दिल्ली दंगा केस में पुलिस पर सवाल क्यों !

दिल्ली दंगा केस में पुलिस पर सवाल क्यों:कोर्ट में नहीं टिक रहे केस, जमानत मिली लेकिन नौकरी के लिए तरसे आरोपी

दिल्ली दंगों की जांच में पुलिस के रवैये पर पहली बार सवाल नहीं उठे हैं। इससे पहले भी एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने जेल में बंद एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा था कि पुलिस की सप्लिमेंट्री चार्जशीट में घटना का समय गवाहों के बयान से मेल नहीं खाता। पुलिस ने सबूतों में हेरफेर किया था।

सितंबर 2022 में जज पुलस्त्य प्रमाचला ने करावल नगर में हुई हिंसा के आरोपी को बरी करते हुए कहा था कि पुलिस ने आरोपी को हिंसक भीड़ का हिस्सा बताने के लिए पुराने वीडियो पर भरोसा किया। जबकि सबूत के तौर पर पेश किया गया वीडियो दिल्ली दंगों का नहीं था।

दिल्ली में 23 फरवरी 2020 को दंगा शुरू हुआ था। जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजूरी खास, गोकुलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर समेत 11 पुलिस स्टेशन एरिया में दंगाइयों ने उत्पात मचाया था। -फाइल फोटो
दिल्ली में 23 फरवरी 2020 को दंगा शुरू हुआ था। जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजूरी खास, गोकुलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर समेत 11 पुलिस स्टेशन एरिया में दंगाइयों ने उत्पात मचाया था। -फाइल फोटो

23 फरवरी, 2020 को दिल्ली में भड़के सांप्रदायिक दंगों को 3 साल 8 महीने बीत चुके हैं। 4 दिन चले इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने 771 FIR दर्ज कर करीब 2 हजार लोगों को अरेस्ट किया था।

इरशाद, अकील, अयास, अंकित, ऋषभ, पंकज भी दंगे के आरोपियों में शामिल हैं। फिलहाल सभी जमानत पर हैं, लेकिन उन पर दंगाई होने का दाग जिंदगी के भर के लिए लग गया। दैनिक भास्कर ने उनसे बात की और पूछा कि पुलिस ने उन्हें क्यों गिरफ्तार किया था और क्यों कोर्ट ने जमानत दे दी। जेल में रहते हुए उनके और परिवार के साथ क्या-क्या हुआ। पढ़िए पूरी स्टोरी…

मोहम्मद इरशाद, मुस्तफाबाद
उम्र- 24 साल, पेशा- पेंटर

पुलिस ने टॉर्चर किया, इसलिए दोस्त ने मेरा नाम ले दिया
मोहम्मद इरशाद के पिता की मुस्तफाबाद के चांदबाग में शॉप है। घर में मां, छोटी बहन और 4 भाई हैं। इरशाद दिल्ली दंगों में आरोपी हैं। अरेस्ट होने से पहले इरशाद पेंटर थे। वे कहते हैं, ‘रोज 500 रुपए कमा लेता था। अब पुराना काम छूट गया।’

दंगे वाले दिन क्या हुआ था? इरशाद बताते हैं, ‘24 फरवरी, 2020 को मैं खजूरी खास में था। दोस्त जुनैद ने फोन पर बताया कि मुस्तफाबाद में दंगा हो गया है। मुझे परिवार की फिक्र हुई। मैं तुरंत घर के लिए निकल आया। तब दोपहर के 3 बजे थे।’

‘पहले अब्बू की शॉप पर पहुंचा और वहां से घर चला गया। दंगे में मोहल्ले के शाहिद की मौत हुई थी। पुलिस ने 1 अप्रैल, 2020 को मुझे पकड़ लिया। बोले कि चलो, बस पूछताछ करनी है। पुलिसवाले यमुना विहार क्राइम ब्रांच के ऑफिस ले गए। फिर दयालपुर थाने में रखा। अगले दिन कोर्ट में पेश कर मंडोली जेल भेज दिया। 12-13 महीने जेल में रखा।’

