जिस बात पर कांग्रेस को कोसती है बीजेपी ! मध्य प्रदेश में 137 नामों में से 26 नाम ऐसे हैं, जो परिवारवाद के सहारे राजनीति में आए हैं !
जिस बात पर कांग्रेस को कोसती है बीजेपी, एमपी-छत्तीसगढ़ और राजस्थान में टिकट बंटवारे में वही हुआ!
मध्य प्रदेश में 137 नामों में से 26 नाम ऐसे हैं, जो परिवारवाद के सहारे राजनीति में आए हैं. छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने रमन सिंह के साथ-साथ उनके भांजे विक्रांत सिंह को भी चुनाव के मैदान में उतारा है.
बीजेपी चुनाव समिति की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अन्य सदस्य ….
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी उम्मीदवारों की सूची में परिवारवाद को जमकर तरजीह दी गई है. छत्तीसगढ़ में तो एक परिवार से 2-2 लोगों को टिकट दिया गया है. मध्य प्रदेश में 137 नामों में से 26 ऐसे हैं, जो परिवारवाद के सहारे राजनीति में आए हैं.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की 8 में से 6 सीटों की घोषणा बीजेपी ने अब तक की है, जिसमें 3 सीटों पर पिता की विरासत संभाल रहे नेताओं को पार्टी ने टिकट दिया है. इनमें नरेला से विश्वास सारंग, भोपाल मध्य से ध्रुव नारायण सिंह और गोविंदपुरा से कृष्णा गौर का नाम शामिल हैं.
विश्वास दिग्गज नेता कैलाश सारंग और ध्रुव नारायण गोविंद नारायण सिंह के बेटे हैं, जबकि कृष्णा गौर पूर्व सीएम बाबू लाल गौर की विरासत को संभाल रही हैं.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने रमन सिंह के साथ-साथ उनके भांजे विक्रांत सिंह को भी चुनाव के मैदान में उतारा है. रमन सिंह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और वे अपने पारंपरिक सीट राजनंदगांव से चुनाव लड़ेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी कर चुके हैं परिवारवाद का विरोध
इसी साल 15 अगस्त को लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद के खिलाफ बिगुल फूंका था. प्रधानमंत्री ने कहा था कि परिवारवाद ने हमारे देश को नोंच लिया है. वर्तमान में परिवारवाद ने जिस तरह से देश को जकड़ के रखा है, इससे आम लोगों का हक छीना है.
प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण के खिलाफ जंग लड़ने की अपील की थी. अपने पूरे भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कम से कम 12 बार परिवारवाद का नाम लिया था. विपक्षी पार्टियों पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था- परिवारवादी पार्टी लोकतंत्र में बीमारी है. यह प्रतिभाओं की दुश्मन होती है.
प्रधानमंत्री इसके बाद राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई रैलियों में परिवारवाद के मुद्दे को उठा चुके हैं. पार्टी ने विपक्षी पार्टियों के परिवारवाद को लेकर एक वीडियो स्टोरी भी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया था.
ऐसे में टिकट बंटवारे में परिवारवाद को तवज्जों ने पार्टी की रीति नीति पर सवाल उठा दिया है. इस स्टोरी में टिकट वितरण में बीजेपी के परिवारवाद को विस्तार से जानते हैं…
बात पहले मध्य प्रदेश की…
4 पूर्व सीएम के परिवार मैदान में- मध्य प्रदेश के 4 पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार को बीजेपी ने टिकट दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के बेटे ध्रुव नारायण सिंह को भोपाल मध्य से टिकट मिला है. 2008-13 तक ध्रुव नारायण सिंह यहां से विधायक भी रह चुके हैं.
वर्तमान में यहां से कांग्रेस के आरिफ मसूद विधायक हैं. ध्रुव नारायण सिंह का नाम आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्या मामले भी आया था. वहीं पूर्व सीएम वीरेंद्र सकलेचा के बेटे ओम प्रकाश सकलेचा को भी बीजेपी ने जावद से उम्मीदवार बनाया है. सकलेचा 2003 से ही इस सीट से चुनाव जीत रहे हैं. अभी वे शिवराज सरकार में मंत्री भी हैं.
