. वहीं मेडिकल इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स की उपस्थिति भी 50 प्रतिशत से कम है.
देश के मेडिकल कॉलेजों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. देश के ज्यादातर मेडिकल कॉलेज बिना फैकल्टी के चल रहे हैं. ये जानकारी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यानी एनएमसी ने दी है. एनएमसी ने साल 2022-23 के दौरान जिन मेडिकल कॉलेजों को मूल्यांकन किया था वहां पर ज्यादातर ‘घोस्ट फैकल्टी’ मिले. बड़ी बात ये है कि मूल्यांकन किए गए मेडिकल कॉलेजों में कोई भी 50 प्रतिशत उपस्थिति के मानक पर खरा नहीं उतरा. ये महज दस्तावेजों में ही दर्ज है. जिन्हें वेतन तो मिलता है लेकिन ये काम पर नहीं जाते.
एनएमसी के मुताबिक ज्यादातर मेडिकल कॉलेज के छात्र आपात विभाग यानी इमरजेंसी में नियमित तौर पर नहीं जाते, क्योंकि वहां उनसे बात करने के लिए आकस्मिक चिकित्सा अधिकारी के अलावा कोई नहीं होता.
आपको बता दें कि एसोसिएशन ऑफ इमरजेंसी फिजिशियन ऑफ इंडिया ने एनएमसी के नए कॉलेजों के लिए इमरजेंसी मेडिकल स्पेशलिस्ट को बाहर करने को लेकर शिकायत की थी. यानी जो नए मेडिकल कॉलेज बन रहे है, उनमें इमरजेंसी विभाग जरूरी नहीं है.
एनएमसी की रिपोर्ट में बताया गया है कि शैक्षणिक आपातकालीन विभाग वाले मेडिकल कॉलेज की संख्या 45 से 134 हो गई. वहीं एमडी आपातकालीन चिकित्सा सीटें बढ़कर 120 से 462 हो गई है.