इरशाद की गिरफ्तारी पर उनकी मां रिहाना कहती हैं, ‘पुलिसवाले घर आए और बोले कि पूछताछ के लिए इरशाद को ले जाना है। उसके बाद कोरोना की वजह से सब बंद हो गया। कई महीने तक तो हमें इरशाद की खबर ही नहीं मिली।’

घर के पास दंगा हुआ, पुलिस बोल रही हिंसा वाली जगह मेरी लोकेशन मिली
इरशाद के घर से कुछ दूर चांदबाग में 55 साल के अकील अहमद रहते हैं। अकील 14 महीने जेल में रहे। वे कहते हैं, ‘मुझे तो ये भी नहीं पता कि मुझे गिरफ्तार क्यों किया था। 24 फरवरी, 2020 को बृजपुरी में दंगा हो रहा था। मेरे दोनों बच्चे घर के पास की पुलिया पर थे। मैं गया और उन्हें घर ले आया। इसके बाद 3 दिन हम लोग बाहर नहीं निकले।’

‘एक दिन 15-20 पुलिसवाले आए और मुझे उठा ले गए। मैंने पूछा कि क्यों ले जा रहे हो, तो बोले कि पूछताछ करनी है। बच्चे छुड़वाने गए, तो कहने लगे कि छोड़ेंगे नहीं, सीधे जेल भेजेंगे।’

बेटी की शादी टूट गई, कार बैंक वाले ले गए, सेविंग्स केस लड़ने में खत्म हो गई
अकील 15 साल से कैब चला रहे थे। रोज करीब 600 रुपए कमा लेते थे। परिवार में पत्नी और 5 बच्चे हैं। अरेस्ट होने के 6 महीने पहले ही कैब खरीदी थी। जेल में थे, इसलिए EMI नहीं भर पाए। एक दिन बैंक वाले कार ले गए। सेविंग केस लड़ने में खत्म हो गई।

जेल में वक्त कैसा निकला? सवाल का जवाब देते हुए अकील की आंखें भर आईं। बोले, याद करता हूं तो रोना आता है। लॉकडाउन चल रहा था। किसी को मिलने नहीं दे रहे थे। 6 महीने एक जोड़ी कुर्ता-पायजामा में काटा। उसी को धोता और पहन लेता था। 8 महीने तक पुलिस ने बहुत पीटा। पिटाई से मेरा हाथ टूट गया, बाएं हाथ की हड्डी हिल गई। मुश्किल है, लेकिन सब भूलना ही पढ़ेगा।’

एक केस में अकील और इरशाद बरी, एक की सुनवाई शुरू नहीं
अकील और इरशाद चोरी और गैरकानूनी तरीके से भीड़ जुटाने के मामले में बरी हो चुके हैं। दंगा, हथियार रखने, और पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने के मामले में जमानत मिल गई है। हत्या के आरोप में अभी सुनवाई शुरू भी नहीं हुई है।

कॉन्स्टेबल का बयान भरोसेमंद नहीं, दूसरे बयान भी अलग, इसलिए जमानत मिली
अकील और इरशाद का केस एडवोकेट सलीम मलिक और शबाना सिद्दीकी लड़ रहे हैं। सलीम बताते हैं, ‘इरशाद को एक अप्रैल 2020 को अरेस्ट किया गया था। उसके साथ 5 और लोग अरेस्ट हुए थे। 16 दिन बाद इरशाद पर 3 और केस लगा दिए। सभी FIR दयालपुर थाने में दर्ज हैं।’

‘FIR नंबर 108/20 में कॉन्स्टेबल पीयूष कुमार का बयान था, जिसे कोर्ट ने भरोसेमंद नहीं माना। बयान में कई तरह के कंट्राडिक्शन थे। इरशाद पर आरोप था कि उसने विक्टोरिया मेमोरियल स्कूल की बिल्डिंग में आग लगाई है। एक और FIR 71/20 है, इसमें गवाहों के बयान अलग मिले। गवाहों ने कहा कि घटना 24 फरवरी को हुई थी, लेकिन सप्लिमेंट्री चार्जशीट में लिखा है कि घटना 25 फरवरी को सुबह साढ़े 9 बजे की है।’