पूर्व सीएम बाबूलाल गौड़ की बहू कृष्णा गौड़ को भी बीजेपी ने गोविंदपुरा सीट से प्रत्याशी बनाया है. कृष्णा गौड़ 2018 में इस सीट से चुनाव जीत चुकी है. गौड़ भोपाल की महापौर भी रह चुकी हैं. फायरब्रांड नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को भी बीजेपी ने खरगापुर से उम्मीदवार बनाया है. राहुल लोधी को हाल ही में शिवराज कैबिनेट में भी शामिल किया गया था. खरगापुर को उमा भारती का गढ़ माना जाता था.
चुनावी मैदान में बड़े नेताओं के बेटे- बीजेपी ने बड़े नेताओं के बेटे को भी चुनाव मैदान में उतारा है. कैलाश सारंग के बेटे विश्वास सारंग को नरेला से, शिवराज सिंह लोधी के बेटे वीरेंद्र लंबरदार को बंडा से संत्येद्र पाठक के बेटे संजय पाठक को विजय राघौगढ़ से टिकट दिया गया है.
इसके अलावा परिवारवाद की पॉलिटिक्स से आए धीरेंद्र सिंह को बड़वारा से, नीरज ठाकुर को बरगी से, महेंद्र चौहान को भैंसदेही से, कमाख्या प्रताप सिंह को महराजपुर से, मनोज चौधरी को हाटपिपल्या से, नरेंद्र शिवाजी पटेल को उदयपुरा से टिकट मिला है.
देपालपुर से मनोज पटेल और खातेगांव से आशीष शर्मा को भी बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. दोनों नेता पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. देपालपुर सीट पर तो बीजेपी संगठन के लोगों ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है.
टिकट के दावेदार राजेंद्र चौधरी ने पत्रकारों से कहा कि देपालपुर में सिर्फ एक ही परिवार को सालों से टिकट दिया जा रहा है. पहले निर्भय पटेल को बीजेपी ने आगे बढ़ाया और अब उनके बेटे मनोज को टिकट दिया गया है.
पार्टी ने रामपुर बघेलान से पूर्व मंत्री हर्ष सिंह के बेटे विक्रम सिंह और जबलपुर छावनी से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इश्वर रोहाणी के बेटे अशोक रोहाणी को भी टिकट दिया है.
नेता पुत्री और पत्नी भी पीछे नहीं- बीजेपी से टिकट पाने में नेता पुत्री और नेता पत्नी भी पीछे नहीं हैं. पेटलावाद से दिलीप भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. साथ ही बीजेपी ने 5 नेता पत्नी को भी टिकट दिया है.
सबलगढ़ से पार्टी ने सरला विजेंद्र रावत को टिकट दिया है. विजेंद्र रावत स्थानीय राजनीति में एक्टिव हैं. उनके पिता मेहरबान रावत विधायक रह चुके हैं. सीधी से बीजेपी ने रीति पाठक को प्रत्याशी बनाया है. उनके पति रजनीश पाठक भी स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं.
पार्टी ने देवास से गायत्री राजे पवार को मैदान में उतारा है. वे कद्दावर नेता रहे तुकोजीराव पवार की पत्नी हैं. इसी तरह इंदौर-4 से मालिनी गौर को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. मालिनी दिवंगत पूर्व मंत्री लक्ष्मण गौर की पत्नी हैं.
छत्तीसगढ़ में भी परिवारवाद का दबदबा
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने अब तक 85 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. पहली सूची में 21 और दूसरी सूची में 64 लोगों के नाम की घोषणा की गई है. छत्तीसगढ़ में भी परिवारवाद पॉलिटिक्स से आए नेताओं का जमकर ख्याल रखा गया है.
बीजेपी ने पूर्व सांसद बलिराम कश्यप के बेटे केदार कश्यप को नारायणपुर सीट से इस बार भी टिकट दिया है. केदार 2018 में इस सीट से चुनाव हार गए थे. खल्लारी से बीजेपी ने नरेश चंद्राकर की पत्नी अलका चंद्राकर को उम्मीदवार बनाया है.
