अब तेज होगी जंग!

अब तेज होगी जंग! 57 देशों ने कहा- फिलिस्तीन को हर तरह की मदद देंगे, लिए ये 20 फैसले
इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने इजराइल युद्ध की आलोचना की है. विदेशी नेताओं पर गाजा में इजराइली सेना के ‘युद्ध अपराधों’ को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. मुस्लिम देशों से साथ आकर गाजा के लोगों की मदद की अपील की. ओआईसी की मीटिंग में कई मुद्दों पर बात हुई और 20 सूत्रीय मांग रखी है.

अब तेज होगी जंग! 57 देशों ने कहा- फिलिस्तीन को हर तरह की मदद देंगे, लिए ये 20 फैसले

इजराइल के ‘युद्ध अपराध’ की ओआईसी ने की आलोचनाI

इस्लामिक सहयोग संगठन ने जेद्दा में एक बैठक में गाजा के अल-अहली अरब अस्पताल पर हमले को “युद्ध अपराध” करार दिया. मुस्लिम देशों ने उस दावे को सिरे से खारिज किया है, जिसमें इजराली शासन अस्पताल हमले से इनकार कर रहा है. ओआईसी कार्यकारी समिति की बैठक बुधवार को जेद्दा में आयोजित की गई थी. इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन यहूदियों के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए इजराइल में थे. अमेरिका ने इजराइल की निंदा करने वाले प्रस्ताव को वीटो कर दिया था.

2. मानवीय मदद पहुंचाने की छूट: इस्लामिक देशों के ग्रुप ने सभी देशों से गाजा पट्टी को पानी और बिजली सहित मानवीय, चिकित्सा और राहत सहायता प्रदान करने की अपील की. समिति ने नागरिकों को निशाना बनाने के खतरे पर जोर दिया और मानवीय गलियारों को तत्काल खोलने का आग्रह किया.

3. अस्पतालों को निशाना बनाने की निंदा: मुस्लिम देशों ने गाजा पट्टी में अल-अहली अस्पताल को निशाना बनाने की कड़ी निंदा की और इन युद्ध अपराधों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की अपील की. गाजा पट्टी में नागरिकों के भविष्य को बर्बाद करने के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया.

4. नागरिकों की सुरक्षा: नागरिकों की सुरक्षा पर ओआईसी ने जोर दिया. गाजा में इजराइली सेना द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की धज्जियां उड़ाने की भी निंदा की.

5. नागरिकों के विस्थापन पर नाराजगी: गाजा पट्टी के उत्तरी हिस्से को खाली करने के आदेशों को ओआईसी ने खारिज किया है, जहां दसियों लाख लोग बेघर हो गए हैं. दक्षिणी इलाके में भी इजराइली सेना बम बरसा रही है. विस्थापन रोकने और फिलिस्तीनी लोगों के लिए मुआवजे और उनकी वापसी पर चिंता जताई.

6. सुरक्षा परिषद की विफलता पर सवाल: इस्लामिक देशों के ग्रुप ने इजराइली सेना के युद्ध अपराधों को रोकने और निर्णायक कार्रवाई नहीं करने के लिए यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली की कड़ी शब्दों में निंदा की. संगठन ने सुरक्षा परिषद से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का आग्रह किया.

7. संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद से अपील: संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद से फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ आक्रामकता को समाप्त करने, मानवीय सहायता के प्रवेश की इजाजत देने, नागरिकों की रक्षा करने और बढ़ती मानवीय तबाही को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने की अपील की. इसके लिए सीधे तौर पर ओआईसी ने इजराइली सेना को जिम्मेदार ठहराया.

8. वेस्ट बैंक और अल-कुद्स: अल-कुद्स और वेस्ट बैंक में इजराइली सेना और “उपनिवेशवादी आतंकवाद” द्वारा हमलों में बढ़ोतरी के खिलाफ चेतावनी दी. समिति अल-कुद्स में पवित्र स्थलों की पवित्रता को संरक्षित करने और अल-अक्सा मस्जिद के लिए पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया.