मोहम्मद अयास, मुस्तफाबाद
उम्र- 45 साल, पेशा- रियल एस्टेट

हेड कॉन्स्टेबल की हत्या का पुलिस पेश नहीं कर सकी सबूत
दंगे में दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल का भी मर्डर हुआ था। 24 फरवरी, 2020 को दोपहर करीब एक बजे चांदबाग पीर दरगाह के पास पुलिस टीम पर भीड़ ने हमला किया था। तभी रतन लाल को गोली मार दी गई।

इस केस में 45 साल के मोहम्मद अयास मुख्य आरोपी हैं। अयास मुस्तफाबाद के 25 फुटा इलाके में रहते हैं। 3 साल तक फरार रहे। जून 2022 में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने उन्हें कर्नाटक के चिकबल्लापुर में एक मदरसे से अरेस्ट किया था। अयास को पुलिस ने हिंसक भीड़ का हिस्सा मानकर गिरफ्तार किया और घटना का मास्टरमाइंड बताया।

अयास भाई खालिद के साथ दूसरे राज्यों में प्रॉपर्टी का काम करते थे। अयास बताते हैं, ‘दंगे के वक्त हमारा देहरादून में काम चल रहा था। वहां हम मकान और रिसॉर्ट बना रहे थे। मैं भाई के साथ देहरादून आता-जाता था।’

‘दिल्ली आने पर पता चला कि पुलिस ने दंगे में मेरा नाम भी शामिल किया है। मैं नहीं चाहता था कि परिवार मेरी वजह से परेशान हो, इसलिए देहरादून से मणिपुर के इंफाल चला गया। मणिपुर में हालात खराब हुए तो वहां से कर्नाटक चला गया।’

‘पुलिस ने वहीं से मुझे अरेस्ट कर लिया। दिल्ली लाने के बाद कहा कि खालिद को सरेंडर करा दूं, तो जमानत दिला देंगे। मैं पुलिस के साथ इंफाल गया, वहां से खालिद को भी अरेस्ट कर लिया। फिर हम दोनों को मंडोली जेल भेज दिया।’

बड़े भाई ने मस्जिद जलाने वालों का वीडियो बनाया था, इसलिए पुलिस ने टारगेट किया
अयास के भाई खालिद कहते हैं, ‘भीड़ ने बृजपुरी में एक मस्जिद जला दी थी। मेरे बड़े भाई मोहम्मद इलियास भी वहीं थे। उन्होंने भीड़ और पुलिस का वीडियो बनाया था। पुलिस को वीडियो दिखाकर उन्होंने FIR भी कराई थी। इलियास से बदला लेने के लिए पुलिस ने हमें फंसा दिया।’

‘गिरफ्तारी की वजह से हमें करीब 40 लाख रुपए का नुकसान हुआ। कई बड़े प्रोजेक्ट रुक गए। अयास का बड़ा बेटा बीटेक करना चाहता था, लेकिन 3 साल तक उसने पिता का चेहरा भी नहीं देखा। पैसे नहीं थे, तो BCA में एडमिशन ले लिया।’

जज ने अयास को जमानत दी, कहा- पुलिस हिंसा की साजिश रचने का सबूत दे
अयास की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जज पुलस्त्य प्रमचला ने कहा, ‘22 फरवरी 2020 की रात अयास को उनके घर के तहखाने से बाहर आते दिखाया गया। पुलिस ने कहा कि अयास और खालिद ने हिंसा की साजिश रचने के लिए मीटिंग की थी। इसके लिए सबूत की जरूरत है, पुलिस वह पेश करे।’ इसके बाद कोर्ट ने खालिद और अयास को 12 सितंबर, 2023 को जमानत दे दी।