अकालतारा से सौरभ सिंह को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है. सौरभ भी अपने पिता की विरासत को संभाल रहे हैं. लैलूंगा से बीजेपी ने सुनीति राठिया को टिकट दिया है. राठिया के पति सत्यानंद राठिया भी विधायकी का चुनाव लड़ चुके हैं.
बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में 2 परिवार के लिए एक परिवार- एक टिकट के लिए अपने नियम भी तोड़ दिए हैं. जूदेव परिवार से संयोगिता और प्रबल जबकि रमन परिवार से खुद रमन सिंह और उनके भांजे विक्रांत को टिकट दिया गया है.
रमन सिंह के टिकट को लेकर लागातर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल निशाना साध रहे थे. टिकट ऐलान के बाद भूपेश बघेल ने कहा कि अब यह तय हो गया है कि छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ही फैसला कर रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को उन्होंने अपना ओएसडी बना लिया है.
राजस्थान में भी सबका विकास
बीजेपी ने राजस्थान में भी टिकट वितरण में परिवारवाद को काफी तरजीह दी है. सवाई माधोपुर से किरोड़ी लाल मीणा तो बामनवास से उनके रिश्तेदार राजेंद्र मीणा को उम्मीदवार बनाया गया है. लालसोट से बीजेपी ने रामविलास मीणा को उम्मीदवार बनाया है. मीणा भी अपने दादा के विरासत को संभाल रहे हैं.
देवली-उनियारा सीट से गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला को पार्टी ने टिकट दिया है. हालांकि, विजय बैंसला का क्षेत्र में विरोध भी शुरू हो गया है.
विद्यानगर सीट से दीयाकुमारी को बीजेपी ने मैदान में उतारा है. दीया जयपुर विरासत से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता भवानी सिंह जयपुर के महाराज रह चुके हैं. चौधरी दयाराम बेनीवाल के बेटे संजीव बेनीवाल को भी बीजेपी ने भादरा सीट से उम्मीदवार बनाया है.
तिजारा से बाबा बालकनाथ को भी बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है. बालकनाथ नाथ सांप्रदाय के गुरु महंथ चंद्रनाथ के रानजीतिक उत्तराधिकारी हैं.
12 सांसद, 3 केंद्रीय मंत्री मैदान में
बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीगढ़ में कई सांसदों को भी मैदान में उतार दिया है. मध्य प्रदेश में अब तक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और सांसद गणेश सिंह, उदयप्रताप सिंह, रीति पाठक के साथ-साथ राकेश सिंह के नाम का ऐलान हो चुका है.
मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीरेंद्र खटीक के भी चुनाव लड़ने की अटकलें हैं. इसी तरह राजस्थान में बीजेपी ने अपने 4 सांसदों को मैदान में उतारा है. इनमें 3 लोकसभा और एक राज्यसभा के सांसद हैं.
विधानसभा चुनाव लड़ने वाले दीयाकुमारी, महंथ बालकनाथ और राज्यवर्धन राठौड़ लोकसभा तो किरोड़ी लाल मीणा राज्यसभा के सांसद हैं. राजस्थान में अर्जुन राम मेघवाल, कैलाश चौधरी समेत कई और दिग्गज के चुनाव लड़ने की अटकलें हैं.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने सांसद रेणुका सिंह, गोमती साय, अरुण साव और विजय बघेल को विधायकी लड़ने के लिए मैदान में उतार दिया है. छत्तीसगढ़ में सरोज पांडे समेत कई दिग्गज नेताओं के चुनाव लड़ने की चर्चा है.
कांग्रेस की सूची पर सबकी नजर?
बीजेपी उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद अब सबकी नजर कांग्रेस की लिस्ट पर है. कांग्रेस अब तक किसी भी राज्य में उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने पत्रकारों से कहा कि पितृपक्ष के बाद हम नाम का ऐलान करेंगे.
वहीं सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अभी तो प्रक्रिया शुरू हुई है और मेरा मानना है कि 18 अक्टूबर के आसपास जब सीईसी की मीटिंग शुरू होगी तभी सूची पर अंतिम फैसला होगा