ग्रीन के नाम पर बारूद के पटाखों की धड़ल्ले से बिक्री !

इन्हें कौन देखेगा?: ग्रीन के नाम पर बारूद के पटाखों की धड़ल्ले से बिक्री, दशकों से आतिशबाजी का अवैध कारोबार

एनजीटी के आदेशों का दादरी में कई साल से उल्लंघन होता चला आ रहा है और जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे रहते हैं। जब भी इस तरह की शिकायत होती है तो पुलिस बारूद माफिया को गिरफ्तार कर लेती है। मगर उन पर गैंगस्टर या गुंडाएक्ट जैसी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। 

ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण दादरी में अवैध पटाखों का व्यापार फल-फूल रहा है। इनमें अवैध पटाखे बेचने के लिए कपड़ा और परचून की दुकानों को भी नामित कर रखा है और लोग वहीं से जाकर प्रतिबंधित पटाखे खरीदते हैं। एक दशक से अवैध बारूद के कारोबार में लिप्त आठ से दस लोग ऐसे हैं जो हर साल पटाखों की बड़ी खेप के साथ पकड़े जाते हैं।

दिवाली से पहले हर साल पुलिस आतिशबाजी के थोक व्यापारियों से बरामद करके उनके कर्मचारियों को जेल भेजकर अपनी जिम्मेदारी पूरा कर देती है। व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है। इसके कारण दादरी में चार से पांच व्यापारी हर साल दिवाली पर बिना लाइसेंस के अवैध आतिशबाजी बेचते हैं। 

बड़ी बात यह है कि उनके गोदाम घनी  आबादी में बनाए जाते हैं। यदि विस्फोट हो जाए तो बड़ा हादसा हो सकता है। जबकि एनजीटी के सख्त निर्देश हैं कि बारूद से बने पटाखों को नहीं बेचना है, लेकिन ग्रीन पटाखों के नाम पर असली बारूद के पटाखे बेचे जाते हैं। 

व्यापारी अधिकारी-कर्मचारियों से साठगांठ कर घनी आबादी के इलाके में घनश्याम रोड पर दुकान पर पटाखों के फोटो दिखाकर बेचते रहे हैं।  इस बार भी दादरी पुलिस ने व्यापारी प्रदीप के गोदाम से भारी मात्रा में अवैध आतिशबाजी बरामद की है। उनके नौकर को गिरफ्तार किया है। 

नजदीक दो व्यापारियों ने भी अपनी दुकानों के नीचे बने तहखानों में आतिशबाजी का स्टॉक रखा है। रेडीमेट कपड़ों की दुकानों में भी आतिशबाजी की बिक्री की जा रही है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी पुलिस और प्रशासन को नहीं है। जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से अवैध पटाखों की बिक्री बढ़ती जा रही है। 

दादरी में नहीं है कोई आतिशबाजी का लाइसेंस
दादरी में पिछले पांच साल से एक भी आतिशबाजी का लाइसेंस नहीं है। बिना लाइसेंस के ही अवैध रूप से बिक्री और स्टॉक किया जाता रहा है। जबकि अधिकारियों का कहना है कि प्रतिबंधित पटाखों को बेचने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है और उनके लिए कोई लाइसेंस नहीं दिए जाते हैं।

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