वकील बोले- मुसलमानों को दंगे में फंसाने का पैटर्न बन गया है
अयास और खालिद का केस वकील महमूद प्राचा लड़ रहे हैं। वे कहते हैं, ‘सरकार ने दंगों का एक पैटर्न बनाया है। नूंह की तरह ही दिल्ली में भी वही हुआ था। 2020 दंगे में पुलिस ने झूठे मुकदमे लिखे। ज्यादातर मुसलमान ही उस हिंसा में मरे, उनकी प्रॉपर्टी तोड़ी गई, हमले हुए और मुसलमानों को ही जेल में डाल दिया। केस चलने की रफ्तार थोड़ी धीमी है, लेकिन फैसले आ रहे हैं।’

कट्टर हिंदू एकता वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़े स्टूडेंट को जेल भेजा
एक मार्च, 2020 को गंगा विहार पब्लिक स्कूल के पास जौहरीपुर नाले में एक डेड बॉडी मिली थी। गोकुलपुरी थाने की पुलिस ने शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। ये शव आस मोहम्मद का था। उनकी बॉडी पर 14 घाव थे। इस मामले में FIR नंबर 149/20 दर्ज है। इसमें 12 लोगों पर दंगा फैलाने और हत्या का आरोप है।

जांच में पुलिस को ‘कट्टर हिंदू एकता’ वॉट्सऐप ग्रुप का पता चला। इस ग्रुप से जुड़ने के आरोप में पुलिस ने 8 मार्च को लोकेश सोलंकी को अरेस्ट किया था। वॉट्सऐप ग्रुप 25 फरवरी, 2020, यानी दंगा शुरू होने के दो दिन बाद बना था। जांच में पता चला कि ग्रुप का एडमिन रितिक है। पुलिस उसका अब तक पता नहीं लगा सकी है।

ऋषभ चौधरी, गोकुल पुरी
उम्र: 
23 साल, स्टूडेंट

आस मोहम्मद मर्डर केस में ऋषभ चौधरी भी आरोपी हैं। उन्हें 3 मार्च 2023 को बेल मिली थी। उनकी मां आंगनबाड़ी वर्कर हैं और पिता कैब चलाते हैं।

ऋषभ ने बताया, ‘मैं यमुना विहार के एक कॉलेज में पढ़ता था। दंगे हुए तो कॉलेज की छुट्टी हो गई। मैं दोस्त गुरु और अपर्णा के साथ गोकुलपुरी लौट रहा था। मैंने स्कूटी सर्विसिंग के लिए दी थी, उसका कॉल आया कि स्कूटी ले जाओ, वर्ना भीड़ जला देगी। दोपहर करीब 3 बजे मैं जौहरीपुर स्कूटी लेने गया था। वहां से घर आ गया।’

ऋषभ बताते हैं, ‘मैं कट्टर हिंदू एकता वॉट्सऐप ग्रुप में नहीं था। लोकेश सोलंकी पहले मेरे घर के पास रहता था, मैं उसे चेहरे से जानता था। बाद में लोकेश भागीरथ विहार में शिफ्ट हो गया। उसके बयान पर पुलिस ने 6 मार्च को अंकित चौधरी, 9 मार्च को मुझे, जतिन शर्मा और विवेक पंचाल को अरेस्ट कर मंडोली जेल भेज दिया।’

ऋषभ चौधरी कैमरे पर अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहते। 23 साल के ऋषभ को जब जेल भेजा गया था, वे बीए फर्स्ट ईयर में थे।
ऋषभ चौधरी कैमरे पर अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहते। 23 साल के ऋषभ को जब जेल भेजा गया था, वे बीए फर्स्ट ईयर में थे।

गवाहों ने घटना की पुष्टि नहीं की, जमानत मिलनी चाहिए
इस केस में एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा, ‘गवाहों से पूछताछ की गई है। उन्होंने घटना की पुष्टि नहीं की है। बाकी 2 गवाहों ने भीड़ में किसी व्यक्ति को देखने का दावा नहीं किया। मुझे लगता है कि आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए।’