9. फिलिस्तीन राज्य के लिए समर्थन: इजराइली कब्जे वाले अधिकारियों द्वारा किए गए अपराधों को रोकने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और कानूनी समर्थन सहित सभी स्तरों पर फिलिस्तीन राज्य की सरकार के समर्थन की पुष्टि की.

10. अंतरराष्ट्रीय नेताओं की निंदा: समिति उन अंतरराष्ट्रीय नेताओं की निंदा की, जो इजराइली आक्रामकता का समर्थन करते हैं और इजराइल को दंडों से मुक्ति दी है. विदेशी नेताओं पर ओआईसी ने संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और फिलिस्तीनी लोगों को दंडित करने के समर्थकों की आलोचना की.

11. शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर जोर: इस्लामिक देशों ने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता इजराइली कब्जे को समाप्त किए बिना और फिलिस्तीनी लोगों को आत्मनिर्णय, स्वतंत्रता और वापसी सहित उनके अधिकारों के साथ सशक्त किए बिना हासिल नहीं की जा सकती.

12. राजनीतिक गलियारे शुरू करने की अपील: अंतर्राष्ट्रीय नेताओं को अवैध इजराइली कब्जे को समाप्त करने और एक स्पष्ट समय सीमा के भीतर टू-स्टेट फॉर्मूले को आगे बढ़ाने की अपील की.

13. ओआईसी मिशनों की कार्रवाइयां: ओआईसी ने कहा कि सदस्य देशों के मिशनों से आग्रह किया जाता है कि वे ओआईसी की स्थिति को उन देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को बताएं जिनसे वे मान्यता प्राप्त हैं, और आक्रामकता की निंदा करने और फिलिस्तीनी लोगों को आवश्यक मानवीय आपूर्ति प्रदान करने की दिशा में काम करें.

14. राजनयिक, कानूनी उपाय: सदस्य देशों से मानवता के खिलाफ इजराइल के अपराधों को रोकने के लिए राजनयिक, कानूनी और निवारक उपायों सहित व्यवहार्य और प्रभावी उपाय लागू करने की अपील की.

15. असाधारण सीएफएम बैठक: फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ इजराइल के चल रहे अपराधों पर चर्चा करने के लिए जनरल सचिवालय मुख्यालय में विदेश मंत्रियों की एक असाधारण परिषद (सीएफएम) की बैठक बुलाई गई है.

16. महासचिव के लिए कार्यभार: महासचिव को जल्द से जल्द प्रभावी और ठोस उपायों की पहचान करने और उन्हें अगली असाधारण सीएफएम बैठक में प्रस्तुत करने का काम सौंपा गया है.

17 – फिलिस्तीनियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा: अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के मुताबिक, फिलिस्तीनी लोगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. इजराइली बलों और “उपनिवेशवादी आतंकवाद” द्वारा जारी हमलों से निर्दोष लोगों की जान बचाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल भेजने का अनुरोध किया है.

18 – घटना पर रिपोर्टिंग: महासचिव को अंतिम विज्ञप्ति के कार्यान्वयन पर नज़र रखने और विदेश मंत्रियों की परिषद की अगली बैठक में इस पर रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है.

19 – अस्पताल हमले का जिम्मेदार इजराइल: फिलिस्तीनियों के ‘घावों पर नमक छिड़कने’ के लिए बाइडेन ने इजराइल के इस दावे का समर्थन किया कि उसकी सेना ने अस्पताल पर बमबारी नहीं की, सऊदी अरब की अध्यक्षता में ओआईसी की बैठक ने इजराइल और अमेरिका से मिल रहे समर्थन की निंदा की और “क्रूर” हमले के लिए सीधे तौर पर इजराइल को जिम्मेदार ठहराया.

20 – अस्पताल पर बमबारी युद्ध अपराध: ओआईसी की जॉइंट स्टेटमेंट में अस्पताल में बमबारी “युद्ध अपराध, विनाश और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, नैतिकता का घोर उल्लंघन” माना है.

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