अंकित चौधरी, गोकुलपुरी
उम्र: 
20 साल, स्टूडेंट

फौज की नौकरी मिलने से पहले छूट गई, जमानत पर 25 लाख रुपए खर्च हो गए
आस मोहम्मद मर्डर केस में अरेस्ट अंकित चौधरी पहलवानी करते हैं। अंकित का सिलेक्शन आर्मी में हो गया था। 25 मार्च, 2020 को उन्हें जॉइन करना था। उससे पहले ही पुलिस ने जेल भेज दिया। जमानत लेने में परिवार के 25 लाख रुपए खर्च हो गए। अंकित के पिता रिटायर्ड फौजी हैं। जेल जाने की वजह से फौज की नौकरी नहीं मिली। अंकित को 10 सितंबर, 2023 को जमानत मिली है।

अंकित बताते हैं, ‘पुलिस 4 मार्च, 2020 को मेरे घर आई थी। मुझे पकड़ा और पूरी रात गोकुलपुरी थाने में रखा। पुलिसवालों ने 23 फरवरी 2020 का एक वीडियो दिखाया, उसमें मैं घर लौट रहा था। पुलिसवालों ने कहा कि आस मोहम्मद को मारने वाली भीड़ में मैं भी था। 5 FIR में मेरा नाम डालकर मंडोली जेल भेज दिया। मैं तो लोकेश सोलंकी को भी नहीं जानता। वॉट्सऐप ग्रुप की भी जानकारी नहीं थी।’

शव नाले में बहकर आया, पुलिस ने मान लिया कि जहां लाश मिली, वहीं मर्डर हुआ
अंकित का केस वकील जितेंद्र बक्शी लड़ रहे हैं। वे कहते हैं, ‘जौहरीपुर में 2 नाले हैं। आसपास के इलाकों का सारा कचरा इसी नाले में गिरता है। 2 किमी दूर भी कोई डेड बॉडी गिरी होगी, तो जौहरीपुर के नाले की पुलिया के पास ही रुकेगी, क्योकि यहां खंभे बने हैं।’

‘बाकी सभी नाले ढंके हैं, सिर्फ जौहरीपुर में जहां आस मोहम्मद का शव मिला, वहीं खुला है। पुलिस को वहां शव दिखा तो उन्होंने मान लिया कि यहीं वारदात हुई होगी। सिर्फ इसीलिए आसपास के लड़कों को अरेस्ट कर लिया। जब तक गवाह कोर्ट नहीं आते, तब तक बेल नहीं मिलती, इसीलिए साढ़े 3 साल लग गए।’

पंकज शर्मा, गोकुलपुरी
जमानत के लिए पत्नी ने गहने बेचे,

आस मोहम्मद मर्डर केस में पंकज शर्मा भी अरेस्ट हुए थे। पंकज बताते हैं, ‘मेरी पत्नी ने जमानत दिलाने के लिए 3 वकील किए। गहने गिरवी रखकर केस लड़ा। केस के दूसरे आरोपी विवेक और ऋषभ के परिवार ने भी डेढ़ लाख रुपए की मदद की। जमानत पर छूटा, तब तक पत्नी की मौत हो चुकी थी।’

पंकज चांदनी चौक में कपड़ों की दुकान पर काम करते थे। परिवार में पत्नी सविता दो बच्चे और मां थीं। मां को कैंसर है। पंकज को 9 मार्च, 2020 पुलिस ने पकड़ा था। पंकज बताते हैं, ‘मैं घर में अकेला कमाने वाला हूं। मेरे जेल में जाने के बाद किसी ने हमारी मदद नहीं की। पत्नी की सेविंग और गहने सब चले गए।

पत्नी सविता के साथ पंकज शर्मा। सविता की 2022 में टाइफाइड से मौत हो गई थी।
पत्नी सविता के साथ पंकज शर्मा। सविता की 2022 में टाइफाइड से मौत हो गई थी।

पंकज के जेल में रहने के दौरान उनकी पत्नी को टाइफाइड हो गया था। वकील रक्षपाल सिंह ने पंकज के लिए 15 दिन की जमानत मांगी। पंकज बताते हैं, ‘मेरी पत्नी हॉस्पिटल में थी। जज ने मुझे 20 अक्टूबर 2022 को 15 दिन को जमानत दी। मेरे पास पैसे नहीं थे। मैं सविता को नहीं बचा सका।’ पंकज को हर महीने 10 से 15 दिन कोर्ट जाना पड़ता है। इसलिए कोई उन्हें काम पर नहीं रखता।

उमर खालिद और उनके दोस्तों पर दंगे की साजिश का आरोप
FIR नंबर 59 में सब इंस्पेक्टर अरविंद ने आरोप लगाया कि दंगे कराने की साजिश JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद और उनके दोस्तों ने रची थी। उस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दिल्ली आ रहे थे। 23 फरवरी, 2020 को साजिश के तहत कई बच्चों और महिलाओं को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास भेजा गया। इसकी वजह से झड़प हुई, जो दंगे में बदल गई।

उमर खालिद को दिल्ली दंगों की साजिश के आरोप में UAPA के तहत अरेस्ट किया गया था। उनकी जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
उमर खालिद को दिल्ली दंगों की साजिश के आरोप में UAPA के तहत अरेस्ट किया गया था। उनकी जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

जाफराबाद मेट्रो स्टेशन की रोड को ब्लॉक करने के आरोप में पुलिस ने सफूरा जरगर को 10 अप्रैल 2020 को अरेस्ट किया। जमानत पर सफूरा जेल से छूटीं, तो उन्हें 13 अप्रैल 2020 को दूसरे केस में अरेस्ट कर लिया गया। इस बार दंगे में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का आरोप लगा।

सफूरा के वकील रितेशधर दुबे कहते हैं, ‘FIR नंबर 59/20 के अलावा बाकी केस से सफूरा को कोर्ट ने डिस्चार्ज कर दिया है।’

CAA प्रोटेस्ट से जुड़े लोगों को जानबूझकर निशाना बनाया
FIR नंबर 59/20 में उमर खालिद को सितंबर, 2020 में अरेस्ट किया गया था। तभी से वे तिहाड़ जेल में बंद हैं। खालिद की दोस्त बनो ज्योत्सना लहरी कहती हैं, ‘2020 दंगे में अरेस्ट सभी लोग CAA प्रोटेस्ट का हिस्सा थे। जानबूझकर उन्हें निशाना बनाया गया।’

‘दिसंबर, 2022 में उमर खालिद और खालिद सैफी को FIR नंबर 101/20 में जज पुलस्त्य प्रमचला ने जमानत दी, तो FIR नंबर 59/20 में UAPA के तहत केस दर्ज कर लिया। मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।’

दंगे के समय शरजील जेल में था, 7 महीने बाद उसका भी नाम शामिल किया
शरजील इमाम के भाई मुजम्मिल इमाम कहते हैं, ‘20 जनवरी 2020 से शरजील पुलिस कस्टडी में है। 7 महीने बाद 2020 में पुलिस ने दिल्ली हिंसा में उसका नाम जोड़ दिया। सप्लिमेंट्री चार्जशीट में उसका नाम है। दंगे के समय तो वो जेल में था।’

शरजील इमाम पर 2019 में दिल्ली में हुई हिंसा के तीन अलग-अलग केस चल रहे हैं। एक मामले में वो बरी हो चुके हैं।
शरजील इमाम पर 2019 में दिल्ली में हुई हिंसा के तीन अलग-अलग केस चल रहे हैं। एक मामले में वो बरी हो चुके हैं।

मुजम्मिल ने कहा, ‘पुलिस जिस वॉट्सऐप ग्रुप को दंगे से जोड़ रही है, शरजील सिर्फ उस का हिस्सा था। उस ग्रुप को CAA के खिलाफ प्रोटेस्ट में कोऑर्डिनेशन के लिए बनाया गया था। ग्रुप में कई एक्टिविस्ट जुड़े थे। इस केस में अभी सप्लिमेंट्री चार्जशीट पर बहस हो रही है। फाइनल चार्जशीट के आने तक हम बेल के लिए अप्लाई नहीं कर सकते हैं।’

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